जांजगीर-चांपा. नगरपालिका परिषद चांपा के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल की मां निर्मला देवी अग्रवाल के नाम पर दर्ज जमीन से मिली बेशकीमती लकड़ी के मामले में कार्यवाही फिलहाल लटक गई है। जिला वन मंडलाधिकारी का कहना है कि हसदेव पब्लिक स्कूल के पीछे स्थित जिस जमीन से बड़े पैमाने पर बेशकीमती लकड़ी मिली है, वह राजस्व भूमि है। लिहाजा, उन्हें कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है। उनका कहना है कि इस मामले में उचित कार्यवाही के लिए जांजगीर एसडीएम को पत्र लिखा गया है। वहीं जांजगीर एसडीएम का कहना है कि जिस जमीन से बेशकीमती लकड़ी मिली है, वह वास्तव में राजस्व भूमि है या नहीं, यह जांच से स्पष्ट होगा। मामले की जांच के लिए राजस्व और वन विभाग की संयुक्त टीम बनाई गई है।
जानकारी के अनुसार, डीएफओ सतोविशा समाजदार को बीते दिनों ग्राम लछनपुर के पास संचालित हसदेव पब्लिक स्कूल के पीछे स्थित एक निजी जमीन में बड़े पैमाने पर बेशकीमती लकडिय़ां डंप होने की सूचना मिली थी। सूचना को गंभीरता से लेते हुए डीएफओ समाजदार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंची, जहां चारों ओर उन्हें बेशकीमती लकडिय़ों का पहाड़ दिखा। आसपास मौजूद कुछ लोगों से पूछताछ करने पर डीएफओ को पता चला कि जिस भूमि पर बेशकीमती लकडिय़ां डंप कर रखी गई है, वह चांपा निवासी निर्मला देवी पति कैलाश चंद्र अग्रवाल की भूमि है। मौका मुआयना करने के बाद डीएफओ समाजदार ने भूमि स्वामी को सूचना देकर मौके पर बुलवाया और उनसे लकडिय़ों के संबंध में विस्तृत पूछताछ कर आवश्यक कागजात मांगे, लेकिन भूमि स्वामी के पास लकडिय़ों के संबंध में कोई कागजात ही नहीं थे। इसके बाद डीएफओ समाजदार ने पंचनामा कार्यवाही कर बेशकीमती लकडिय़ों को जब्त किया था। जब्त लकडिय़ों में संरक्षित प्रजाति कौहा का 87 नग गोला तथा एक हजार से अधिक बल्लियां शामिल हैं। इस मामले में अब नया मोड़ आ गया है। डीएफओ समाजदार का कहना है कि जिस जमीन से बेशकीमती लकड़ी मिली है, वह राजस्व भूमि है। इसलिए वन विभाग को इस मामले में किसी तरह की कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया कि मामले में उचित कार्यवाही के लिए चार जुलाई को ही जांजगीर एसडीएम अजय उरांव को पत्र लिखा गया है। इसके बाद मामले में क्या कार्यवाही हुई, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। बहरहाल, चांपा नपाध्यक्ष की भूमिका स्पष्ट होने के बाद यह मामला अब पूरी तरह से उलझ गया है। वन और राजस्व विभाग के अफसर राजनैतिक दबाव में हैं, जिसके कारण जानबूझकर इस मामले को लटकाया जा रहा है।
संरक्षित प्रजाति की हैं लकडिय़ां
वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो हसदेव पब्लिक स्कूल के पीछे स्थित जमीन से मिली लकडिय़ों में अधिकांश लकड़ी संरक्षित प्रजाति की है, जिसकी बाजार मूल्य लाखों में होगी। दिलचस्प बात यह है कि कार्यवाही के दौरान वन विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि जब्तशुदा लकडिय़ों का मूल्य निर्धारण किया जा रहा है। जब्त लकडिय़ों को मौके से उठवाकर वन विभाग के काष्टागार तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन तथा राजस्व विभाग से मदद मांगी गई है। एक-दो दिन के भीतर जब्त पूरी लकड़ी का मूल्य निर्धारण कर काष्टागार भिजवा दिया जाएगा, लेकिन वही अधिकारी अब अपने बयान से मुकर गए हैं। वे इस मामले में कार्यवाही को लेकर अब सारा दारोमदार राजस्व विभाग के अधिकारियों कें कंधे पर थोप रहे हैं।
जांच के बाद स्पष्ट होगा मामला
जांजगीर एसडीएम अजय उरांव का कहना है कि डीएफओ से पत्र तो मिला है, लेकिन वह जमीन वास्तव में राजस्व भूमि है अथवा नहीं, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। उनका कहना है कि जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि वह जमीन वास्तव में किस मद में दर्ज है। इस पूरे मामले की जांच के लिए वन और राजस्व विभाग की एक टीम बनाई गई है, जिसमें वन विभाग के रेंजर शामिल हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविकता सामने आएगी। इसके बाद मामले में उचित कार्यवाही की जाएगी।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें