रविवार, 1 जुलाई 2018

कृषि मंत्री के बंगले के ही कुछ लोग कमीशन लेकर चहेते सप्लायर्स को पहुंचा रहे लाभ, बीज निगम में रेट कॉन्ट्रैक्ट नहीं होने के बावजूद जबरदस्ती ली जा रही है सामग्री

जांजगीर-चांपा. कृषि विभाग में नियम-कायदों को ताक पर रखकर कुछ चहेते सप्लायर्स को करोड़ों का काम दिए जाने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि उन सप्लायर्स को प्रदेश के सभी जिलों में सप्लाई का ठेका दिलवाकर ऐसी सामग्री खरीदी जा रही है, जिसका बीज निगम में रेट कॉन्ट्रैक्ट ही नहीं है। इसके बावजूद सामग्री जबरदस्ती ली जा रही है। खास बात यह है कि यह पूरा खेल प्रदेश के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बंगले के ही कुछ लोगों द्वारा खेला जा रहा है। हालांकि इस बात से मंत्री बेखबर हैं, लेकिन समय रहते यदि इस गड़बड़झाले में संलिप्त लोगों पर नकेल नहीं कसा गया तो शासन को आर्थिक क्षति तो होनी ही है। वहीं प्रदेशभर के किसानों को अपना माथा पीटना भी पड़ेगा।

शासकीय योजनाओं में फर्जीवाड़े को लेकर कृषि विभाग वैसे ही बदनाम है। कभी शाकंभरी पंप अनुदान योजना में गड़बड़ी का मामला सामने आया तो कभी कृषि उपकरण, खाद, बीज एवं अन्य अनुदानों में भ्रष्टाचार का कालिख विभागीय अफसरों के दामन पर लगा। इसके बावजूद विभागीय मंत्री एवं शीर्ष अधिकारी अपने विभाग में चल रहे गड़बड़झाले पर लगाम कसने फिलहाल नाकाम साबित हुए हैं। इस वजह से भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे विभागीय अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं और वे खुलकर मनमानी कर रहे हैं। ताजा मामला उच्च क्वालिटी का धान बीज, मक्का बीज, नींदानाशक, मिक्रोन्यूट्रिएंट वैरायटी में किसानों को नहीं दिए जाने से संबंधित है। ‘दैनिक नवीन कदम’ को मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश के सभी जिलों में किसानों को उच्च क्वालिटी का धान बीज, मक्का बीज, नींदानाशक, मिक्रोन्यूट्रिएंट आदि का वितरण कृषि विभाग के जरिए किया जाना है। इन सामग्रियों की खरीदी तथा आपूर्ति सीधे प्रदेश स्तर से होती है। इसलिए सामग्रियों की आपूर्ति का ठेका भी प्रदेश स्तर से ही दे दिया जाता है। यहां तक तो सबकुछ ठीक है, लेकिन सामग्रियों की आपूर्ति को लेकर दिए जाने वाले ठेके में पिछले कुछ सालों से जो खेल चल रहा है, उसकी जानकारी अच्छे-अच्छों को नहीं है। सूत्रों की मानें तो राजधानी रायपुर में पदस्थ कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा विभागीय मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के कुछ करीबियों के इशारे पर काम करते हुए चेहते सप्लायर्स को पूरे प्रदेश में सामग्री आपूर्ति का ठेका दिया जा रहा है। यह क्रम पिछले तीन-चार वर्षों से चल रहा है। बताया जा रहा है कि इस काम में आरके कश्यप और राजेन्द्र अग्रवाल नामक दो लोग शुरू से ही सक्रिय हैं, जो खुद को कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का करीबी बता अपने चहेतों को धान बीज, मक्का बीज, नींदानाशक, मिक्रोन्यूट्रिएंट आदि की आपूर्ति का ठेका दिलवा रहे हैं। हालांकि इस बात की भनक विभागीय मंत्री अग्रवाल को नहीं होने की बात भी सामने आई है, लेकिन यदि कृषि विभाग में चल रहे इस गड़बड़ी पर समय रहते लगाम नहीं कसा गया तो आगे चलकर स्थिति भयावह हो सकती है।

 

सामग्रियों का रेट कॉन्ट्रैक्ट नहीं

कृषि विभाग भ्रष्टाचार को लेकर वैसे ही अक्सर सुर्खियों में रहा है, लेकिन इस बार तो विभागीय अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की सारी हदें लांघ दी है। बता दें कि बीज निगम में जिन सामग्रियों का रेट कॉन्ट्रैक्ट नहीं है, उन सामग्रियों को जबरदस्ती ली जा रही है। भ्रष्टाचार का यह खेल कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की आंखों में पट्टी बांधकर उनके नाक के नीचे ही उनके अधिकारियों एवं चमचों द्वारा खेला जा रहा है। जानकारों की मानें तो अगर इस पूरे मामले की बारीकी से जांच कराई जाए तो करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है। बशर्तें इस मामले को लेकर विभागीय मंत्री को ही संजीदगी दिखानी होगी।



जबरदस्ती थमा रहे घटिया सामग्री

राज्य सरकार द्वारा किसानों को लाभान्वित करने के मकसद से चलाई जा रही योजनाओं की हकीकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन योजनाओं से प्रदेश के किसान आखिरकार कितने संतुष्ट हैं। बता दें कि कृषि विभाग द्वारा किसानों को उच्च क्वालिटी का धान बीज, मक्का बीज, नींदानाशक, मिक्रोन्यूट्रिएंट आदि का वितरण किया जाना है, लेकिन पिछले तीन-चार वर्षों से जो साम्रगी बांटी जा रही है, उससे किसान खासे परेशान हैं। किसानों की मानें तो जो वैरायटी वे चाह रहे हैं, उसे देने के बजाय घटिया वैरायटी थमाई जा रही है। इससे उन्हें काफी नुकसान हो रहा है।

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