रविवार, 24 सितंबर 2017

छग अंत्यावसायी में वर्षों से भर्ती बंद, फिर भी दो ड्राइवरों की कर ली भर्ती, नियम-कायदों को ताक पर रखकर दोनों ड्राइवरों को किया गया नियमित

जांजगीर-चांपा. छत्तीसगढ़ अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में पदोन्नति, स्थानांतरण तथा नियुक्ति के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। निगम में वर्षों से भर्ती बंद है, इसके बावजूद दो ड्राइवरों की भर्ती कर ली गई है। सिर्फ इतना ही नहीं, नियम-कायदों को ताक पर रखकर उन दोनों ड्राइवरों को नियमित भी कर दिया गया है। ‘दैनिक नवीन कदम’ के हाथ लगे दस्तावेजों से प्रमाणित हो रहा है कि निगम में पदस्थ उच्चाधिकारी एवं शासन द्वारा नियुक्त पदाधिकारियों द्वारा नियम-कायदों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर गफलतबाजी की गई है। 

छत्तीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम, आदिम जाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग के अधीन है। यहां अधिकारियों एवं कर्मचारियों के तबादले के नाम पर जो खेल खेला गया है वो राज्य में पहला मामला तो है ही, साथ ही यहां नियम-कायदों को ताक पर रखकर दो ड्राइवरों की भर्ती भी कर ली गई है। ‘दैनिक नवीन कदम’ को प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में वर्षों से कर्मचारियों की भर्ती बंद है। इसके बावजूद, ड्राइवर के पद पर यहां दो लोगों की अस्थायी नियुक्ति की गई थी, जिन्हें वर्ष 2005 में नियमित भी कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि निगम के उच्चाधिकारी एवं कुछ पदाधिकारियों द्वारा नियमित करने के एवज में उनसे पांच-पांच लाख रुपए लिए गए हैं। गड़बड़ी के इस खेल को निगम के अध्यक्ष के निर्देश पर उच्चाधिकारी ने अंजाम दिया है, जिसकी शिकायत विभागीय मंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तक पहुंची है, लेकिन शिकायत पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। वहीं दूसरी ओर, राज्य सरकार का अंग होने के बावजूद निगम-मंडलों में राज्य की स्थानांतरण नीति लागू नहीं है। इसी का फायदा निगम के चैयरमेन और प्रबन्ध संचालक उठा रहे हैं। छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम के एमडी यानी प्रबंध संचालक जीआर चुरेन्द्र ने 28 अप्रैल और 2 मई 2017 को थोक के भाव में स्थानांतरण आदेश जारी किया, लेकिन बाद में 26 मई को बिना कोई कारण दर्शाये तबादला किए गए अधिकारियों-कर्मचारियों को कार्यमुक्त नहीं करने का आदेश जारी कर दिया गया। इसके बाद पदस्थापना का खेल शुरू हुआ। इस दौरान स्थानांतरित किए गए 38 अधिकारी-कर्मचारियों में से 17 को यथावत या निरस्त कर अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया। इनमें से भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे कई अधिकारियों को मनमुताबिक जगह पर पदस्थ किया गया है। ऐसे अधिकांश अधिकारियों के खिलाफ  विभागीय जांच में दोष साबित हो गया है या फिर इनके खिलाफ  आपराधिक प्रकरण चल रहे हैं। छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में वैसे तो कोई भी ऐसा जिला नहीं है, जहां भ्रष्टाचार उजागर नहीं हुआ हो। मगर इनमें से बहुचर्चित अधिकारी सीधे एमडी और चेयरमैन के संपर्क में आए और मनमुताबिक स्थान पर पदस्थापना ले ली। निगम में भ्रष्टाचार के डेढ़ दर्जन मामले चल रहे हैं, जिनमें अधिकांश वही अधिकारी लिप्त हैं, जिन्हें मनचाहे स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है। बहरहाल, छत्तीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में कुछ वर्षों के भीतर बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की शिकायत निगम के ही एक सदस्य पवन मेश्राम ने हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से की है। अब देखना यह है कि निगम के सदस्य की शिकायत पर राज्य सरकार आखिरकार क्या रूख अपनाती है।
 

नियम विरूद्ध कर दिया नियमित

छत्तीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में दो वाहन चालकों की भर्ती कर उन्हें नियमित किया गया है, जो पूर्णत: अवैध है। क्योंकि, निगम में वर्षों से कर्मचारियों की भर्ती बंद है। कुछ वर्षों के भीतर निगम में करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है, जिसे निगम के कुछ उच्चाधिकारी और पदाधिकारियों ने मिलकर अंजाम दिया है। इस पूरे मामले की शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री से करते हुए उचित कार्यवाही की मांग की गई है।

-पवन मेश्राम, सदस्य, छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम

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