राजेंद्र राठौर@जांजगीर-चांपा. सक्ती में अवस्थित शासकीय भूमि पर भू-माफियाओं की गिद्ध दृष्टि है। घास मद की भूमि पर व्यापारी नेता जगदीश प्रसाद बंसल द्वारा अवैध कब्जा किए जाने के साथ ही कुछ भू-माफियाओं द्वारा मरघट भूमि को अपने नाम पर दर्ज कराए जाने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि राजस्व रिकार्ड में लगातार छेड़छाड़ हो रही है और मरघट भूमि के नए-नए स्वामी भी रोजाना पैदा हो रहे हैं। मुक्तिधाम संरक्षण समिति के पदाधिकारियों ने इस मसले को लेकर एक बार फिर सक्ती एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है।
जानकारी के अनुसार, सक्ती शहर में अवस्थित अधिकांश शासकीय भूमि वर्तमान में भू-माफियाओं के चपेट में है। भू-माफियाओं ने मरघट और घास मद में दर्ज भूमि को भी नहीं बख्शा है। मौजूदा हालात ऐसे हैं कि सक्ती शहर में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके कफन-दफन करने तक के लिए जगह नहीं है। जबकि दूसरी ओर, मरघट और घास मद में दर्ज भूमि में भू-माफियाओं की बड़ी-बड़ी इमारतें लगातार खड़ी हो रही हैं। इसके बावजूद नगरपालिका प्रशासन न केवल चुप्पी साधे हुए है, बल्कि जानबूझकर पक्की सडक़, बिजली, पानी और अन्य सुख-सुविधाएं भू-माफियाओं को उपलब्ध करवा रहा है। भू-माफियाओं की अंधेरगर्दी का खामियाजा रसूखदार लोग तो नहीं, परन्तु गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के लोग जरूर भुगत रहे हैं। मृत्यु के बाद लोगों को दो गज जमीन तक नसीब नहीं हो रही है। आमलोगों की इस गंभीर समस्या को देखते हुए शहर के कुछ जागरूक लोगों ने मुक्तिधाम संरक्षण समिति का गठन किया है, जिसके पदाधिकारियों ने सक्ती एसडीएम को मरघट भूमि खसरा नंबर क्रमश: 1213/1, 1213/2, 1213/3, रकबा क्रमश: 1.00, 0.27, 8.00 एकड़ के सीमांकन के लिए पिछले दिनों आवेदन प्रस्तुत किया था।
एसडीएम ने समिति के आवेदन को गंभीरता से लेते हुए तहसीलदार के माध्यम से आगामी 20 दिसम्बर को सीमांकन की तिथि सुनिश्चित की है। सीमांकन की तिथि जब से तय हुई है, तब से भू-माफियाओं में हडक़ंप है। इधर, मुक्तिधाम संरक्षण समिति के पदाधिकारी भी इस मसले को लेकर सक्रिय हैं। शहर में रोजाना बैठकें हो रही हैं और मुक्तिधाम संरक्षण समिति की इस मुहिम में लोग लगातार जुड़ते जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मुक्तिधाम संरक्षण समिति द्वारा मरघट और घास मद में दर्ज भूमि के दस्तावेजों की छानबीन की जा रही है, जिसमें पाया गया कि उन्हें 19 मार्च 2014 को जो खसरा और बी-1 हल्का पटवारी से प्राप्त हुआ था, उसमें मूल खसरा नंबर 1213 (संपूर्ण भूमि छग शासन) का बटांकन 1213/1, रकबा 1.00 एकड़ घास भूमि, 1213/2, रकबा 0.27 एकड़ मरघट भूमि तथा 1213/3, रकबा 8.00 एकड़ मरघट भूमि दर्ज थी, लेकिन समिति के अध्यक्ष संजय रामचन्द्र और सचिव राजेश शर्मा द्वारा बीते 6 दिसम्बर को निकाली गई नकल में उक्त खसरा में बलभद्र पिता झाडूराम का नाम अंकित होना पाया गया है। वहीं इसके एक दिन बाद यानी आठ दिसम्बर प्राप्त दस्तावेज के अनुसार, उक्त खसरा में सुरेन्द्रनाथ पिता जिवेंद्रनाथ का नाम और अंकित हो गया है। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि इससे स्पष्ट है कि भू-माफियाओं ने संबंधित पटवारी से सांठगांठ कर शासकीय दस्तावेजों में छेड़छाड़ करते हुए शासनाधीन घास और मरघट भूमि को विलोपित कर बलभद्र पिता झाडूराम एवं सुरेन्द्रनाथ पिता जिवेंद्रनाथ के नाम पर दर्ज करवा लिया है। इस खुलासे के बाद मुक्तिधाम संरक्षण समिति ने अपातकालीन बैठक आयोजित की, जिसमें लिए गए निर्णय के अनुसार एसडीएम को पुन: ज्ञापन सौंपते हुए भू-माफियाओं और संबंधित पटवारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है।
कफन-दफन के लिए नहीं मिली जमीन
बताया जा रहा है कि पिछले दिनों एक बच्ची की मौत हो गई, जिसके कफन-दफन के लिए सक्ती शहर में दो गज जमीन तक नहीं मिली। इस बात की जानकारी जब नगर के कुछ जागरूक लोगों को हुई, तब उन्होंने शहर में अवस्थित मरघट भूमि के संबंध में राजस्व अधिकारियों से जानकारी मांगी। राजस्व अधिकारियों ने जो जानकारी दी, उसके अनुसार शहर में मरघट भूमि थी। मगर जिस जगह मरघट भूमि अवस्थित होना बताया गया, असल में वहां भू-माफियाओं ने लंबे समय से कब्जा कर रखा है। इस खुलासे के बाद उन्हीं जागरूक लोगों ने एक बैठक आयोजित कर मुक्तिधाम संरक्षण समिति का गठन किया। समिति के पदाधिकारियों ने मरघट और घास मद में दर्ज भूमि में हुए अतिक्रमण को जड़ से हटवाने का बीड़ा उठाया है।
संरक्षक के पद से हटाए गए बंसल
सक्ती शहर में अवस्थित मरघट और घास भूमि में हुए अतिक्रमण को लेकर जिस दिन से हो-हंगामा शुरू हुआ है, तब से भू-माफिया और अतिक्रमणकारी किनारे हो गए हैं। बताया जा रहा है कि मुक्तिधाम संरक्षण समिति की जब पहली बैठक हुई, तब घास भूमि में अवैध कब्जा करने वाले व्यापारी नेता जगदीश प्रसाद बंसल भी वहां मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने जनहित से जुड़े इस काम में अपना पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया था, जिसके चलते उन्हें समिति का संरक्षक बनाया गया था। मगर नगर की शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों की सूची में जब उनका नाम भी शामिल होने की बात उछली, तब समिति के पदाधिकारियों ने शनिवार को पुन: बैठक आयोजित कर उन्हें संरक्षक पद से हटा दिया। इस बात की पुष्टि समिति के अध्यक्ष संजय रामचंद्र और सचिव राजेश शर्मा ने स्वयं की है। उनका कहना है कि समिति में बंसल अब किसी पद पर नहीं हैं।
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