शुक्रवार, 10 मार्च 2017

सातवें वेतनमान के लिए विधानसभा मार्च 22 को

सरकार पर लग रहा वादाखिलाफी का आरोप

जांजगीर-चांपा. अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारी 22 मार्च को विधानसभा मार्च करेंगे।
अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के जिलाध्यक्ष रामकिशोर शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री डा.ॅ रमन सिंह द्वारा विधानसभा मे प्रस्तुत 2017-18 के बजट मे सातवां वेतनमान देने की घोषणा नहीं होने से प्रदेश के ढाई लाख कर्मचारी-अधिकारियों मे रोष है और सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लग रहा है। बता दें कि 25 दिसंबर 2016 को फेडरेशन के प्रतिनिधि मण्डल को मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया था कि सातवां वेतनमान जल्द ही कर्मचारियों को दिया जाएगा। इसलिए कर्मचारियों को उम्मीद थी कि इस बजट सत्र मे मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों की तरह सातवां वेतनमान देने की घोषणा विधानसभा मे करेंगे। कर्मचारियों मे व्याप्त आक्रोश को अभिव्यक्ति देने के लिए छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने निर्णय लिया है कि 22 मार्च बुधवार को वादा निभाओ रैली निकालकर विधानसभा मार्च करते हुए सीएम को ज्ञापन सौपेंगे। छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष पीआर यादव ने बताया कि फेडरेशन की मांग है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशे लागू करने से पहले पहले 4 स्तरीय समान वेतनमान और वेतन विसंगति दूर कर 2013 विधानसभा चुनाव घोषणा पत्र को लागू कर वादा निभाए। वादा निभाओ रैली बूढ़ातालब धरणा स्थल से शुरू होकर विस की तरफ मार्च करेगी। मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट के तत्काल बाद शाम 5 बजे ही छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के बैनर तले राजधानी के कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट के सामने शासन के वादाखिलाफी पर आक्रोश जताते हुए जबर्दस्त प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौपा था। संघ के प्रदेश अध्यक्ष पीआर यादव ने सीएम द्वारा प्रस्तुत बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस बजट को मेहनतकश वर्गो का विरोधी बताते हुए कहा कि बजट से कर्मचारी जवान, मजदूर, किसान मे जबर्दस्त आक्रोश है। कर्मचारी अधिकारी जहां 7वें वेतन आयोग की  घोषणा का बेसबरी से इंतजार कर रहे थे। इस इंतजार में हमारे साथ सुरक्षा बल के 50 हजार जवान भी शामिल थे। किसान धान पर बोनस कि घोषणा की आस लगाए बैठे थे और मजदूर वर्ग न्यूनतम मजदूरी वृद्धि सहित जनकल्याणकरी योजनाओं की घोषणा की प्रत्याशा में थे। इन सभी वर्गों को सीएम ने निराश किया। विधानसभा 2013 के घोषणा मे पत्र में उल्लेखित कर्मचारीहित के वादों को तीन साल बाद भी सरकार ने नहीं निभाया है। सरकार की मंशा जगजाहिर है कि  कर्मचारियों को भी सातवां वेतनमान चुनावी साल 2018 मे देकर राजनीतिक लाभ उठाते हुए कर्मचारी वोटों की फसल काटी जाए, लेकिन प्रदेश के कर्मचारी जागरूक और समझदार है। सरकार के इस झांसे मे नहीं आएंगे और अपने हक की लड़ाई लडक़र 7वां वेतनमान इसी वित्त वर्ष मे प्राप्त करेंगे।

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