सोमवार, 5 जून 2017

महानदी को बचाने किया गया धरना-प्रदर्शन, केन्द्रीय मानवाधिकार संगठन ने सौंपा ज्ञापन, नायब तहसीलदार के आश्वासन पर खत्म हुआ धरना

शिवरीनारायण. धार्मिक नगरी शिवरीनारायण से होकर गुजरी चित्रोत्पला महानदी के अस्तित्व को बचाने की मुहिम शुरू हो गई है। इसी क्रम में सोमवार को केन्द्रीय मानवाधिकार संगठन ने महानदी के रेत घाटों से रेत का अवैध उत्खनन करने वाली मशीनों को राजसात करने की मांग को लेकर तहसील कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन किया। नायब तहसीलदार द्वारा एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई किए जाने का आश्वासन देने पर धरना समाप्त हुआ।

गौरतलब है कि केद्रीय मानवाधिकार संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रुपेश सोनी ने पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजरी महानदी के रेत खदानों में नगर पंचायत एवं ग्राम पंचायतों द्वारा रेत उत्खनन एवं वाहन में भराई के कार्य में चैन माउन्टेंन मशीन आदि का उपयोग किए जाने का उल्लेख करते हुए मशीनों को राजसात करने तथा मशीन मालिक एवं संबंधित नगर पंचायत एवं ग्राम पंचायत के अधिकारी एवं पदाधिकारी पर कठोर कार्यवाही की मांग 30 मई को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर की थी। ज्ञापन में कहा गया था कि मांग पर यदि 4 जून तक कार्यवाही नहीं की जाती है तो पांच जून को धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। ज्ञापन की प्रति जिला खनिज अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को भी सौंपी गई थी। 

ज्ञापन दिए जाने के बाद भी खनिज विभाग द्वारा कार्यवाही को लेकर उदासीनता बरती गई और औपचारिता निभाते हुए 4 जून को केवल 2 मशीनों के मालिकों के खिलाफ प्रकरण बनाया गया, जिससे क्षुब्ध संगठन के पदाधिकारियों द्वारा 5 जून को नगर में धरना-प्रदर्शन किया गया। धरना-प्रदर्शन सुबह आठ बजे शुरू हुआ। सुबह से ही केन्द्रीय मानवाधिकार संगठन के पदाधिकारी एवं सदस्य तथा नागरिक बड़ी संख्या में धरने पर बैठे थे। 

इस धरना को विभिन्न राजनीतिक पार्टी के जनप्रतिनिधियों ने अपना समर्थन दिया, जिसमें मुख्य रुप से कांगे्रस से निरंजन अग्रवाल, ओमप्रकाश सुल्तानिया, गुलजीत गांधी, राजेन्द्र यादव तथा जनता कांग्रेस से नित्यानंद उपाध्याय, भोलू बानी एवं शिवसेना से अमर केशरवानी का नाम शामिल है। करीब दो बजे नायब तहसीलदार आराधना प्रधान धरना स्थल पर पहुंची और उन्होंने एक सप्ताह के भीतर कार्यवाही का आश्वासन दिया, तब जाकर धरना-प्रदर्शन समाप्त हुआ। संगठन द्वारा कलेक्टर के नाम नायब तहसीलदार को सौंपे गए ज्ञापन में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि संगठन की मांगों पर एक सप्ताह के भीतर कार्यवाही नहीं होती है तो इस आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए पुन: भूख हड़ताल की जाएगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें