सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

भाजपा से अलग होने का टीस ले आया ब्यासनारायण की आंखों में पानी, कहा- दिल में इस बात की टीस बाकी है कि आलाकमान ने कार्यकर्ता समझा

जांजगीर-चांपा। विधानसभा क्षेत्र जांजगीर-चांपा से बहुजन समाज पार्टी से उम्मीदवारी कर रहे ब्यासनारायण कश्यप सोमवार को नैला स्थित अपने निवास में मीडिया से मुखातिब हुए। इस दौरान वे फफक कर रो पड़े। मीडिया से चर्चा के दौरान भाजपा से अलग होने का दर्द उनकी आंखों में छलका। अपने आंसू पोंछते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 1985 से अब तक उन्होंने भाजपा के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम किया। भाजपा को अपना पूरा समय दिया, लेकिन उनके दिल में इस बात की टीस बाकी है कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें केवल एक सामान्य कार्यकर्ता समझा और कभी भी खास तवज्जो नहीं दी।

ब्यासनारायण कश्यप
बहुजन समाज पार्टी ने जांजगीर-चांपा विधानसभा सीट से ब्यासनारायण कश्यप को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। बसपा से प्रत्याशी घोषित होने के बाद ब्यासनारायण कश्यप सोमवार की शाम पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि वे वर्ष 1985 से अब तक भाजपा के लिए काम करते रहे हैं। नगरपालिका जांजगीर-नैला के पार्षद के रूप में उन्होंने दस वर्षों तक जनता की सेवा की है। उनकी पत्नी सूरज ब्यास कश्यप जांजगीर-चांपा जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। इसके अलावा भाजपा के जिला उपाध्यक्ष, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के जिला संयोजक सहित कई अन्य महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी वे निभा रहे थे। उनका पूरा परिवार वर्षों तक भाजपा की सेवा करता रहा है, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें कभी कोई खास तवज्जो नहीं दी। पिछले विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जांजगीर-चांपा सीट से भाजपा से अपनी सशक्त दावेदारी पेश की थी, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें अवसर नहीं दिया। पिछली बार की तरह इस बार भी पार्टी आलाकमान से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से कई बार चर्चा हुई, जिसमें उन्होंने सकारात्मक आश्वासन तो दिया, लेकिन ऐनवक्त पर पूर्व प्रत्याशी को ही मौका देकर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। 

ब्यासनारायण ने कहा कि इस पूरे मसले को लेकर जब उन्होंने पार्टी आलाकमान से पुन: चर्चा करते हुए अपनी बात रखी तो उन्हें साफ कहा गया कि वे सिर्फ पार्टी के कार्यकर्ता हैं, इससे ज्यादा कुछ भी नहीं हैं। यही बात दिल में टीस कर गई और लगा कि ऐसी पार्टी में रहकर काम करने का आखिर मतलब ही क्या, जो नि:स्वार्थ ढंग से सेवा करने वालों की कद्र न करे। उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान की बातों से उन्हें काफी पीड़ा हुई और वे राजनीति से दूर रहकर समाज सेवा करने की धारणा अपने मन में बना रहे थे, तभी समर्थकों ने किसी राष्ट्रीय पार्टी से अवसर मिलने पर चुनाव लडऩे के लिए उन पर दबाव बनाया। इस बीच अथरिया कुर्मी समाज की बैठक भी हुई, जिसमें यह प्रस्ताव रखा गया कि कोई राष्ट्रीय पार्टी यदि अथरिया कुर्मी समाज के किसी भी व्यक्ति को चुनाव लडऩे का अवसर देती है तो पूरा समाज एकजुट होकर चुनाव लड़ेगा। 

इस बीच बसपा और जकांछ नेताओं से कई माध्यमों से चर्चा भी हुई, जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया। बसपा ने उन्हें जांजगीर-चांपा सीट से विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए अवसर देने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव पर अथरिया कुर्मी समाज के लोगों सहित विधानसभा क्षेत्र के समर्थकों ने अपनी मुहर लगाई और वे बसपा में शामिल हो गए। बसपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित किया है और अब वे पूरी दमखम के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में जीत-हार अपनी जगह है, लेकिन अब वे नीला गमछा धारण कर चुके हैं तो सवाल ही नहीं उठता कि आगामी दिनों में पुन: भाजपा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि पुरानी पार्टी के कई दिग्गज अभी भी उनके साथ हैं और पर्दे के पीछे रहकर उन्हें चुनाव में पूर्ण सहयोग भी करेंगे। पूरी चर्चा के दौरान भाजपा से अलग होने का दर्द इतना था कि ब्यासनारायण कश्यप फफक कर रो पड़े।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें