शुक्रवार, 19 मई 2017

यह कैसा संरक्षण पार्क, जहां भूख-प्यास से मर रहे ‘मगरमच्छ’, दो साल के भीतर दर्जन भर से ज्यादा व्यस्क मगरमच्छों की हुई मौत

जांजगीर-चांपा. जिले के ग्राम कोटमीसोनार स्थित प्रदेश के एकमात्र क्रोकोडायल पार्क में लगातार व्यस्क मगरमच्छों की मौत हो रही है। पिछले दो साल में पार्क के एक दर्जन से अधिक मगरमच्छों ने दम तोड़ा है। मगरमच्छों के मौत की वजह हर बार आहार में कमी के रूप में ही सामने आई है। मगरमच्छों की लगातार हो रही मौत से पार्क की व्यवस्था तथा अफसरों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। 

जिले के ग्राम कोटमीसोनार में मगरमच्छ की प्रजाति को संरक्षित करने के लिए साढ़े 3 करोड़ रूपए की लागत से पार्क बनाया गया है। क्षेत्रफल के हिसाब से देश के सबसे बड़े इस मगरमच्छ अभ्यारण्य में वर्तमान में 200 से ज्यादा नर व मादा मगरमच्छ है, जिन्हें गांव सहित शिवरीनारायण, सक्ती, लोहर्सी, रेड़ा, डभरा व अन्य गांवों के कुएं व तालाबों से लाकर यहां संरक्षित किया गया है। करीब दस वर्ष पूर्व प्रारंभ हुए इस मगरमच्छ अभ्यारण्य में अब जिला ही नहीं बल्कि, आसपास के जिलों से मगरमच्छों को शिफ्टिंग कराया जा रहा है। पार्क को व्यवस्थित करने के लिए राज्य सरकार हर वर्ष लाखों रूपए खर्च कर रही है, लेकिन उस राशि का उपयोग बेहतर ढंग से नहीं हो पा रहा है। इस वजह से पार्क में संरक्षित बड़े मगरमच्छों की लगातार मौत हो रही है। ग्रामीणों की मानें तो क्रोकोडायल पार्क में मगरमच्छों को शुरूआती दौर में पर्याप्त भोजन दिया जा रहा था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भोजन उपलब्ध कराने के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। मगरमच्छों के आहार के लिए हर वर्ष लाखों रूपए का बजट मिलता है, लेकिन इसमें से कितनी राशि का उपयोग होता है, यह अधिकारी स्पष्ट नहीं करते। दो साल के भीतर एक दर्जन से अधिक व्यस्क मगरमच्छों की मौत, इस बात का प्रमाण है कि उनके भोजन की राशि जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी डकार जा रहे हैं। दो वर्ष के भीतर जितने मगरमच्छों की मौत हुई है, पोस्टमार्टम के दौरान उनके पेट से मिट्टी और कंकड़ ही निकले हैं। हर बार डाक्टर ने भी स्पष्ट किया है कि मगरमच्छ को पर्याप्त भोजन नहीं मिला, जिसकी वजह से उसने मिट्टी और कंकड़ को अपना आहार बनाया और उसकी मौत हुई। ग्रामीणों का आरोप है कि पार्क में संरक्षित मगरमच्छ के बीमार होने पर उसे समुचित चिकित्सा सुविधा भी मुहैया नहीं कराई जाती। पार्क की अव्यवस्था को लेकर कोटमीसोनार के ग्रामीण लगातार शासन-प्रशासन से शिकायत कर रहे है, लेकिन किसी ने भी मामले को अब तक गंभीरता से नहीं लिया है। बहरहाल, करोड़ों की लागत से क्रोकोडायल पार्क निर्मित होने के बावजूद मगरमच्छ की प्रजाति यहां संरक्षित नहीं हो पा रही है।
 

फिर एक मगरमच्छ ने तोड़ा दम

क्रोकोडायल पार्क में संरक्षित किए गए मगरमच्छों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। बुधवार को एक व्यस्क मगरमच्छ ने फिर दम तोड़ा है। बताया जा रहा है कि गर्मी की वजह से पार्क के मुड़ा तालाब में पानी कम हो गया है, जिसकी वजह से वयस्क मगरमच्छ एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं। जिस मगरमच्छ की मौत हुई है, वह दूसरे मगमरमच्छ के हमले से जख्मी होकर पिछले कई दिनों से बीमार था। इसके बावजूद उसका उपचार नहीं करवाया गया। हद की बात तो यह है कि व्यस्क मगरमच्छ की मौत बुधवार को हुई थी, लेकिन सीएम के जिला प्रवास पर होने के कारण मामले को दबा दिया गया और गुरूवार को मृत मगरमच्छ का पोस्टमार्टम कराया गया। ग्रामीणों ने बताया कि मगरमच्छ की मौत होने के बाद समय पर पीएम नहीं कराया गया, जिसके कारण शव से काफी बदबू आ रही थी।
 

छोटे मगरमच्छ भी सुरक्षित नहीं

पार्क में संरक्षित मादा मगरमच्छ तालाब के बीच टापू पर अंडे देती है और दिन-रात उसकी रखवाली करती है। अंडों से जैसे ही बच्चें निकलते है और पानी में उतरकर तैरने की कोशिश करते है, तभी भोजन की ताक में बैठे नर मगरमच्छ उन्हें एक झटके में निगल जाते हैं। ऐसे में महज 10 से 15 फीसदी बच्चे ही मादा मगरमच्छ बचा पाती है। छोटे मगरमच्छों को सुरक्षित रखने के लिए पार्क में हेचरी का निर्माण कराया गया है, लेकिन उसमें भी छोटे मगरमच्छों को शिफ्टिंग को लेकर अफसर गंभीर नहीं हैं। इस वजह से पार्क में छोटे मगरमच्छ भी सुरक्षित नहीं हैं।
 

पार्क प्रभारी पर मनमानी का आरोप

क्रोकोडायल पार्क में व्याप्त अव्यवस्था को लेकर ग्रामीण हमेशा प्रभारी पर ही आरोप लगाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मगरमच्छों के भोजन के लिए स्वीकृत राशि को पार्क के प्रभारी हजम कर जाते हैं। पार्क में मगरमच्छों के भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिससे लगातार मगरमच्छ मर रहे हैं। इसके अलावा पार्क प्रभारी ड्यूटी से आए दिन नदारद रहते है, जिसके कारण मगरमच्छों की देखरेख नहीं हो पाती। मगरमच्छ के भोजन के लिए स्वीकृत राशि में भारी गोलमाल किया जाता है।
 

आपस में लडऩे से मगरमच्छ की मौत

कोटमीसोनार स्थित मगरमच्छ संरक्षण परियोजना में दो मगरमच्छों के आपस में लडऩे से नर प्रजाति के एक मगरमच्छ की मृत्यु हुई है। मेरी उपस्थिति में मृत मगरमच्छ का दाह संस्कार कराया गया। इसके लिए वरिष्ठ कार्यालय से अनुमति प्राप्त की गई थी।

-सतोविशा समाजदार, डीएफओ, चांपा वन मंडल

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