राजेन्द्र राठौर@जांजगीर-चांपा. स्टाम्प पेपर सहित अन्य दस्तावेज में कूटरचना कर दूसरे की जमीन को हथियाने वाले जमीन दलाल साजनमल पर पुलिस और जेल अमला मेहरबान है। जमीन दलाल साजनमल को कोतवाली पुलिस ने बीते 23 अप्रैल को गिरफ्तार किया था, जिसके एक दिन बाद से खुद को बीमार बताकर वह अस्पतालों में आराम फरमा रहा है। करीब दस-बारह दिनों तक जिला अस्पताल के पेइंग वार्ड में भर्ती रहने के बाद साजनमल ने खुद को गंभीर रूप से बीमार बताकर बिलासपुर स्थित सिम्स रेफर करवा लिया है, जबकि गिरफ्तारी के पहले तक वह भला-चंगा था। इससे पुलिस और जेल प्रशासन की भूमिका संदेह के दायरे में आ गई है।

जमानत अर्जी फिर हुई नामंजूर
बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी के बाद जमीन दलाल साजनमल की जमानत करवाने उसके परिजनों ने खूब मशक्कत की, लेकिन उसकी जमानत अर्जी नामंजूर हो गई। ऐसे में जेल प्रशासन और जिला अस्पताल के डॉक्टरों से सांठगांठ करके जमीन दलाल साजनमल को जिला अस्पताल में शिफ्ट करवा दिया गया, ताकि उसे वहां ऐशो-आराम मिल सके। इधर, परिजनों ने उसकी जमानत के लिए फिर ऐड़ी-चोंटी का जोर लगाया, लेकिन न्यायालय ने इस बार भी उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। ऐसे में स्थानीय स्तर से उसके सारे रास्ते बंद हो गए। लिहाजा, जिला अस्पताल के डॉक्टरों से सांठगांठ कर उसे बिलासपुर स्थित सिम्स रेफर करवा दिया गया। बताया यह भी जा रहा है कि उसके परिजन उच्च न्यायालय से जमानत करवाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कहीं सफलता नहीं मिल पा रही है।
रसूखदारों को सुख-सुविधा
जिला जेल में निरूद्ध दर्जनों बंदियों को गंभीर बीमारियों की शिकायत है। वहां कई बंदी हैं, जिनके हाइड्रोसील के ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं। कुछ बंदी ऐसे हैं, जिन्हें हृदय रोग, दमा सहित कई तरह की गंभीर बीमारी घेरे हुए है, लेकिन उन बंदियों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है, क्योंकि वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं। वहीं रसूखदार बंदियों को छींक आने पर भी गंभीर रूप से बीमार बताकर सीधे अस्पताल के पेइंग वार्ड में भर्ती करवा दिया जा रहा है। वर्तमान में जिला अस्पताल के बंदी और पेइंग वार्ड में रसूखदार बंदियों की लंबी-चौड़ी फौज है, जिन्हें वहां सभी तरह की सुख-सुविधाएं बेरोकटोक मुहैया कराई जा रही है। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर बंदी उपचार के लिए गुहार लगा-लगाकर थक जा रहे हैं।
विधिक सेवा प्राधिकरण बेकाम
जरूरतमंदों और गरीब तबके के लोगों को न्याय दिलाने के मकसद से गठित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भी इस पूरे मामले को लेकर बेकाम साबित हो रहा है। कानून के जानकारों की मानें तो जेल में निरूद्ध कमजोर तबके के बंदियों को विधिक सेवा पहुंचाना तथा आवश्यकता पड़ने पर उसके समुचित चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने की जिम्मेदारी विधिक सेवा प्राधिकरण के जिम्मेदारों के कंधे पर है, लेकिन प्राधिकरण के जिम्मेदार मौके-मौके पर जेल का निरीक्षण कर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। जबकि उपचार की आवश्यकता वाले कई बंदियों ने उनके समक्ष कई बार अस्पताल पहुंचाकर बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने की गुहार लगाई है। मगर प्राधिकरण के जिम्मेदारों ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया है। इस वजह से वास्तव में जरूरतमंद बंदियों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है।
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