जांजगीर-चांपा. केएसके महानदी पावर कंपनी में कार्यरत चपरासी से लेकर अफसर तक के 70 फीसदी कर्मचारी दीगर राज्यों के हैं। प्रशासनिक दबाव के चलते कंपनी प्रबंधन ने स्थानीय लोगों को काम पर रखा है, लेकिन कम मजदूरी देकर उनका शोषण किया जा रहा है। जिले के अकलतरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम नरियरा में हैदराबाद की केएसके महानदी पावर कंपनी द्वारा स्थापित 3600 मेगावाट का पावर प्लांट शुरुआत से ही विवादों में रहा है। क्षेत्र के किसानों की भूमि औने-पौने दामों में खरीदी करने व रोगदा बांध को पाटकर समतल किए जाने का मामला अब तक शांत नहीं हो पाया है। बावजूद इसके कंपनी प्रबंधन की मनमानी चरम पर है।
जानकारी के अनुसार, कंपनी प्रबंधन ने पावर प्लांट निर्माण से प्रभावित हुए भू-विस्थापितों को मुआवजा के अलावा पावर प्लांट में स्थायी नौकरी देने का लिखित करार किया है। इसके तहत् क्षेत्र के भू-विस्थापितों को रोजगार तो दिया गया है, लेकिन उन्हें स्थायी नहीं किया जा रहा है। मसलन, कंपनी प्रबंधन ने क्षेत्र के प्रभावितों को उत्पादन शुरु होने के पहले तक ठेका कंपनी के काम में लगा दिया था। अब जब प्लांट से विद्युत उत्पादन शुरू हो गया है तो प्रभावितों को कंपनी में स्थायी किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। नतीजतन, संबंधित मजदूरों को ठेका कंपनी द्वारा मनमाने दर पर मजूदरी भुगतान किया जा रहा है, जिसका लगातार विरोध हो रहा है। यहां बताना लाजिमी होगा कि एक तरफ जहां कंपनी के अफसर स्थानीय लोगों को भरपूर रोजगार देने का दांवे करते हैं, जबकि दूसरी ओर पावर प्लांट में कार्यरत् स्थानीय लोगों को कम मजदूरी देकर उनका शोषण किया जा रहा है। स्थानीय लोगों को रोजगार देने के मामले में कंपनी का रवैया शुरू से ही ठीक नहीं है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी में कार्यरत् चपरासी से लेकर अफसर तक के 70 फीसदी कर्मचारी उड़ीसा, बिहार, हैदराबाद, आन्ध््राप्रदेश और उत्तर प्रदेश के हैं, जिन्हें स्थायी रुप से काम पर रखा गया है। इस बात को लेकर कई बार आंदोलन व प्रदर्शन हो चुके हैं तथा मामले की शिकायत कलेक्टर से लेकर कमिश्रर तथा मुख्यमंत्री तक भी पहुंची है, लेकिन इस मसले को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया है। आंदोलन होने की सूचना पर प्रशासनिक अधिकारी अपने साथ पुलिस बल लेकर मौके पर पहुंचते हैं और ग्रामीण तथा भू-विस्थापितों को कानूनी कार्यवाही का भय दिखाकर शांत करा देते हैं। शासन-प्रशासन से हरसंभव सहयोग मिलने के कारण कंपनी प्रबंधन नियम-कायदों की खुलकर धज्जियां उड़ा रहा है। इससे स्थानीय लोगों के अलावा भू-विस्थापितों में खासा आक्रोश है।
श्रम विभाग में पंजीयन नहीं
केएसके महानदी पावर कंपनी में एक दर्जन से ज्यादा ठेका कंपनी कार्यरत् है, जिन्हें अलग-अलग काम के लिए ठेका दिया गया है। इन ठेका कंपनियों में कार्यरत् अधिकांश स्थानीय श्रमिकों को श्रम विभाग से परिचय पत्र नहीं मिला है। इसकी वजह इन श्रमिकों का श्रम विभाग में पंजीयन ही नहीं हो पाना है। बताया जाता है कि ठेका कंपनियों ने गिने-चुने श्रमिकों का पंजीयन कराया है, ताकि किसी हादसे के बाद संंबंधित श्रमिक के परिजन को किसी तरह का मुआवजा न देना पड़े।
मजदूरों की जान जोखिम में
केएसके पावर प्लांट में कार्यरत् स्थानीय मजदूरों को जरुरी सुविधाओं के अलावा सुरक्षा संसाधन मुहैया कराने में भी प्रबंधन उदासीन है। मजदूरों का कहना है कि काम के दौरान मजदूरों को जूता, हेलमेट व अन्य सुरक्षा सामान मुहैया नहीं कराया जाता, जिसकी वजह से उन्हें जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है। इसकी शिकायत कई बार की जा चुकी है, लेकिन कंपनी के अफसर कभी भी स्थानीय मजदूरों की बात सुनने को तैयार नहीं होते। कंपनी में निर्धारित समय से अधिक समय तक काम कराए जाने की शिकायतें भी लगातार सामने आ रही है।
प्रबंधन से जानकारी ली जाएगी
केएसके प्रबंधन के अफसरों से मामले की जानकारी ली जाएगी। शासन द्वारा निर्धारित दैनिक मजदूरी दर से कम मजदूरी भुगतान किया जाना गलत है। स्थानीय लोगों को कंपनी में प्राथमिकता के साथ काम दिलाया जाएगा। स्थानीय लोगों को स्थायी रोजगार मुहैया कराने में आनाकानी की जाती है तो कंपनी प्रबंधन के खिलाफ उचित कार्यवाही की जाएगी।
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