डभरा. ग्राम लटेसरा में शिक्षक के पद पर पदस्थ देवनारायण लहरे शिक्षक की भूमिका बेहतरी से निभा तो रहे ही हैं साथ ही वे उक्त स्कूल के जरुरतमंद बच्चों को कॉपी, पेंसिल बांटकर शिक्षा की अलख जगाने में लगे हुए हैं।
वे अपने वेतन का कुछ हिस्सा गरीब बच्चों को पढ़ाई में मदद करने में खर्च करते हैं।
वे अपने वेतन का कुछ हिस्सा गरीब बच्चों को पढ़ाई में मदद करने में खर्च करते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं, स्कूल के नन्हे बच्चों को उनके द्वारा लैपटॉप से भी पढ़ाया जाता है। वे कार्टून के साथ ही साथ कखग व गणित को भी रोचक तरीके से पढ़ाते हैं, जिससे बच्चों की रूचि पढऩे में और बढ़ जाती है। जिले के छोटे से गांव मेढ़ापाली में पले-बढ़े देवनारायण लहरे की शुरूआती शिक्षा उनके ग्राम के ही सरकारी स्कूल से पूरी हुई। वे सरकारी स्कूल में ही पढ़-लिखकर आज शिक्षक के पद पर पदस्थ हैं। इनके पिता गंगाधर लहरे कोटमी में संगीत शिक्षक रहे हैं, जिनकी संगीत शिक्षा से भी हजारों बच्चे लाभांवित हुए। डभरा हायर सेकण्डरी स्कूल से व्याख्याता के पद से वे सेवानिवृत्त हुए। शिक्षा के क्षेत्र में शुरू से ही कुछ अलग करने की चाह में वे हमेशा नए-नए तरीकों से बच्चों को पढ़ाने तथा जरूरतमंद बच्चों की सहायता कर उनको पढऩे के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें