डोलकुमार निषाद @ डभरा. देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कैसे भटक रहे दिव्यांग, यह कोई फिल्मी गीत नहीं, बल्कि हकीकत है, जो जनपद पंचायत डभरा के अंतर्गत ग्राम पंचायत गोबराभांठा में चरितार्थ हो रही है। इस गांव के एक दिव्यांग दंपत्ति को पंचायत सचिव की मनमानी से पिछले 11 माह से नि:शक्तता पेंशन नहीं मिल रहा है। पेंशन के अभाव में दिव्यांग दंपत्ति आर्थिक रूप से परेशान है, जबकि उन्होंने इसकी शिकायत कई मर्तबा जिम्मेदार अधिकारियों से की है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकलांगों को दिव्यांगों की संज्ञा दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने दिव्यांगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं भी शुरू की हैं, जिसका मूल मकसद यह है कि दिव्यांग उन योजनाओं का लाभ उठाकर न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें, बल्कि समाज में सम्मान के साथ जीवन-यापन भी कर सकें। मगर सरकारी नुमाइंदे ही प्रधानमंत्री की योजनाओं को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सरकारी नुमाइंदों की मनमानी का एक बड़ा मामला जिले के जनपद पंचायत डभरा के अंतर्गत ग्राम पंचायत गोबराभाठा में सामने आया है। ग्राम गोबराभाठा निवासी खुशराम मिरी दिव्यांग है। सिर्फ इतना ही नहीं, उसकी पत्नी भी दिव्यांग है, जो सामान्य लोगों की तरह कामकाज करने में सक्षम नहीं है। इस दिव्यांग दंपत्ति को पिछले 11 माह से नि:शक्तता पेंशन नहीं मिल रहा है, जबकि यह दंपत्ति अपनी समस्या के संबंध में सभी जिम्मेदारों के पास जाकर गुहार लगा चुकी है। पेंशन नहीं मिलने से आर्थिक रूप से परेशान दिव्यांग खुशराम मिरी बुधवार को भी जनपद पंचायत कार्यालय पहुंचा था। वहां उसने जो बताया, वह नि:संदेह मानवता को शर्मशार कर देने वाला है।
दिव्यांग खुशराम ने बताया कि वह स्वयं तथा उसकी पत्नी दिव्यांग है। इसके बावजूद उन्हें 11 माह से नि:शक्तता पेंशन की राशि नहीं मिल रही है। दिव्यांग खुशराम का आरोप है कि इस संबंध में जब उसने गांव के पंचायत सचिव से बात की तो उसने पेंशन की राशि देने से साफ तौर पर इंकार कर दिया। सचिव का कहना था कि वह पेंशन की राशि नहीं देगा, चाहे जो कर लो। वह कलेक्टर-कमिश्रर किसी से भी नहीं डरता है। दिव्यांग खुशराम ने आगे बताया कि जब उसने इस संबंध में सरपंच पति से बात की तो सरपंच पति ने भी टका सा जवाब देते हुए उल्टा अधिकारियों से झूठी शिकायतबाजी करने की बात कह धमकी-चमकी लगाई। दिव्यांग खुशराम ने आगे बताया कि उसके घर में खाने के लिए एक दाना तक नहीं है।
ऐसे में उसके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। दिव्यांग खुशराम ने इस पूरे मामले की शिकायत जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी नितेश कुमार उपाध्याय से करते हुए शीघ्र नि:शक्तता पेंशन की राशि दिलवाने का आग्रह किया है। बहरहाल, दिव्यांग खुशराम के मामले से यह साफ हो गया है कि जिम्मेदार अधिकारी, दिव्यांगों को शासन की योजनाओं का लाभ दिलवाने आखिर कितने संजीदा है। अब देखना यह होगा कि दिव्यांग खुशराम व उसकी पत्नी को पेंशन की राशि मिलती है या फिर उसकी शिकायत भी आमलोगों की तरह रद्दी की टोकरी में डाल दी जाती है।
नगद भुगतान करने के निर्देश
ग्राम पंचायत गोबराभाठा के सरपंच से बात की गई है। उसने बताया कि दिव्यांग के खाते में त्रुटी हो गई थी, जिसके कारण खाते में राशि नहीं गई है। ऐसी स्थिति में सरपंच को नगद भुगतान करने के निर्देश दिए गए हैं। पेंशन की राशि दिव्यांग को जल्द मिल जाएगी। अन्य शिकायतों के संबंध में जांचकर कार्यवाही की जाएगी।
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