शनिवार, 27 मई 2017

किसी ने कहा-शौचालय बनवा दो तो कोई बोला-पेंशन दिला दो, जनसुनवाई को जनसमस्या निवारण शिविर आखिर क्यों समझ बैठे ग्रामीण!

मेसर्स श्री बालाजी मेटल्स एण्ड मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड के लिए हुई जनसुनवाई


जांजगीर-चांपा. साहब... मैं अत्यंत गरीब हूं, घर में शौचालय बनवाने के लिए महीनों पहले सरपंच को अर्जी दी हूं, लेकिन अब तक शौचालय निर्माण नहीं हुआ है। पेंशन योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है, पेंशन भी दिलवा दीजिए...साहब। ऐसा कहना था बाराद्वार के समीपस्थ ग्राम डूमरपारा और आसपास के गांव की उन महिलाओं का, जो मेसर्स श्री बालाजी मेटल्स एण्ड मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड के क्षमता विस्तार की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए शनिवार को ग्राम डूमरपारा में आयोजित जनसुनवाई को जनसमस्या निवारण समझ बैठी थी। जनसुनवाई में शामिल होने पहुंची क्षेत्र की अधिकांश महिलाओं को यह तक पता नहीं था कि यह कोई सरकारी समाधान शिविर नहीं, बल्कि प्रस्तावित डोलोमाइट माइनिंग के क्षमता विस्तार के लिए आयोजित जनसुनवाई है। क्षेत्रवासी गुमराह किस वजह से हुए, यह जांच का विषय है।

दरअसल, बाराद्वार क्षेत्र के ग्राम डूमरपारा में शनिवार को मेसर्स श्री बालाजी मेटल्स एण्ड मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा क्षमता विस्तार के तहत प्रस्तावित डोलोमाइट माइनिंग क्षमता 1.50 टीपीए से 3.100 टीपीए की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए जनसुनवाई आयोजित की गई थी। पर्यावरणीय जनसुनवाई की शुरूआत सुबह 11.30 बजे अपर कलेक्टर डीके सिंह की विधिवत् घोषणा के साथ क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी अनीता सावंत, सक्ती एसडीएम इंद्रजीत बर्मन तथा एडिशनल एसपी पंकज चंद्रा की उपस्थिति में हुई। जनसुनवाई की शुरूआत में कंपनी प्रबंधन की ओर से उपस्थित लोगों को क्षमता विस्तार से संबंधित जानकारी दी गई। इसके बाद बारी-बारी लोगों को अपनी बात रखने के लिए आमंत्रित किया गया। ग्राम डूमरपारा निवासी पुष्पेन्द्र राठौर ने सबसे पहले अपनी बात रखी। 

उन्होंने कहा कि क्षमता विस्तार के कंपनी को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलनी चाहिए। इसी क्रम में ग्राम डूमरपारा के मूलचंद सतनामी ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। हैदराबाद के सुनंदा रेड्डी ने कहा कि डोलोमाइट माइनिंग के क्षमता विस्तार से क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, इसलिए कंपनी प्रबंधन को पर्यावरणीय स्वीकृति मिलनी चाहिए। जनपद पंचायत सदस्य राजेश कुमार राठौर ने कहा कि बाराद्वार तथा आसपास के क्षेत्र से अत्यधिक मात्रा में डोलोमाइट का उत्खनन होता है, किन्तु खनन का लाभांश क्षेत्र को नहीं मिल रहा है। ग्राम डूमरपारा के दूजराम साहू ने कहा कि मेसर्स श्री बालाजी मेटल्स एण्ड मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बेरोजगारों को रोजगार देने का वायदा पहले भी किया गया था, किन्तु रोजगार नहीं दिया गया। कंपनी प्रबंधन ने क्षेत्र में एक भी विकास कार्य नहीं करवाया है। 

क्षेत्र के लोग प्रदूषण की चपेट में आकर कैंसर सहित अन्य बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। कई लोगों की जान तक जा चुकी है। प्रदूषण से उपजाऊ भूमि भी बर्बाद हुई है। डूमरपारा निवासी राजू बंजारे ने कहा कि बेरोजगारों को काम देने का वायदा तो किया जाता है, किन्तु अपना काम निकालने के बाद कंपनी प्रबंधन क्षेत्र के लोगों से किए गए वायदों से मुकर जाता है। इसलिए उन्हें आपत्ति है। इसी क्रम में ग्राम डूमरपारा निवासी महिला नहरबाई ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उसके घर में शौचालय नहीं है, इंदिरा आवास योजना का लाभ भी अब तक नहीं मिला है। इसलिए उसे और परिवार के लोगों को असुविधा हो रही है। 

महिला की बात सुनकर मंच पर बैठे प्रशासनिक अधिकारी हतप्रभ हो गए। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि नहरबाई पर्यावरणीय जनसुनवाई में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने की शिकायत आखिर क्यों कर रही है। नहरबाई की बात सुनने के बाद अधिकारियों ने जब दूसरी महिलाओं को बोलने का अवसर दिया तो किसी ने पेंशन नहीं मिलने, राशन कार्ड से नाम कट जाने, जमीन का पट्टा नहीं मिलने, पेंशन नहीं मिलने सहित अन्य मुद्दों को उठाया, जिसे सुनकर प्रशासनिक अफसर हड़बड़ा गए। वे क्षेत्र की महिलाओं एवं ग्रामीणों को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि ये शासन-प्रशासन द्वारा आयोजित कोई जनसमस्या निवारण शिविर नहीं, बल्कि पर्यावरणीय जनसुनवाई है। 

इसके बाद भी क्षेत्र के बुजुर्ग और ग्रामीण महिलाएं समझने को तैयार नहीं थी। ऐसे में उनसे सरकारी योजनाओं से लाभान्वित नहीं हो पाने संबंधी आवेदन लेकर उन आवेदनों को अलग से रखा गया, जिसे बाद में सक्ती एसडीएम बर्मन तथा तहसीलदार को उचित कार्यवाही के लिए सौंपा गया। पर्यावरणीय जनसुनवाई करीब दो घंटे तक चली। इस दौरान लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी। किसी ने विरोध जताया तो किसी ने क्षमता विस्तार के लिए पर्यावरणीय मंजूरी देने पर अपनी सहमति जताई। पर्यावरण संरक्षण मंडल बिलासपुर द्वारा पूरी जनसुनवाई की वीडियोग्राफी तैयार कराई गई। अंत में कंपनी के जिम्मेदारों ने प्राप्त आपत्तियों के संबंध में अपना पक्ष रखा। जनसुनवाई की कार्यवाही करीब डेढ़ बजे समाप्त हुई। इस दौरान जनसुनवाई स्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।

कई जिलों से पहुंचा था बल

कुछ दिनों पहले बलौदा में आयोजित पर्यावरणीय जनसुनवाई में हुए भारी हंगामे को मद्देनजर रखते हुए पुलिस और प्रशासन ने इस बार तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। जनसुनवाई स्थल पर जिले समेत रायगढ़ और कोरबा जिले के बल को तैनात किया गया था। वहीं जिले समेत रायगढ़ जिले के कई डीएसपी, सीएसपी, थानेदार और उपनिरीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी। आलम यह था कि जनसुनवाई स्थल पर जितने ग्रामीण और क्षेत्रवासी नहीं थे, उससे दोगुनी पुलिस फोर्स थी। जनसुनवाई स्थल को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया था।

उठा पेड़ कटाई का मुद्दा

जनसुनवाई में पेड़ों की कटाई का मुद्दा भी क्षेत्रवासियों ने उठाया। लोगों ने कहा कि डोलोमाइट माइंस नियोजक द्वारा पूर्व में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कराई गई है। साथ ही क्रशर से उडऩे वाली धूल के रोकथाम के लिए पर्यावरण नियमों की अनदेखी की जा रही है। सिर्फ  कागजी आंकड़ों में वृक्षारोपण कर दिए गए हैं। लोगों ने यह भी कहा कि जिस स्थान पर बालाजी मिनरल्स एण्ड मेटल्स की डोलोमाइट खदान संचालित की जा रही है, उसी स्थान पर पूर्व में स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन की खदान संचालित थी, जिसे पर्यावरण नियमों का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपालन में बंद कराया गया था, किन्तु अधिकारियों ने उसी स्थान से माइनिंग के लिए बड़े उद्योगपति को पुन: नियोजित तरीके से लीज स्वीकृत करवा दिया है।

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