रविवार, 10 दिसंबर 2017

कृष्णा इंडस्ट्रीज में कार्यरत् एक श्रमिक की फिर हुई मौत, कारखाने में सिलिकोसिस से नरसंहार की बन गई स्थिति

जांजगीर-चांपा. कृष्णा इंडस्ट्रीज में काम करने वाली गंगोत्री की मौत को लोग अभी भूल भी नहीं पाए हैं कि खीकराम यादव की रविवार को सिलिकोसिस से मौत हो गई। फैक्ट्री में सिलिकोसिस से लगातार हो रही मौत से ग्रामीण खासे आक्रोशित हो गए और उन्होंने फैक्ट्री के सामने शव रखकर खूब हंगामा किया। मामले की सूचना पर पहुंची पुलिस ने नाराज ग्रामीणों को काफी समझाइश दी। इसके बाद ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ। पुलिस ने मामले में मर्ग कायम कर शव को पीएम के लिए बीडीएम अस्पताल चांपा भिजवाया। 

चांपा से लगे ग्राम बहेराडीह में संचालित कृष्णा इंडस्ट्रीज में काम करने वालों की जिस तरह सिलिकोसिस से मौत हो रही है, उससे नरसंहार जैसी स्थिति निर्मित हो गई है। इसके बावजूद, शासन-प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। इसी फैक्ट्री में काम करने वाली गंगोत्री बाई की मौत बीते 30 नवंबर को हुई थी। उसका क्रियाकर्म अभी हुआ भी नहीं है कि फिर से इसी फैक्ट्री में काम करने वाले खीकराम यादव (23) पिता दिलहरण यादव की मौत सिलिकोसिस से हो गई। खीकराम चार सालों से कृष्णा इंडस्ट्रीज में काम कर रहा था। करीब एक सप्ताह पहले तबीयत बिगडऩे पर वह काम करने में अक्षम हो गया। उसका इलाज चांपा के मिशन अस्पताल में चल रहा था। यहां के डॉक्टर ने रविवार को उसे सिम्स रेफर कर दिया। परिजन उसे बिलासपुर ले जा पाते, इससे पहले उसने दम तोड़ दिया। इधर, कृष्णा इंडस्ट्रीज में काम करने वालों के साथ सिलिकोसिस की वजह से बनी नरसंहार की स्थिति को देखते हुए ग्रामीण आक्रोशित हो गए। उन्होंने कृष्णा इंडस्ट्रीज के सामने एंबुलेंस में शव रखकर काफी हंगामा किया। मामले की सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उन्हें समझाइश दी। काफी समझाइश के बाद ग्रामीण माने। पुलिस ने मामले में मर्ग कायम कर शव को पीएम के लिए बीडीएम अस्पताल भिजवाया है।
 

कुछ तो शर्म करो जिम्मेदारों

कृष्णा इंडस्ट्रीज में सिलिकोसिस से जिस तादाद में मौत हो रही है, उससे जिम्मेदारों को शर्म भी नहीं आ रही है। उनकी मानवता पूरी तरह मर गई है। शायद यही वजह है कि गंगोत्री बाई की मौत के बाद से स्थानीय स्तर के अफसरों ने फैक्ट्री की जांच कर कार्रवाई करना भी मुनासिब नहीं समझा।,जबकि पिछले साल हुई जांच में कृष्णा इंडस्ट्रीज में सिलिकोसिस की मात्रा लिमिट से अधिक पाया गया था। इसके बावजूद कृष्णा इंडस्ट्रीज को सिलिकोसिस फैलाकर नरसंहार करने की खुली छूट दे दी गई है।
 

कब तक बेनाम मरेंगे मजदूर

कृष्णा इंडस्ट्रीज की खास बात यह है कि यहां काम करने वाले किसी भी श्रमिक का रिकार्ड नहीं है। यही वजह है कि यहां काम करने वाले मजदूरों की मौत के बाद प्रबंधन बड़ी चालाकी से पीछा छुड़ा लेता है। अब तक हुई मौत में प्रबंधन ने सबसे खुद को किनारा कर लिया है। खीकराम यादव के मामले में भी प्रबंधन ऐसा ही करेगा, लेकिन कृष्णा इंडस्ट्रीज के फैक्ट्री प्रबंधक रामगोपाल ने खीकराम की मौत से पहले स्वीकार कर लिया है कि वो उसी के यहां का श्रमिक है। तबीयत खराब होने के कारण कुछ दिनों से वह नहीं आ रहा है। आपकों बता दे कि खीकराम के पिता दिलहरण की भी मौत एक साल पहले इसी बीमारी से हुई है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें