जांजगीर-चांपा. शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला तिलई वाली घटना यदि महानगरों अथवा राज्य की राजधानी में घटित हुई होती तो दोषी शिक्षक कब का निलंबित हो चुका होता, लेकिन यह घटना जांजगीर-चांपा जिले में घटित हुई है, जहां न तो जनप्रतिनिधि कार्यवाही के लिए शासन पर दबाव बना रहे हैं और न ही शासन मामले को गंभीरता से ले रहा है। यही वजह है कि मामला उजागर होने के चार दिन बाद भी किसी तरह की ठोस कार्यवाही नजर नहीं आ रही है, जबकि आगे तीन दिन दशहरा, मोहर्रम और गांधी जयंती की छुट्टी है, जिससे ऐसा लगता है कि मानों शासन-प्रशासन जानबूझकर मामले को ठंडे बस्ते में डालना चाहता है। वहीं कुछ लोग दोषी शिक्षक पर हर हाल में कार्यवाही चाहते हैं। ऐसे लोग आगामी 9 अक्टूबर को मुख्यमंत्री के जांजगीर प्रवास के दौरान उनके समक्ष अधिकारियों की शिकायत करने की तैयारी में हैं।
गौरतलब है कि कि 26 सितंबर मंगलवार को अकलतरा विकासखंड के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला तिलई में पदस्थ एक शराबी शिक्षक के नशे में धुत्त होकर स्कूल पंहुचते ही बवाल मच गया था। आठवीं कक्षा की एक छात्रा शिक्षक को देखते ही घर भाग गई थी। वहीं दो छात्रा, शराबी शिक्षक के डर से उस दिन स्कूल ही नहीं पंहुची। इस मामले के संबंध में जब तह तक पहुंचकर जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला तिलई में पदस्थापना के बाद से ही शिक्षाकर्मी वर्ग-दो यशवंत उपाध्याय शराब के नशे में धुत्त होकर स्कूल पंहुचते रहे हैं। वे शराब के नशे में धुत्त होकर कमरा बंदकर आठवीं की छात्राओं को अश्लील शायरी और जोक्स सुनाते हैं। बीते 23 सितंबर शनिवार को जब वे छात्राओं को बंद कमरे में शेरो शायरी सुना रहे थे, तब संकुल स्तरीय चर्चा बैठक में शामिल होने पंहुची एक शिक्षिका कमरे में गई तो शराबी शिक्षक ने उससे भी छेड़छाड़ की। इस घटना के तीन दिन बाद मंगलवार को वे एक बार फिर शराब पीकर स्कूल पहुंचे तथा हंगामा होने पर स्कूल से भाग गए। पंचायत प्रतिनिधियों ने उसे समझाइश देने बुलाया तो वे फिर स्कूल आए, लेकिन मीडिया और जांच अधिकारी के पहुंचने की जानकारी मिलते ही फिर भाग गए। इसके बाद मीडिया, पंचायत प्रतिनिधियों और स्कूल स्टाफ के सामने कक्षा आठवीं की छात्राओं, शिक्षिका और अन्य लोगों ने पूरे मामले का विस्तार से खुलासा किया। मामले में पहले दिन ही डीईओ ने शिक्षक यशवंत उपाध्याय के निलंबन की अनुशंसा सहित फाइल जिला पंचायत सीईओ के पास भेजने की बात कही थी। वहीं जिला पंचायत सीईओ ने फाइल मिलते ही मामले में कार्यवाही करने का दावा किया था, लेकिन फाइल शायद बैलगाड़ी से भेजी गई है, तभी तो घटना के सामने आने के चार दिन बाद भी संबंधित शिक्षक पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यहां बताना लाजिमी होगा कि जिस विभाग ने जांच के बाद निलंबन की कार्यवाही करने की बात कही है, उस जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से जिला पंचायत की दूरी बमुश्किल दो किलोमीटर होगी। वहीं जिला पंचायत सीईओ ने भी फाइल प्राप्त होने के तत्काल बाद आरोपी शिक्षक को निलंबित करने का दावा किया है, किंतु चार दिन बाद भी शराबी शिक्षक की करतूतों की फाइल दो किलोमीटर की दूरी तय नहीं कर पाई है।
कहीं मामले को ठंडे बस्ते में डालने षडयंत्र तो नहीं
बीते 26 सितंबर को मामला सामने आने के बाद 29 सितंबर तक पूरे मामले में किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इधर, 30 सितंबर को दशहरा, 1 अक्टूबर को रविवार के साथ मोहर्रम तथा दो अक्टूबर को महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री की जयंती का अवकाश है। ऐसे में तीन दिन और मामले में किसी तरह की कार्यवाही शायद हो पाएगी। ऐसे में लगने लगा है कि मानों प्रशासन किसी तरह से विलंब कर मामले को पूरी तरह से ठंडे बस्ते में डालना चाहता है। वैसे भी जिस दिन पूरा मामला सामने आया, उसी दिन पंचायत प्रतिनिधि दोषी शिक्षक का पक्ष लेते नजर आए थे। वहीं छात्राओं तथा शिक्षिका के खुलासे के बाद उन्होंने आरोपी शिक्षक की ऊंची पंहुच का हवाला देते हुए कहा था कि अपनी पहुंच के दम पर वह बार-बार निलंबित होने के बाद भी बहाल हो जाता है। पिछली बार भी तत्कालीन कलेक्टर ने \अपने स्थानांतरण पर जाते-जाते बहाल किया था।
महानगरों में खुलासा होने पर हो चुकी होती कार्यवाही
तिलई वाली घटना यदि महानगरों में हुई रहती तो यह चौबीसों घंटे इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया में छाए रहने वाली घटना रहती। दिल्ली में यदि ऐसा खुलासा होता तो चालीस मिनट के भीतर कार्यवाही हो चुकी होती। वहीं प्रदेश की राजधानी रायपुर में भी इस तरह के खुलासे के बाद संभवत: चार घंटे में निलंबन की घोषणा उच्चस्तर पर हो चुकी होती, लेकिन मामला जांजगीर-चांपा जिले से संबंधित है, जहां पूरे मामले पर न तो जनप्रतिनिधि कोई रूचि ले रहे हैं और न अधिकारी। इसलिए अब तक किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं हो पाई है। जनप्रतिनिधियों को शायद बेटियों की इज्जत से ज्यादा अपने वोटबैंक की चिंता है। जिम्मेदार अधिकारियों में जिला पंचायत सीईओ तो इन दिनों अपने मिशन सात ग्यारह के तहत दो अक्टूबर से आठ अक्टूबर तक रिकार्ड ग्यारह हजार शौचालय बनाने में व्यस्त है। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी भी दशहरे की छुट्टी में मस्त हैं। वहीं कलेक्टर भी शायद बड़े जिले की जवाबदारी के बोझ तले पस्त हैं, तभी तो अब तक कोई कार्यवाही होते नहीं दिख रही है।
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