राजेंद्र राठौर @ जांजगीर-चांपा. सक्ती में अवस्थित मरघट और घास भूमि पर व्यापारी नेता जगदीश प्रसाद बंसल द्वारा किए गए अनाधिकृत कब्जा को हटवाने की जिम्मेदारी दो वर्ष पहले सक्ती के तत्कालीन तहसीलदार ने नगरपालिका परिषद के मुख्य नगरपालिका अधिकारी को सौंपी थी। तहसीलदार ने अपने आदेश में कहा था कि आदेश पारित होने के सात दिवस के भीतर संबंधित भूमि से बंसल अपना कब्जा स्वत: ही हटा लें। उनके द्वारा कब्जा नहीं छोडऩे पर नगरपालिका प्रशासन उक्त अनाधिकृत कब्जे को हटाकर बेजाकब्जा हटाने का शुल्क वसूल करेगा। तहसीलदार के आदेश के बावजूद, नगरपालिका प्रशासन ने मरघट और घास भूमि पर अनाधिकृत कब्जा करने वाले को खुली छूट दी है, जिससे पालिका प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
सक्ती में अवस्थित मरघट एवं घास भूमि में अवैध कब्जा को लेकर लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं। वहीं भू-कुछ माफियाओं के इशारे पर राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा नगर के राजस्व रिकार्ड में लगातार छेड़छाड़ भी किया जा रहा है। नतीजतन, मरघट भूमि के नए-नए स्वामी भी रोजाना पैदा हो रहे हैं। दूसरी ओर, सक्ती निवासी जगदीश प्रसाद बंसल पिता रामफल बंसल ने घास मद में दर्ज भूमि खसरा नंबर 1213/1, कुल रकबा 1.00 में से 1080 वर्ग फीट भूमि पर अवैध कब्जा कर मकान निर्माण करवाया है। इसके अलावा मरघट और घास मद में दर्ज भूमि खसरा नंबर 1213/3, कुल रकबा 8.00 एकड़ तथा घास मद में दर्ज खसरा नंबर 1218/1, कुल रकबा 3.37 एकड़ में इनके द्वारा बाउंड्रीवाल घेरा जा रहा है। इसका खुलासा सक्ती के तत्कालीन तहसीलदार के आदेश से हुआ है। ‘दैनिक नवीन कदम’ के पास उपलब्ध दस्तावेज के मुताबिक, सक्ती में अविस्थत मरघट और घास भूमि में अवैध कब्जा का यह मामला दो वर्ष पहले सक्ती तहसीलदार के न्यायालय में पहुंचा था, जिस पर राजस्व प्रकरण क्रमांक बी-121/2015-16 दर्ज कर पक्षकार शासन विरूद्ध जगदीश प्रसाद बंसल मामले में 21 अक्टूबर 2015 को आदेश पारित किया गया। तत्कालीन तहसीलदार ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि ग्राम सक्ती पटवारी हल्का नंबर 11 के उपरोक्त खसरा नंबर पर जगदीश प्रसाद बंसल पिता रामफल बंसल ने अनाधिकृत कब्जा किया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि धारा 248 (1 एवं 2) भू-राजस्व संहिता के अंतर्गत अनाधिकृत निर्धारित कर जगदीश प्रसाद बंसल को सात दिवस के अंदर मकान एवं बाउंड्रीवाल हटा लिए जाने का अवसर दिया जाता है। नियत अवधि में उनके द्वारा स्वत: कब्जा नहीं हटाए जाने पर सक्ती के मुख्य नगरपालिका अधिकारी उक्त अनाधिकृत कब्जे को हटाकर बेजाकब्जा हटाने का शुल्क वसूल कर सकेंगे। इस आदेश की प्रतिलिपि पृष्ठांकन क्रमांक/489/वा./तह./2015, दिनांक 16 नवंबर 2015 से अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) सक्ती, राजस्व निरीक्षक सक्ती, थाना प्रभारी सक्ती, हल्का पटवारी तथा शिकायतकर्ता को प्रेषित की गई थी। हद की बात तो यह है कि नगरपालिका सक्ती के मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने उक्त भूमि से अनाधिकृत कब्जे को हटाकर बेजाकब्जा हटाने का शुल्क वसूल करने के बजाय उल्टा तहसीलदार के आदेश को ही रद्दी की टोकरी में डाल दिया। यहां बताना लाजिमी होगा कि मरघट और घास भूमि पर अवैध कब्जा कर मकान और बाउंड्रीवाल निर्माण कराने वाले जगदीश प्रसाद बंसल ने सक्ती तहसीलदार द्वारा 21 अक्टूबर 2015 को पारित आदेश पर असंतोष जताते हुए कलेक्टर न्यायालय में अपील प्रस्तुत की थी, जिसे कलेक्टर न्यायालय ने खारिज कर दी। बताया जा रहा है कि कलेक्टर के न्यायालय में अपील अर्जी खारिज होने के बाद जगदीश प्रसाद बसंल ने बिलासपुर संभागायुक्त के न्यायालय में स्थगन के लिए अर्जी प्रस्तुत की है, जिस पर 12 दिसम्बर को सुनवाई होनी है। ऐसे में स्पष्ट है कि इस प्रकरण में जगदीश प्रसाद बंसल को तत्कालीन तहसीलदार द्वारा पारित आदेश के विरूद्ध में अब तक स्थगन आदेश ही प्राप्त नहीं हुआ है। इस स्थिति में नगरपालिका प्रशासन संबंधित पर आखिरकार कार्यवाही क्यों नहीं कर रहा, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। जनचर्चा है कि नगरपालिका प्रशासन नगर की मरघट और घास भूमि पर अनाधिकृत कब्जा करने वाले जगदीश प्रसाद बंसल को जानबूझकर खुली छूट दे रहा है। इस बात को लेकर शहर के लोगों में अब पालिका प्रशासन के प्रति आक्रोश पनपने लगा है।
सीएमओ और अध्यक्ष की भूमिका पर सवाल
सक्ती में अवस्थित मरघट और घास भूमि में व्यापारी नेता जगदीश प्रसाद बंसल द्वारा किए गए अनाधिकृत कब्जे के साथ ही उक्त भूमि में निर्माण कार्य करवाए जाने को लेकर अब नगरपालिका के सीएमओ और अध्यक्ष की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। आपको बता दें कि दो वर्ष के भीतर नगरपालिका सक्ती में कई सीएमओ बदले हैं, लेकिन व्यापारी नेता बंसल की रसूख के आगे किसी ने भी इस मामले में हाथ डालना मुनासिब नहीं समझा। वहीं शहर को साफ-सुथरा और अतिक्रमणमुक्त कराने का दावा करने वाले नपाध्यक्ष भी इस मसले पर खामोश हैं। इससे माना जा रहा है कि नगरपालिका के अधिकारी तो अधिकारी, नपाध्यक्ष ने भी मरघट और घास भूमि पर अनाधिकृत कब्जा करने वाले से सांठगांठ कर ली है।
आमलोगों को गुमराह करने का पूरजोर प्रयास
सक्ती में अवस्थित मरघट और घास भूमि में कुछ रसूखदारों द्वारा किए गए अतिक्रमण का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में नगरपालिका प्रशासन का रवैया शुरू ही संदेहास्पद रहा है। वहीं अब नगर के लोगों को गुमराह किए जाने का पूरजोर प्रयास भी चल रहा है। बताया जा रहा है कि पालिका प्रशासन द्वारा कुछ दिनों पहले शहर की मरघट और घास भूमि के कुछ हिस्से में सब्जी बाजार को व्यवस्थित करने की कवायद शुरू की गई थी। इससे पहले कुछ लोगों के माध्यम से जिले के प्रभारी मंत्री के समक्ष यह मांग उठवाई गई, ताकि किसी को कोई संदेह न हो। पालिका प्रशासन ने प्रभारी मंत्री के निर्देश का हवाला देकर राजस्व अधिकारियों से मौका मुआयना भी करवाया, लेकिन जब विरोध शुरू हुआ तो फिर नई चाल चली गई। इस बार धार्मिक भावना को आड़े लाते हुए उक्त भूमि के कुछ हिस्से में गायत्री मंदिर निर्माण करवाने का प्रयास किया गया, लेकिन यह प्रयास भी असफल साबित हो गया। ऐसे में शहरवासियों की निगाहें अब आगामी 20 दिसम्बर को होने वाले सीमांकन पर टिकी हुई है।
भू-माफियाओं के खिलाफ शहरवासी लामबंद
सक्ती शहर की मरघट और घास भूमि पर हुए अतिक्रमण से जहां लोगों को निस्तारी की समस्या हो रही है। वहीं किसी की मृत्यु होने पर कफन-दफन के लिए दो गज जमीन तक नहीं मिल रही है। इससे शहर के लोग बौखलाए हुए हैं। बताया जा रहा है कि जब से मुक्तिधाम संरक्षण समिति का गठन हुआ है और समिति के पदाधिकारी जिस तरह से आर-पार की लड़ाई लडऩे के मूड में हैं, उससे भू-माफियाओं के हौसले पस्त होने लगे हैं। मौजूदा हालात ऐसे है कि शहर के लोग मुक्तिधाम संरक्षण समिति से लगातार जुड़ते जा रहे हैं। इसके अलावा शहर में भू-माफियाओं के खिलाफ जगह-जगह पाम्पेलट भी चस्पा किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो भू-माफियाओं के खिलाफ पूरा शहर एकजुट हो गया है।
पटवारी ने तहसीलदार के आदेश को बताया गलत
दो वर्ष पहले सक्ती के तत्कालीन तहसीलदार द्वारा पारित आदेश को सक्ती के मौजूदा पटवारी खगपति साहू ने गलत बताया है। सोशल मीडिया पर वायरल सक्ती पटवारी खगपति साहू की वीडियो क्लिप के अनुसार, नगर की भूमि के राजस्व रिकार्ड में उनके द्वारा बीते 29 नवंबर को डिजीटल साइन किया गया है। डिजिटल साइन के बाद राजस्व रिकार्ड में किसी भी सूरत में छेडख़ानी संभव ही नहीं है। रही बात, गड़बड़ नकल की तो वह सॉफ्टवेयर की त्रुटि की वजह से निकल रहा है। पटवारी ने यह भी कहा है कि व्यापारी नेता जगदीश प्रसाद बंसल अपनी जगह सही हैं। खसरा नंबर 1213 में मुक्तिधाम अविस्थत है, जो शासन के नाम पर ही दर्ज है। आगामी 20 दिसम्बर को होने वाले सीमांकन के बाद सबकुछ और स्पष्ट हो जाएगा। जगदीश प्रसाद बंसल का कार्यालय चालू नक्शा के अनुसार सही हैं तथा उनके खिलाफ लग रहे सारे आरोप गलत और निराधर हंै। मुक्तिधाम के आगे-पीछे जगदीश प्रसाद बंसल की भूमि अवस्थित है। मीडिया ने एकतरफा समाचार प्रकाशित किया है, जो अनुचित है।
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