मंगलवार, 9 मई 2017

बाल विवाह जैसे अपराध की जानकारी नहीं होने से मासूमों की जिंदगी हो रही खराब, ग्रामीण क्षेत्रों में रूढ़ीवादी परंपरा हावी

जांजगीर-चांपा. केन्द्र और राज्य सरकार एक ओर जहां लोगों को साक्षर बनाने का प्रयास रही है, वहीं जिले के ग्रामीण इलाकों में रूढ़ीवादी परंपरा अभी भी खत्म नहीं हुई है। पढ़े-लिखे लोग भी पुरानी परंपराओं को निभाते हुए अपनी नाबालिग लडक़े-लड़कियों की शादी करवा रहे हैं। बाल सरंक्षण समिति सिर्फ  सूचना मिलने पर ही कार्रवाई करने दफ्तर से बाहर निकलती है, जबकि बाल विवाह जैसे अपराध की जानकारी नहीं होने के कारण कई मासूमों की जिंदगी खराब हो रही हैं।

जिले में बाल विवाह की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। आए दिन नाबालिग लडक़ा और लडक़ी फेरे ले रहे हैं। बाल विवाह रोकने के लिए जिले में बाल सरंक्षण समिति जरूरी बनाई गई है, लेकिन इसमें शामिल अधिकारी सिर्फ  उन तक आने वाले सूचनाओं पर ही कार्रवाई करते हैं। गांवों में बाल विवाह रोकने कोई प्रयास भी नहीं किया जा रहा है। नजर रखने के लिए सिर्फ  ग्राम स्तर पर समिति जरूर बना दी गई है, लेकिन अधिकांश मामलों में वे भी दखल नहीं देते हैं। यही कारण है कि वर्तमान में जिले में 21 वर्ष से कम लडक़ा और 18 वर्ष से कम लड़कियों की शादी हो रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष करीब एक दर्जन बाल विवाह होने से रोका गया है। संबंधितों को सिर्फ  समझाईश देकर छोड़ दिया गया है।

इसलिए हो रहा है बाल विवाह

महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की मानें तो आज भी कई लोगों को बाल विवाह से संबंधित कानून के बारे में जानकारी नहीं है, जबकि असल में शासन-प्रशासन द्वारा इसको लेकर प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जाता है। और तो और गांवों में अभी लोग रूढ़ीवादी परंपरा को ढो रहे हैं। इसी का परिणाम है कि नाबालिगों की जिंदगी शादी के मंडप में फेरे लगाकर खराब की जा रही है।

तीन स्तर पर बनी है समिति

जिले में बाल विवाह रोकने के लिए तीन स्तर पर समिति बनी है। ग्राम स्तर की समिति में सरपंच, सचिव, पंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वसहायता की महिलाएं समेत 10 सदस्य होते हैं। विकाखंड स्तर पर गठित समिति में एसडीएम, महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी, जनपद सदस्य समेत 20 सदस्य होते हैं। जिला स्तर की समिति में कलक्टर समेत अन्य अधिकारी शामिल हैं।

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