डभरा. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत मजदूरों को ग्रामीण स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराने का दावा किया जाता है तथा इस दौरान मजदूरों को प्राथमिक उपचार से लेकर अन्य सुविधाएं देने की बात कही जाती है, लेकिन शुक्रवार को स्थानीय स्तर पर बरती गई लापरवाही के चलते कार्य के दौरान ही एक मजदूर की मौत हो गई। मामला जनपद पंचायत डभरा के अंतर्गत ग्राम पंचायत नावापारा का है, जहां आलाधिकारियों की लापरवाही के कारण मनरेगा में कार्य करने वाले मजदूर की मौत हुई है।
मौत होने का बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि मजदूर को घटना स्थल पर प्राथमिक इलाज भी नहीं मिल पाया। ग्रामीणों ने बताया कि उमाशंकर सिदार नामक मजदूर शुक्रवार की सुबह स्वस्थ था और वह सुबह मनरेगा के काम के लिए घर से गया था। काम करने के दौरान अचानक उसे चक्कर आया और बेहोश हो गया। ग्रामीणों ने अपने तरफ से प्रयास भी किया कि होश में आ जाए, मगर उमाशंकर सिदार का प्राथमिक उपचार न होने के वजह से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। फिर भी उसे इलाज के लिए डभरा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में चल रहे 9 लाख रुपए के गहरीकरण कार्य का कोई साइन बोर्ड या कार्य का उल्लेख कार्य स्थल पर नहीं किया गया है। आपको बता दें कि मृतक उमाशंकर सिदार को प्राथमिक उपचार नहीं मिलने की वजह से घटना स्थल पर ही उसकी मौत हो गई थी फिर भी उन्हें इलाज के लिए डभरा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहाँ डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों का कहना है उसकी मृत्यु पहले से ही हो चुकी थी। मृत्यु का कारण पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा।
लापरवाही की भेंट चढ़ी योजना
मनरेगा जैसे कार्य को जहां आज सरकार अपनी महत्वकांक्षी योजना में से एक बता रही है तो वहीं यह योजना आलाधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ रही है। आपको बता दें कि मनरेगा कार्यस्थल पर मजदूरों के लिए न तो प्राथमिक उपचार की सुविधा है न ही पीने के लिए ठंडा पानी और न छाया के कोई व्यवस्था। अव्यवस्था के बीच मजदूरों से योजना का काम करवाया जा रहा है। ग्राम नवापारा के जनप्रतिनिधियों और रोजगार सहायक से बात की गई तो उनका कहना था कि शुक्रवार को ही काम चालू हुआ है और धीरे-धीरे सभी की व्यवस्था की जाती। अगर आवश्यक व्यवस्था पहले होती तो आज उमाशंकर अपने परिवार के साथ सकुशल रहता।
चार-पांच घंटे तक नहीं ली सुध
आलाधिकारियों के सुस्त रवैये के कारण और एक छोटी सी लापरवाही के चलते आज मृतक के परिजनों में दुख का पहाड़ तो गिरा ही, लेकिन उनका दु:ख तो और बड़ा तब हो गया, जब घटना होने के 4-5 घंटे के बाद भी पंचायत विभाग के आलाधिकारियों ने उनकी सुध नहीं ली। बताया जा रहा है कि सरपंच और रोजगार सचिव ने इस मामले की जानकारी जनपद सीईओ नितेश उपाध्याय और मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी ज्ञज्ञ देवांगन को फोन के माध्यम से तुरंत दी थी, लेकिन अफसरों को इन मजदूरों की चिंता ही कहा, जो समय पर पहुंचते। वहीं विधायक प्रतिनिधि हेमन्त पटेल ने घटना के तुरंत बाद मृतक के परिजनों से मिलकर उनके दुख की घड़ी में साथ दिया और अधिकारिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की।
अधिकारियों ने किया गुमराह
मामले की जानकारी होने पर जब मीडियाकर्मियों ने जनपद पंचायत कार्यालय पहुंचकर मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी ज्ञज्ञ देवांगन से बात की तो उनका कहना था कि इस मामले के संबंध में मुख्य कार्यपालन अधिकारी नितेश उपाध्याय ही कुछ बता पाएंगे। वहीं सीईओ उपाध्याय का कहना है कि मजदूर की मौत किस वजह से हुई, यह जांच से स्पष्ट होगा। फिलहाल, कहीं न कहीं आलाधिकारियों के सुस्त रवैये और समय पर कार्यस्थल का निरीक्षण नहीं होने के कारण यह घटना हुई है। योजना में निर्धारित प्रावधान के अनुसार यदि उमाशंकर सिदार को कार्य स्थल पर ही प्राथमिक चिकित्सा सुविधा मिलती तो उसकी जान बच सकती थी।
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