जांजगीर-चांपा. सरकार एक तरफ जहां बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं का नारा दे रही है, वहीं सरकार के नुमाइंदे ही इस नारे का मिट्टी पलीत कर रहे हैं। यही वजह है कि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कोटाडबरी की दर्जनों छात्राओं समेत करीब सौ विद्यार्थियों को दो साल से छात्रवृत्ति नहीं मिली है। इनमें से कई छात्राएं ऐसी भी हैं, जो आठवीं उत्तीर्ण होकर दूसरे स्कूल में प्रवेश ले चुकी हैं, फिर भी उन्हें छात्रवृत्ति से वंचित रखा गया है। छात्रवृत्ति से वंचित दर्जन भर से अधिक छात्राओं ने सोमवार को कलेक्टोरेट पहुंचकर जिला प्रशासन से छात्रवृत्ति दिलाने की गुहार लगाई।
दरअसल, चांपा के कोटाडबरी मोहल्ले में शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला संचालित हैं, जहां पढऩे वाले करीब सौ से अधिक विद्यार्थी ऐसे हैं, जिन्हें दो साल से छात्रवृत्ति नहीं मिली है, जबकि छात्रवृत्ति के लिए उन्होंने आवश्यक कागजात स्कूल में जमा करवाए हैं। कुछ छात्राएं ऐसी भी हैं, जो आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे स्कूल में प्रवेश ले चुकी हैं। वे लगातार कोटाडबरी में संचालित पूर्व माध्यमिक शाला के शिक्षक व प्रधानपाठक से संपर्क कर छात्रवृत्ति की जानकारी ले रही हैं, लेकिन उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।
इससे परेशान होकर दर्जनों छात्राएं सोमवार को कलेक्टोरेट पहुंच गई। यहां उन्होंने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर वस्तुस्थिति से अवगत करवाया। छात्रा ज्योति ने बताया कि उसे पिछले दो साल की छात्रवृत्ति नहीं मिली है। अन्य छात्राओं ने भी दो साल से छात्रवृत्ति नहीं मिलने की जानकारी दी। छात्राओं ने बताया कि उनके स्कूल के करीब सौ विद्यार्थियों को दो साल से छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं हुआ है, जिस पर जिला प्रशासन के अफसरों ने सप्ताह भर के भीतर उचित पहल करने का आश्वासन दिया है।
यह कैसा लोक सुराज
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह एक ओर जहां आम जनता की समस्या और शिकायतों के त्वरित निदान के लिए प्रदेश व्यापी लोक सुराज अभियान चला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्कूली बच्चों को अपने जायज हक के लिए पढ़ाई छोडक़र दफ्तरों के चक्कर का काटने के लिए विवश होना पड़ रहा है। यदि स्कूल स्तर पर ही बच्चों की समस्या का समाधान हो जाता, तभी लोक सुराज अभियान की सार्थकता होती, किन्तु कलेक्टोरेट आकर छात्रवृत्ति के लिए बच्चों का ज्ञापन सौंपना यह स्पष्ट कर रहा है कि सरकार का लोक सुराज अभियान महज दिखावा से और कुछ नहीं है।
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