जांजगीर-चांपा. शहर में एंट्री लेने वाले ज्यादातर भारी वाहन अतिरिक्त वजन के साथ यहां की सडक़ों को जर्जर कर रहे हैं। खनिज परिवहन करते हुए भारी वाहन सडक़ों की हालत खराब कर रहे हैं। अपने वजन से तीन से चार गुना अतिरिक्त वजन लेकर सडक़ों पर दौड़ लगा रहे हैं, जिससे डामर वाली सडक़ों को सुरक्षित रख पाना भी मुश्किल हो रहा है।
नगरपालिका हो या फिर पीडब्लूडी, शहर में इनके द्वारा बनाई गई सडक़ें भारी वाहनों के आगे टिक नहीं पा रही है। सबसे ज्यादा रेत परिवहन वाले वाहनों से सडक़ों को नुकसान हो रहा है। जानकार मानते हैं कि एनएच को छोडक़र शहर और गांवों में तैयार सडक़ें इतनी मजबूत नहीं कि हर एक वाहन में 20 टन तक अतिरिक्त वजन का भार झेल सके। लगातार वाहनों के परिचालन से उसे नुकसान होना तय है। बता दें कि रेत, गिट्टी और गिट्टी खदानों के लिए जारी किए जाने वाले पीट पास में बड़ा खेल हो रहा है। खदानों से निकलने वाली गाडिय़ों के पीट पास में मटेरियल की मात्रा कम दर्शाई जा रही है, जबकि इनके वजन नापने पर ओवरलोड के हालात सामने आ रहे हैं। भारी वाहनों में 10 से 15 टन अधिक मात्रा मिल सकती है। यहां बताना लाजिमी होगा कि 10 से 12 चक्का वाले हाइवा वाहन का वजन ही 10 से 11 टन है, जबकि इनमें घनमीटर के हिसाब से 16 टन मटेरियल सप्लाई की छूट दी जा रही है, लेकिन वाहनों में 30 से 40 टन तक ओवरलोड की स्थिति सामने आ रही है। सबसे ज्यादा रेत परिवहन में वाहन अपने से तीन गुना ज्यादा वजन तय कर सडक़ों पर दौड़ लगा रहे हैं। घाट में मिलने वाले रेत के गीले होने की वजह से उसका वजन ज्यादा होता है। ऐसे में पीट पास में जितने घनमीटर का परमिशन है, उससे कहीं ज्यादा वजन से गाडिय़ां निकलती है।
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