रविवार, 9 अप्रैल 2017

अब तो हद हो गई! भाजपाईयों ने साधी चुप्पी, अहम् मुद्दे को लेकर विपक्षी दल भी कमजोर

चांपा.  जिस मार्ग से गुजरकर नगर के लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करते थे। सरकार ने उसी मार्ग के किनारे शराब दुकान खोलकर नगरवासियों को शर्मसार कर दिया है। खास बात यह है कि गौरवपथ छग सरकार की महत्वकांक्षी योजना है, फिर भी इसमें बट्टा लगते देख नगर के भाजपाईयों का चुप रहना काफी दिलचस्प है। दूसरी ओर, प्रमुख विरोधी दल के नेताओं ने शराबबंदी के नाम पर धरना के बहाने अपनी राजनीति तो खूब चमकाई,  लेकिन जब सरकार ने गौरवपथ के किनारे ही शराब दुकान खोलकर उन्हें खुली चुनौती दे दी तो वे बंगले झांकने लग गए। 

वाह रे! छत्तीसगढ़ सरकार। पहले गौरवपथ योजना प्रारंभ कर जनता से वाहवाही बटोरी जाती है। वहीं बाद में उसमें शराब दुकान खोलकर अपनी ही योजना की धज्जियां उड़ा दी जाती है। चांपा में यदि कोई भी बेहतरीन मार्ग है तो वह है गौरवपथ। सरकार ने इसे नाम के अनुरूप बनाने के लिए जनता की काफी गाढ़ी कमाई लुटाई है। शाम ढलते ही इस मार्ग के दोनों किनारे की दूधिया रोशनी हमें महानगरों की याद दिलाती है। इस मार्ग में स्थित विवेकानंद उद्यान में जाकर बच्चे, जवान, बूढ़े व महिलाएं गदगद हो जाते थे। बीते एक अप्रैल से पहले इस गौरवपथ से गुजरने वालों को वाकई गौरव की अनुभूति होती थी, लेकिन अब मजबूरीवश इस मार्ग से गुजरने वाले खुद को कोसने विवश हैं। 

सरकार ने इस मार्ग में शराब दुकान खोलकर लोगों की भावनाओं पर ही तगड़ा प्रहार कर दिया है। नगर के कुछ लोगों का कहना है कि गौरवपथ के किनारे जब शराब खोलने के लिए प्रक्रिया प्रारंभ हुई तो कम से कम नगर के भाजपाईयों को अपनी सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना पर लगने वाले बट्टे की चिंता करनी चाहिए थी, क्योंकि सरकार को यह नहीं पता कि अपनी ही गौरवपथ योजना के शान को शराब दुकान खोलकर धूमिल किया जा रहा है। इसके बाद भी यदि प्रशासन उनकी बात नहीं सुनता तो भाजपाईयों को आगे कदम बढ़ाना चाहिए था, लेकिन  शराब  दुकान खोलने को लेकर नगर के भाजपाईयों का ध्यान सिर्फ  अपनी सरकार के इस निर्णय का विरोध न करे पर पूरी तरह केंद्रित था। यही वजह है कि नगर सहित जिले के भाजपाईयों ने इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। 

इधर, प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस शराबबंदी को मुख्य एजेंडा मानकर राज्य भर में विरोध प्रदर्शन कर रही है, लेकिन चांपा के कांग्रेसी प्यास लगी तो कुआं खोदो वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। क्योंकि गौरवपथ के किनारे जब  शराब दुकान खोलने के लिए स्थल का चयन किया गया तो कांग्रेसी मौन थे। यहां तक कि शराब दुकान खोलने के लिए नींव खोदकर निर्माण प्रारंभ किया गया, तब भी कांग्रेसियों ने कड़ा विरोध करने की जहमत नहीं उठाई। हद तो तब हो गई, जब निर्माण पूरा कर सरकार एक अप्रैल से अपनी मंशानुरूप शराब दुकान खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ की, तब चांपा के कांग्रेसियों ने महज कोरम पूरा करने के लिए धरना दे दिया। मगर जब एसडीएम के आश्वासन के बाद भी सरकार ने  शराब दुकान खोलकर आंदोलन की खिल्ली उड़ा दी, तब भी कांग्रेसी विरोध करने मुखर नहीं हुए। चांपा का प्रारंभ से ही विडबंना रहा है कि यहां के नेता राम का नाम लेकर जनहित के मुद्दों को राम नाम सत्य कर दे रहे हैं। इसके कारण ही यह नगर सदा से खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। 

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