चांपा. अपने नए-नए कारनामों से आए दिन सुर्खियों में रहने वाले लायंस स्कूल प्रबंधन ने छात्रों के भविष्य से खेलने पूरी तैयारी कर ली है। कलेक्टर और व्यवहार न्यायालय में फर्जी एनओसी के जरिए स्कूल संचालन करने का मामला अभी लंबित है। वहीं चांपा एसडीएम, नगरपालिका सीएमओ और थाना प्रभारी ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ जांच कर जिस तरह की रिपोर्ट सौंपी है, उससे स्कूल को मान्यता मिलना असंभव है। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन इतने ओवर कांफिडेंस में है कि फर्जी रूप से हथियाई मान्यता का नवीनीकरण हो जाएगा। इस उम्मीद में स्कूल प्रबंधन ने जहां नए छात्रों का प्रवेश प्रारंभ कर दिया है, वहीं स्कूल में पढऩे वाले अन्य बच्चों को अगली कक्षा में प्रवेश कराया जा रहा है। हैरत की बात तो यह है कि प्रवेश उत्सव मनाने अपनी फोटो छपवाई जा रही है।
चांपा निवासी राकेश शर्मा ने लायंस स्कूल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शर्मा की पहल से लोगों को यह जानकारी हुई कि नगर व देश की प्रतिष्ठित संस्था लायंस क्लब के जिम्मेदारों ने लाभ कमाने के लिए किस तरह नियमों से खिलवाड़ किया। अब तक सामने आए दस्तावेजों के मुताबिक करीब 70 की दशक में लायंस क्लब की मांग पर नगरपालिका परिषद चांपा ने शिशु उद्यान और मीटिंग हॉल के लिए जमीन आवंटित की थी। हालांकि राजस्व दस्तावेजों में अब भी भू-मालिक नगरपालिका ही है। दान में मिली जमीन को अपनी मीलकियत हक समझकर इन्होंने लाभ कमाने के लिए बगैर प्रक्रिया का पालन किए स्कूल खोल दिया। लायंस प्रबंधन पर आरोप है कि स्कूल बनवाने के लिए यहां सालों से मौजूद कुएं को भी पाट दिया। इतना ही नहीं, कई पेड़ों को भी बेदर्दी से काट दिया गया। धीरे-धीरे स्कूल का विस्तार होता गया। आज यह स्कूल नगर का प्रतिष्ठित माना जाता है। यहां विद्यार्थियों की संख्या दो हजार से अधिक है। शर्मा ने इस मामले में कलेक्टर और व्यवहार न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया है। न्यायालय के आदेश पर चांपा की तत्कालीन एसडीएम चंद्रकांता धु्रव ने मामले में जांच की। उन्होंने नगरपालिका सीएमओ ज्योत्सना टोप्पो और थाना प्रभारी अभिनवकांत सिंह से कई बिंदुओं पर प्रतिवेदन मांगा। रिपोर्ट मिलने के बाद एसडीएम ने जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा। इसमें उन्होंने स्कूल का संचालन फर्जी तरीके से करने की बात कही है। उन्होंने नगरपालिका की एनओसी को भी गलत करार दिया है। इसके अलावा एसडीएम ने लायंस प्रबंधन को कई मामलों में कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए डीईओ जीपी भास्कर ने स्कूल की मान्यता संबंधी नवीनीकरण करने से हाथ खड़ा कर दिया। वहीं मान्यता शाखा रायपुर भी इस मामले से किनारा कर रहा है। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों को किस उम्मीद में प्रवेश दिया जा रहा है, यह समझ से परे है। लाभ कमाने के फेर में लायंस प्रबंधन ने हजारों छात्रों के भविष्य को ही दांव में लगा दिया है। प्रबंधन की इस लापरवाही से खासकर बोर्ड परीक्षा देने वाले आठवीं, दसवीं व बारहवीं के छात्रों को प्राइवेट परीक्षा दिलानी होगी।
पास-फेल का चल रहा गोरखधंधा
लायंस स्कूल में पढऩे वाले छात्रों से नंबर बढ़ाने के नाम से हजारों रुपए ऐंठा जाता है। इसका खुलासा हाल ही में एक प्रकरण से हुआ है। पीडि़त के मुताबिक, वह छात्र किसी कारण से पर्याप्त उपस्थिति नहीं दे सका। इस वजह से वह पढ़ाई में काफी पिछड़ गया था। उसने यह बात स्कूल के कुछ लोगों को बताई तो यहां के चार शिक्षक सक्रिय हो गए। उन्होंने नंबर बढ़वाने के एवज में 7500 रुपए की मांग की। यह बात स्कूल की एक महिला शिक्षिका को पता चली, तब उसने जागरूक शिक्षक का परिचय देते हुए प्रबंधन से शिकायत की तो उल्टा गलत कार्य करने वाले शिक्षकों पर शिकंजा कसने के बजाय उसी महिला शिक्षक को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। इससे समझा जा सकता है कि स्कूल में पास-फेल कराने का गोरखधंधा भी चल रहा है।
मान्यता का नवीनीकरण हो जाएगा
लायंस स्कूल संचालन करने संबंधी मान्यता तो पहले ही मिल गई थी। अभी उसका नवीनीकरण करने आवेदन दिया गया है। मान्यता का नवीनीकरण हो जाएगा। इसलिए स्कूल में प्रवेश दिया जा रहा है।
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