शनिवार, 9 सितंबर 2017

श्रम पदाधिकारी कार्यालय में पैसा फेंक दलाली देख! दलालों के हिसाब से काम करते हैं अफसर, श्रमिक बेहाल

राजेन्द्र जायसवाल @ जांजगीर-चांपा. केन्द्र और राज्य सरकार श्रमिकों के हित में दर्जनों योजनाएं चला रही हैं। सरकार की सोंच है कि शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर श्रमिक आत्मनिर्भर बनेंगे, लेकिन श्रमिकहित से जुड़ी तमाम् योजनाओं पर विभाग के अफसर ही पलीता लगा रहे हैं। वे दलालों के साथ सांठगांठ कर उन्हीं लोगों को योजना का लाभ दिलवा रहे हैं, जिनसे उन्हें मोटी रकम मिल रही है। वहीं योजनाओं से वे श्रमिक वंचित हो रहे हैं, जिन्होंने दलालों का सहारा नहीं लिया है। 

कृषि प्रधान से औद्योगिक जिला के रूप में पहचान बना रहे जांजगीर-चांपा जिले में वर्तमान में हजारों की संख्या में श्रमिक हैं। कुछ श्रमिक उद्योगों में मजदूरी कर रहे हैं तो अधिकांश श्रमिक दिहाड़ी करके जीवकोपार्जन कर रहे हैं। ऐसे श्रमिकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार कई योजनाएं संचालित कर रही हैं। योजनाओं से लाभान्वित होने के लिए श्रमिकों का श्रम विभाग में पंजीयन होना जरूरी है, जिसे ध्यान में रखते हुए श्रमिकों ने श्रम कार्यालय में अपना पंजीयन भी करवाया है, लेकिन पंजीकृत श्रमिकों को शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, यह हम नहीं कह रहे, बल्कि वे सभी श्रमिकों का आरोप है, जिन्होंने पांच साल पहले श्रम कार्यालय में अपना पंजीयन करवाया था, लेकिन उन्हें अब तक किसी योजना का लाभ नहीं मिला है। शुक्रवार को श्रम पदाधिकारी कार्यालय पहुंचे श्रमिकों ने बताया कि उन्होंने पांच साल पहले पंजीयन करवाया था, लेकिन अब तक उन्हें कोई लाभ नहीं मिला है। महिला श्रमिकों ने बताया कि न तो उन्हें साइकिल प्रदान की गई है और न ही सिलाई मशीन दी गई है। उनका आरोप है कि श्रम पदाधिकारी कार्यालय में दलालों का बोलबाला है। दलालों की अफसरों से इतनी तगड़ी सेटिंग है कि वे अपना हिसाब से कार्यालय के कामकाज का संचालन करवा रहे हैं। उनका कहना है कि जो श्रमिक योजना का लाभ लेने के लिए दलालों का सहारा लेता है, उन्हें शीघ्र ही योजनाओं का लाभ मिल जाता है, लेकिन जो दलालों को मुंहमांगी रकम नहीं देता, उनकी बात कोई सुनने तक को तैयार नहीं। श्रमिकों का यह भी आरोप है कि श्रम पदाधिकारी पूरी तरह से दलालों के चंगुल में हैं, जो उनके इशारे पर काम करते हैं। बहरहाल, श्रमिकों का आरोप सही है अथवा गलत, यह तो जांच का विषय है, लेकिन यह बात सौ फीसदी सच है कि दफ्तर खुलते ही वहां मजमा लगाए दलाल दफ्तर बंद होने तक अपनी मनमानी करते हैं।
 

अफसर के कक्ष में दलाली

रमन सरकार एक तरफ यह कहती है कि सरकारी नुमाइंदे कमीशनखोरी बंद करें, वरना ठीक नहीं होगा, लेकिन श्रम पदाधिकारी कार्यालय में खुलेआम कमीशनखोरी हो रही है। दिलचस्प बात यह है कि दलाल यहां अफसर के कक्ष में बैठकर ही योजनाओं का लाभ दिलाने श्रमिकों से सौदेबाजी करते हैं। सौदेबाजी का खेल अफसर की आंखों के सामने खुलेआम होता है और अफसर, महात्मा गांधी के तीन बंदरों की कहावत को चरितार्थ करते हुए धृतराष्ट बनकर बैठे रहते हैं। इससे अफसर की कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में है।
 

शिकायत पर कार्यवाही नहीं

श्रम पदाधिकारी कार्यालय में दलालों की घुसपैठ होने की शिकायत कई मर्तबा कलेक्टर से लेकर विभागीय उच्चाधिकारी एवं मंत्री तक पहुंच चुकी है, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। यहां बताना लाजिमी होगा कि श्रम कार्यालय में पदस्थ कई कर्मचारी ड्यूटी के दौरान ही शराब के नशे में चूर रहते हैं, जो श्रमिकों के साथ बदसुलूकी करने से गुरेज नहीं करते। इसकी शिकायत भी विभाग के सचिव तक पहुंच चुकी है, लेकिन तमाम शिकायतें रद्दी की टोकरी में डाल दी गई हैं।

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