जांजगीर-चांपा. शासन-प्रशासन के व्यापक प्रचार-प्रसार के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह कराने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोतवाली पुलिस ने शनिवार को फिर एक नाबालिग की शादी रूकवाई है। पखवाड़े भर में बाल विवाह का यह छठवां मामला है। पुलिस और प्रशासन की सजगता से छहों मामलों में नाबालिग की शादी होते-होते टली है।
कोतवाली पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्राम पुटपुरा निवासी शत्रुहन करियारे ने अपने पुत्री दिप्ती करियारे (16) की शादी कोरबा जिला अंतर्गत ग्राम बसनपुर निवासी अनंदराम रात्रे के पुत्र रोहन रात्रे से तय की थी। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चार मई को मण्डपाच्छादन तथा पांच मई को देवपूजन हुआ। छह मई की दोपहर हरिद्रालेपन की रश्में निभाई जा रही थी, तभी इसकी सूचना वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव को मिली। उन्होंने तत्काल कोतवाली पुलिस को अलर्ट किया। एसएसपी यादव के निर्देश पर कोतवाली पुलिस की टीम महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी को लेकर सीधे ग्राम पुटपुरा पहुंची। शादी स्थल में अचानक पुलिस के पहुंचने से लोगों में हडक़ंप मच गया। आसपास के ग्रामीण भी वहां इकट्ठे हो गए। पुलिस की टीम ने लडक़ी के परिजनों को बुलाकर पूछताछ की तो वे गोलमोल जवाब देने लगे। इससे पुलिस का शक यकीन में बदल गया। पुलिस ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी की उपस्थिति मेंं दिप्ती करियारे को बुलाकर पूछताछ की तो उसने अपनी उम्र सोलह वर्ष होने की बात कही। इसके बाद उसके शैक्षणिक दस्तावेज देखे गए, जिसके अनुसार वह नाबालिग थी और वर्तमान में उसकी आयु महज 16 वर्ष हो रही थी। पूछताछ के बाद पुलिस ने लडक़ी के परिजनों को बुलवाकर समझाईश दी।
उन्हें समझाया गया कि लडक़ी अभी नाबालिग है, इसलिए उसका विवाह करवाना गैरकानूनी है। यह अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए लडक़ी जब विवाह के लिए निर्धारित आयु पूर्ण कर ले, तभी उसकी शादी कराएं। पुलिस और महिला बाल विकास अधिकारी की समझाइश से परिजन शादी को रद्द करने राजी हो गए। इस तरह शनिवार को एक और नाबालिग शादी की वेदी पर चढ़ते बच गई। उल्लेखनीय है कि बाल विवाह को रोकने प्रशासन, पुलिस और न्याय विभाग कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें