जांजगीर-चांपा. कहते हैं परिवार को टूटने से बचाना पुण्य का कार्य है। यह कार्य हर किसी के बस की बात नहीं है, लेकिन जिला मुख्यालय की वरिष्ठ अधिवक्ता शशिकांता राठौर ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को करके समाज में एक मिसाल पेश की है। वे पिछले सात वर्षों से परिवार परामर्श केन्द्र में पहुंचे पक्षकारों को नि:शुल्क परामर्श दे रही हैं। उन्होंने इस अवधि में परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद, उससे होने वाले अवसाद एवं अलगाव की स्थिति को काउंसलिंग के जरिए दूर कर तकरीबन एक हजार से अधिक परिवार को टूटने से बचाया है।

मध्यस्थता विषय पर लिया प्रशिक्षण
अधिवक्ता शशिकांता ने बताया कि उन्होंने मध्यस्थता विषय पर चालीस घंटे का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम रायपुर और भिलाई में रखा गया था, जिसमें प्रदेश के अलावा दिल्ली के कई वरिष्ठ न्यायाधीशों ने शिरकत की थी। प्रशिक्षण के दौरान न्यायाधीशों ने मध्यस्थता विषय की बारीकियों को बताया। प्रशिक्षण में प्राप्त किया गया ज्ञान आज परिवार परामर्श केन्द्र में पहुंचे बिखरे परिवारों को जोडऩे के काम आ रहा है।
सशक्त होगी नारी, तभी होगी समग्रता
अधिवक्ता शशिकांता राठौर का मानना है कि नारी सशक्त तभी होगी, जब उसमें सम्पूर्णता और समग्रता होगी। इस दिशा में भी वे पहल कर रही हैं। इसके लिए महिलाओं को कानूनी जानकारी देने, लैंगिक भेदभाव को दूर करने, जागरुकता लाने आयोजित शिविरों में उपस्थित होकर मागदर्शन प्रदान करती हैं। इसके अलावा बाल प्रताडऩा को रोकने के लिए बच्चों को नैतिक शिक्षा की जानकारी दे रहीं हैं।
वर्तमान में अलगाव हो गई आम बात
अधिवक्ता शशिकांता के मुताबिक बीते सात वर्षों के दौरान हजारों मामलों में उन्होंने काउंसलिंग की है। उन्होंने दावा किया कि एक हजार से भी अधिक मामलों में पहल काम आई और परिवार टूटने से बच गए। इसमें दोनों पक्षों ने भी जागरुकता दिखाई। उनका कहना है कि वर्तमान में परिवारों और खासकर पति-पत्नी में अलगाव की स्थिति आम हो गई है, जिसे बेहतर काउंसलिंग के जरिए बचाया जा सकता है।
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