जांजगीर-चांपा. ग्राम पोता में एक ऐसा होनहार युवा है, जो विशेष पाठशाला संचालित कर क्षेत्र के गरीब बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहा है। ‘हिन्देश की पाठशाला’ में गरीब बच्चों को कम्प्यूटर, गणित आदि की बेसिक शिक्षा दी जा रही है। गरीब बच्चों के लिए पाठशाला संचालित करने वाले युवा की क्षेत्र भर में प्रेरणादायक काउंसर के रूप में खास पहचान बन चुकी है। पाठशाला संचालित करने वाले हिन्देश अपने शिक्षक पिता व गृहणी माता एवं जिले के तत्कालीन कलेक्टर ओपी
चौधरी को इस अभियान का मार्गदर्शक मानते है। वहीं सुनिल बर्मन को अपना
सहयोगी मानते हैं, जो इस अभियान में कदम से कदम मिलाकर साथ चलते रहते हैं।
जिले के मालखरौदा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पोता निवासी हिन्देश यादव की अपनी विशेष पहचान है। यह युवक ‘हिन्देश की पाठशाला’ संचालित कर गरीब बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे हरसंभव कोशिश कर रहा है। हिन्देश की पाठशाला ने अब तक सैंकड़ों गरीब बच्चों की जिंदगी बदली है। हिन्देश के पिता देवारी लाल यादव चिखली के शासकीय प्राथमिक शाला में शिक्षक हंै। हिन्देश ऐसा युवक है, जो डांस, सिंगिंग या फिर आर्ट जैसे टैलेंट के लिए नहीं बल्कि, प्रेरणादायक काउंसिलिंग के लिए जाना जाता है। काउंसिलिंग के साथ-साथ हिन्देश गरीब बच्चों को कम्प्यूटर, गाणित, अंग्रेजी, पर्यावरण, हिन्दी आदि का बेसिक ज्ञान बांटता है। बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने में हिन्देश को एक अलग ही सुख मिलता है, जिसका अंदाजा हम और आप लगा भी नहीं सकते। हिन्देश ने अपने इस अभियान को ‘हिन्देश की पाठशाला’ नाम दिया है।
रोजाना बच्चों को देते हैं पूरा समय
जिले के मालखरौदा ब्लॉक अंतर्गत करीब 108 गांवों के न जाने कितने बच्चे आज इस युवा मास्टर जी और उनके द्वारा संचालित हिन्देश की पाठशाला से शिक्षित होने में कामयाब हो रहे हैं। हिन्देश ने वर्ष 2014 में पिछड़े इलाकों में रहकर जीवन व्यतीत करने वाले बच्चों को साक्षर बनाने के लिए प्रयास शुरू किया था, जिसने कुछ समय बाद हिन्देश की पाठशाला का रूप ले लिया। हिन्देश अब नियमित रूप से प्रतिदिन पूरे समय इन बच्चों को कक्षा संबंधित विषय कंप्यूटर और अनुशासन, शिष्टाचार, संस्कार के साथ ही स्वच्छता का ज्ञान बांटते हैं।
हजारों बच्चों को स्कूल जाने किया प्रेरित
पिछले तीन वर्षों में हिन्देश अपनी हिन्देश की पाठशाला के माध्यम से हजारों बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित कर चुके हैं। अपनी इस हिन्देश की पाठशाला में हिन्देश बच्चों को पढ़ाने के अलावा उनकी मनोदशा और माहौल के बारे में भी जानने का प्रयास करते हैं और फिर अपने माता-पिता के सहयोग से वे इन बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरुक करते हैं। यह सिलसिला जारी है और नियमित 3-4 गांव के चक्कर जरूर लगाते हैं।
इसलिए मन में आया पाठशाला का विचार
हिन्देश के मुताबिक, जब वे तीसरी कक्षा में थे, तब अपने शिक्षक पिता देवारीलाल यादव के साथ घूमने जाते थे। इस दौरान विभिन्न कार्यालयों में लोग अशिक्षित होने की वजह से कोरा कागज लेकर आवेदन पत्र लिखवाने शिक्षित व्यक्ति की तालाश करते रहते थे, जिससे उस अशिक्षित व्यक्ति को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। इसके साथ ही कुछ ऐसे बच्चों से भी सामना हो जाता था, जो अपने कॉपी व पेन के लिए पैसा जुटाने प्रयासरत् नजर आते थे। इसके साथ ही पढ़ाई-लिखाई न करने के वजह से कुछ बच्चे नशा करते नजर आते थे। वहीं कुछ जुआ खेलते भी नजर आते थे। अशिक्षित होने की वजह से सामने वाला आसानी से ऐसे लोगों को ठग लेता था। ऐसे में समाज की इस जटिल समस्या को जड़ से दूर करने हिन्देश के मन में गरीब बच्चों को पढ़ाने, पढ़ाई में मदद करने एवं सभी निरक्षरों को शिक्षित बनाने की इच्छा जागृत हो गई।
किताबी ज्ञान के साथ सामान्य ज्ञान भी
हिन्देश मालखरौदा विकासखण्ड अंतर्गत संचालित होने वाली 208 आंगनबाड़ी व मिनी आंगनबाड़ी, 181 प्रायमरी, 101 मिडिल, 28 हाई व हायर सेकण्डरी स्कूल का 2-2, 3-3 चरण में दौरा कर बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ सामान्य ज्ञान से जुड़ी जानकारियां दे चुके हैं। वही अधिक से अधिक बच्चों को सरकारी स्कूल से जोडने निरंतर प्रयासरत् हैं। वर्तमान मे ग्रीष्मकालीन विशेष क्लॉस के माध्यम से बच्चों को किताबी ज्ञान तथा नैतिक शिक्षा के साथ ही सामान्य ज्ञान से जुड़ी जानकारियां देने निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
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