शुक्रवार, 10 मार्च 2017

होली आई, नकली मावा-मिठाई बीमार न कर दे भाई

मिलावटी खाद्य सामग्री बिगाड़ सकती है लोगों की सेहत

जांजगीर-चांपा. होली पर मिलावटी खाद्य सामग्री आम आदमी की सेहत बिगाड़ सकती है। आलम यह है कि बाजार मूल्य से कम रेट पर मावा-पनीर बिकने लगा है। ऐेसे में एक्सपर्ट का कहना है कि कम कीमत का मिलावटी पनीर, दूध और मावा सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।  

होली के मद्देनजर गांव और कस्बों में पनीर, मावा और दूध बाजार रेट से कम कीमत पर बेचा जा रहा है। खासबात यह है कि मावा और पनीर आम आदमी से ज्यादा मिठाई आदि बनाने वाले दुकानदार खरीद रहे हैं। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि होली के रंगों में आपको मिलावटी सामग्री से बनी मिठाई खिलाने की पूरी तैयारी मिलावटखोरों ने की ली है। वहीं, फूड अफसर कार्रवाई के बजाय खानापूर्ति में लगे हुए हैं। मुंह देखकर सैपलिंग की जा रही है। जिला मुख्यालय जांजगीर और चांपा के नामचीन दुकानों पर सैपलिंग नहीं की गई है। दिखावा मात्र के लिए छोटे कारोबारियों पर कार्रवाई की जा रही है। जानकारों के मुताबिक अधिक मुनाफे के चक्कर में मिलावटखोर मावा से क्रीम निकाल रिफाइंड से चिकना कर दे रहे हैं।

गहरे रंग की मिठाई मिलावटी

फूड सेफ्टी अफसर अजीत बघेल ने बताया कि चटक रंग देने के लिए फूड आइट्मस में सिंथेटिक रंग मिलाए जाते हैं। उत्पादन कॉस्ट कम करने के लिए धंधेबाज चांदी के वर्क के बजाय एल्यूमिनियम की परम का इस्तेमाल मिठाई की खूबसूरती बढ़ाने में करते हैं।

ऐसे होता है मिलावट का कारोबार

एक किलो दूध से तकरीबन दो सौ ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं होता। लिहाजा मिलावटी मावा बनाया जाता है। इसमें अक्सर शकरकंदी, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है। नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन के साथ ही आलू मिलाया जाता है। आलू इसलिए, ताकि मावे का वजन बढ़े। वजन के लिए ही आटा भी मिलाया जाता है। नकली मावा असली मावा की तरह दिखे, इसके लिए इसमें कुछ केमिकल भी मिलाया जाता है। कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावे को तैयार करते हैं।

ऐसे करें असली-नकली की पहचान

⇛ मावे को हथेली पर रखने पर यदि यह तेल छोड़ता है तो मिलावट नहीं है।
⇛ मावे को हल्के गुनगुने पानी में डाल दें। फिर इसमें थोड़ा चने का आटा और चुटकी भर हल्दी मिला दें। यदि रंग गुलाबी आता है तो समझो इसमें मिलावट है।
⇛ चांदी और एल्युमीनियम की परख आसान है। उंगलियों से मसलने पर चांदी का वर्क गायब हो जाता है, जबकि एल्युमीनियम का वर्क लिपट जाता है।

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