डोलकुमार@डभरा. ग्राम पंचायत कुसुमझर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के कामों में हुए भ्रष्टाचार को लेकर दो साल पहले जनपद पंचायत डभरा के तत्कालीन सीईओ ने ग्राम के सरपंच, सचिव, सब इंजीनियर सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए डभरा थाने को पत्र लिखा था। डभरा पुलिस ने इस मामले में संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, तब से आरोपी सब इंजीनियर फरार चल रहा था। दो साल फरारी काटने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार तो नहीं किया, किन्तु उस सब इंजीनियर ने मौजूदा सीईओ को झांसे में लेकर अपना कार्यभार जरूर ग्रहण कर लिया है। इस पूरे मामले का खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त जानकारी से हुआ है।
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, जनपद पंचायत डभरा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने 18 फरवरी 2014 को पत्र क्रमांक 1012/जन.प./2014 के माध्यम से प्रभारी आरक्षी केन्द्र डभरा को प्राथमिकी दर्ज करने पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया था कि जनपद पंचायत डभरा के अंतर्गत ग्राम पंचायत कुसुमझर में गोकुल तालाब गहरीकरण में तीन लाख 80 हजार 184 रुपए, सुमन तालाब गहरीकरण में सात लाख 44 हजार 600 रुपए एवं रानीसागर तालाब गहरीकरण में सात लाख 46 हजार 352 रुपए कुल 18 लाख 71 हजार 136 रुपए का फर्जी आहरण किया गया है, जिसकी जांच प्रतिवदेन भेजी जा रही है। उक्त प्रकरण में सरपंच धनमती मांझी, सरपंच पति महेत्तर मांझी, सरपंच पुत्र समयलाल मांझी, सचिव त्रिलोचन चंद्रा, रोजगार सहायक प्रदीप कुमार, जनपद पंचायत डभरा में पदस्थ सबइंजीनियर आशीष बाजपेयी, डभरा के पोस्टमास्टर सीएल सागर तथा ग्राम कुसुमझर निवासी दुलेश्वर उर्फ बल्लू चंद्रा के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कर उनके विरूद्ध प्रकरण से संबंधित दस्तावेज परियोजना अधिकारी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से प्राप्त कर लें। मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने पत्र के साथ जांच प्रतिवेदन भी सौंपा था। जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पत्र पर कार्रवाई करते हुए डभरा पुलिस ने संबंधितों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा कायम किया। थाने में अपराध दर्ज होने के बाद आरोपी सबइंजीनियर आशीष बाजपेयी फरार हो गया था, जिसे पकडऩे पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। करीब दो साल तक फरार रहने के बाद 21 नवंबर 2016 को वह डभरा स्थित जनपद पंचायत कार्यालय पहुंचा और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग रायपुर के अतिरिक्त मुख्य सचिव एमके राउत से 7 नवंबर 2016 को चर्चा होने के बाद उनसे मौखिक निर्देश प्राप्त करते हुए जनपद कार्यालय पहुंचकर कार्यभार ग्रहण करने की बात कही। आरोपी सबइंजीनियर की इस दलील से मौजूदा मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहमत हो गए और उन्होंने कार्यभार करने संंबंधी अर्जी को लेकर उसे ज्वाइनिंग दे दी, जबकि डभरा पुलिस ने गबन के मामले में आरोपी सबइंजीनियर को अब तक गिरफ्तार ही नहीं किया है। ऐसे में जनपद कार्यालय में उसकी ज्वाइनिंग ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है।
आखिर यह कैसा मौखिक आदेश
राज्य शासन अथवा जिला प्रशासन किसी भी मामले में मौखिक आदेश जारी नहीं करता। खासकर, किसी अधिकारी-कर्मचारी के ज्वाइनिंग के मामले में तो मौखिक आदेश मान्य ही नहीं है। इसके बावजूद आरोपी सब इंजीनियर द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग रायपुर के अतिरिक्त मुख्य सचिव से मौखिक आदेश प्राप्त करने की बात कहते हुए कार्यभार ग्रहण करना लोगों के समझ में नहीं आ रहा है। दूसरी ओर, जब डभरा पुलिस ने गबन के मामले में अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है तो सबइंजीनियर को आखिर क्यों बख्शा जा रहा है, यह भी एक बड़ा सवाल है।
मौजूदा सीईओ की भूमिका संदेहास्पद
जनपद पंचायत डभरा में पदस्थ मौजूदा मुख्य कार्यपालन अधिकारी नितेश कुमार उपाध्याय इस पूरे मामले को लेकर संदेह के घेरे में आ गए हैं। सीईओ को इस घटनाक्रम की पूरी जानकारी है। बताया जा रहा है कि उन्हें यह भी भलिभांति मालूम है कि आरोपी सबइंजीनियर दो साल तक फरार रहा है और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने उसकी ज्वाइनिंग के संबंध में कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया है। इसके बावजूद आरोपी सब इंजीनियर को कार्यभार ग्रहण कराए जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मौजूदा सीईओ उपाध्याय ने उनसे ज्वाइनिंग देने के एवज में मोटी रकम प्राप्त की है।
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