सोमवार, 21 अगस्त 2017

चित्रोत्पला महानदी में मिल रहा शहर भर की नालियों का गंदा पानी, धार्मिक नगरी चंद्रपुर में स्वच्छता अभियान का बुरा हाल

अजीत पाण्डेय @ चंद्रपुर.  राज्य सरकार और केंद्र सरकार एक ओर करोड़ों खर्च कर स्वच्छ भारत मिशन की ढोल पीट रही हैं। वहीं नगरीय निकाय इसके नाम पर हजारों, लाखों खर्च कर रहे हैं। इसके बाद भी नगर पंचायत चंद्रपुर में जगह-जगह कचरे का ढेर लगा हुआ है। जबकि सरकार द्वारा यह घोषणा किया गया है कि यह अभियान राजनीति के ऊपर है, लेकिन यह अभियान आज इसी राजनीतिक व प्रशासनिक व्यवस्था के लचर हाथों में दम तोड़ रहा है।

नगर पंचायत चंद्रपुर में स्वच्छ भारत मिशन के मायने ही बदले नजर आते हैं। पूरे नगर का कचरा या तो नगर पंचायत की गलियों में बिखरा पड़ा मिलता है या इसे खानापूर्ति के नाम पर उठा कर बीच बस्ती, मुख्य मार्ग, नगर पंचायत भवन के पास, सांई मंदिर, धर्मशाला, थाना भवन के सामने लाकर फेंक दिया जाता है। इससे वहां के वातावरण को प्रदूषित करता यह कचरा नदी-नालों में बहता नजर आता है। दुर्भाग्यजनक स्थिति तब बनती है जब भारी भरकम बजट खर्चकर इस धार्मिक नगरी में प्रत्येक पूर्णिमा महानदी आरती जैसे कार्यक्रमों का आयोजन जिम्मेदार लोग करते हंै और महानदी को स्वच्छ रखने संकल्प लेते हैं। इस संकल्प अभियान में बड़े अधिकारी से प्रदेश स्तर के नेता सम्मिलित होते हैं, लेकिन कुछ दूर पर ही नगर पंचायत गंदे नालियों के साथ गंदा मैला पानी महानदी में उड़ेल देता है। जहां बाहर से आए श्रद्धालुओं सहित सावन, कार्तिक आदि के धार्मिक महत्व के दिनों में सैकड़ों-हजारों लोग दूर दूर से स्नान को आते हैं। यही कुछ मीटर दूर बाकायदा रेत घाट पर अवैध रेत परिवहन वाले वाहनों के रोक में लगे खंभों को तोडक़र सारा कचरा महानदी तट पर बिखेर दिया जा रहा है, जहां पर्यावरण प्रदूषित होने साथ ही नदी के जल में गंदगी को मिलाने का जो काम नगरपंचायत कर रही है, वह इनके स्वच्छ भारत मिशन सहित महानदी की पवित्रता को लिए दिखावटी संकल्प की गंभीरता को उजागर कर रहा है। 

वहीं नदी में नहाने के घाट के पास ही गंदे पानी की नालियों को नदी में लाकर मिला दिया जा रहा है। इन सब कचरे की वजह से मजार मोड़ के करीब से मुर्गे आदि के कटाव से होने वाली गंदगी सडांध भरी बदबू के साथ करीब ही शनि मंदिर के पास से गुजरती नाली व कचरे के ढेर की तेज सड़ांध लोगों का जीना मुहाल कर रही है। घाट के रास्ते में नगर का पूरा गंदा मलबा बिखरा पड़ा है, जिसकी गंदगी और गंध से दो-चार होकर ही नदी तक जाया जा सकता है। ऐसे में बिखरे कचरे में से लावारिस मवेशी भी प्लास्टिक और गंदा कचरा खाकर बीमार हो रहे हैं, जिनसे बेखबर नगर पंचायत कागजी लीपापोती में व्यस्त है। इस संबंध में स्थानीय निवासी मनोज पुरोहित का कहना है कि मना करने पर भी नगर पंचायत के कर्मचारी नहीं मान रहे हैं। यहां वाहनों के प्रवेश पर रोक को लगे खंभे को उखाडक़र गाड़ी नदी किनारे ले जा कर पूरे नगर का कचरा फेंक रहे हैं। गंदे नाली के पानी व कचरे के मिलने से नदी के पानी मे खुजली और बदबू है। 

नहाने से लेकर निस्तारी में बहुत समस्या है। कई बार नगर पंचायत में मौखिक व लिखित शिकायत की गई, लेकिन सब मनमर्जी से चल रहा है। वहीं इस संबंध में मुख्य नगर पंचायत अधिकारी देवप्रसाद साहू का कहना है कि उन्हें इस सम्बंध में विशेष जानकारी नही है। जानकारी लेकर कार्यवाही करेंगे। वार्ड क्रमांक एक के पार्षद देवराज देवांगन का कहना है कि उनकेे द्वारा कई बार नदी किनारे इस स्थान पर कचरा फेंकने से मना किया गया है। लोक सुराज में भी आवेदन दिया गया था, परन्तु सब मनमर्जी से कर रहे हैं। नगर पंचायत प्रशासन इसके लिए जिम्मेदार है। घाट आने-जाने वालों के साथ मोहल्लेवासियों को बहुत परेशानी हो रही है। इस मसले को लेकर नपं के अफसरों से बात की जाएगी।

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