जांजगीर-चांपा. ग्राम मुरलीडीह का सरपंच अपनी नाबालिग भतीजी की शादी करवा रहा था। रविवार को उसके घर बारात आने वाली थी, लेकिन ऐनवक्त पर इसकी सूचना मुलमुला पुलिस को मिल गई। सूचना को महिला डीएसपी ने गंभीरता से लिया और मौके पर पहुंचकर उन्होंने परिजनों को समझाईश दी, जिससे एक नाबालिग लडक़ी की शादी होते-होते टल गई। मुलमुला क्षेत्र में सप्ताह भर के भीतर बाल विवाह के तीन मामले सामने आए हैं। तीनों मामलों में महिला डीएसपी की तत्परता से बाल विवाह रूकवाने में कामयाबी मिली है।
![]() |
परिजनों को समझाईश देतीं प्रशिक्षु डीएसपी |
प्रशिक्षु महिला डीएसपी रश्मित कौर चावला ने बताया कि छह मई की शाम मुलमुला थाने में सूचना मिली कि ग्राम मुरलीडीह में एक नाबालिग लडक़ी की शादी करवाई जा रही है। सात मई को बारात आने वाली है। सूचना को उन्होंने गंभीरता से लिया और तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारियों से दिशा-निर्देश प्राप्त कर महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षकों के साथ टीम लेकर ग्राम मुरलीडीह पहुंची। वहां सरपंच कमलेश पाटले की भतीजी और जयनारायण पाटले की सोलह वर्षीय पुत्री से पूछताछ की गई। पूछताछ में पता चला कि लडक़ी नाबालिग है, तब उसके परिजनों को समझाईश दी गई। उन्हें समझाया गया कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई एवं कानूनन अपराध है। उन्होंने बालिका को अच्छे से पढऩे-लिखने की नसीहत दी तथा परिजनों को दो वर्ष बाद शादी करवाने की समझाईश दी गई, जिस पर परिजनों ने अपनी सहमति दी। इस दौरान सरपंच व कोटवार सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
मूलभूत अधिकारों का हनन : अधिवक्ता मिश्रा
जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता बालकृष्ण मिश्रा ने ’दैनिक नवीन कदम’ से चर्चा में बताया कि बाल विवाह कानूनन अपराध है, इसके गंभीर दुष्परिणाम न केवल बच्चों को बल्कि, पूरे परिवार व समाज को भुगतने पड़ते हैं। बाल विवाह बच्चों के अधिकार का निर्मम उल्लंघन है। बाल विवाह से बच्चों के पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अधिकार के साथ ही अच्छा स्वास्थ्य पोषण, शिक्षा पाने और हिंसा, उत्पीडऩ व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में विवाह से बालिका का शारीरिक विकास रूक जाता है। गंभीर संक्रामक यौन बिमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है और उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पडता है।
बढ़ जाता है गर्भपात का खतरा : डॉ. जयप्रकाश
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. व्ही जयप्रकाश ने ’दैनिक नवीन कदम’ से चर्चा में बताया कि कम उम्र में प्रजनन अंगों के पूर्ण विकसित नहीं होने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की मां के नवजात शिशुओं का वजन कम रह जाता है। साथ ही कुपोषण व खून की कमी की भी ज्यादा आशंका रहती है। ऐसे प्रसवों में शिशु मृत्यु दर और प्रसूता मृत्यु दर ज्यादा पाई जाती है। बाल विवाह की वजह से बहुत सारे बच्चे अशिक्षित और अकुशल रह जाते है, जिससे उनके सामने अच्छा रोजगार पाने और बडे होने पर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है। जल्दी विवाह अर्थात जल्दी मां बनने के कारण कम उम्र की मां और उसके बच्चे दोनों की जान और सेहत खतरे में पड़ जाती है।
यह है कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन का फरमान
कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने हाल ही में एक फरमान जारी कर नागरिकों से कहा है कि यदि कहीं बाल विवाह की सूचना प्राप्त होती है तो तत्काल नजदीकी थाना या जिला प्रशासन को इसकी सूचना दें। कानून का उलंघन करने वाले के विरूद्ध आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। बाल विवाह प्रतिषेध कानून के तहत बाल विवाह कराने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बराती तथा विवाह कराने वाले पुरोहित, जो बाल विवाह को बढ़ावा देता है, उसकी अनुमति देता है अथवा बाल विवाह में सम्मिलित होता हैए उनके विरूद्ध दो वर्ष कठोर कारावास अथवा जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माना एक लाख रुपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार लडक़ी की शादी 18 वर्ष एवं लडक़े की शादी 21 वर्ष से पहले नहीं होना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें