रविवार, 24 सितंबर 2017

सात वर्षों के भीतर टूटने से बचाए 1000 से अधिक परिवार, परिवार परामर्श केन्द्र में अधिवक्ता शशिकांता दे रहीं नि:शुल्क परामर्श

जांजगीर-चांपा. कहते हैं परिवार को टूटने से बचाना पुण्य का कार्य है। यह कार्य हर किसी के बस की बात नहीं है, लेकिन जिला मुख्यालय की वरिष्ठ अधिवक्ता शशिकांता राठौर ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को करके समाज में एक मिसाल पेश की है। वे पिछले सात वर्षों से परिवार परामर्श केन्द्र में पहुंचे पक्षकारों को नि:शुल्क परामर्श दे रही हैं। उन्होंने इस अवधि में परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद, उससे होने वाले अवसाद एवं अलगाव की स्थिति को काउंसलिंग के जरिए दूर कर तकरीबन एक हजार से अधिक परिवार को टूटने से बचाया है। 

जिला मुख्यालय जांजगीर निवासी शशिकांता राठौर पेशे से अधिवक्ता हैं। उन्होंने इस पेशे की शुरूआत 32 वर्ष पहले शहर में स्थित न्यायालय से ही की थी। उस दौर में महिलाओं का इस पेशे में आना समाज में अच्छा नहीं माना जाता था, इसके बावजूद अधिवक्ता शशिकांता ने दृढ़ संकल्प लेकर कड़ी मेहनत करते हुए इस क्षेत्र में अपना कदम बढ़ाया। वर्तमान में वे कुशल अधिवक्ता के साथ ही एक अच्छी काउंसलर भी हैं। वे जिला मुख्यालय जांजगीर ही नहीं, बल्कि अन्य स्थानों पर भी अपने जुनून के चलते चर्चित शख्सियत बन गई हैं। उनका यह जुनून समाज में फैल रहे पारिवारिक विवाद को रोकने को लेकर है। अधिवक्ता शशिकांता, पुलिस विभाग द्वारा जांजगीर में संचालित परिवार परामर्श केन्द्र में वर्ष 2010 से परामर्शदात्री के रूप में अपनी नि:शुल्क सेवाएं दे रहीं है। वे प्रत्येक शनिवार को यहां चार से पांच घंटे तक पारिवारिक कलह से जुड़े मामलों की काउंसलिंग करती हैं। उन्होंने बताया कि परिवार परामर्श केन्द्र में प्रत्येक शनिवार को कम से कम आठ से दस प्रकरणों में पक्षकारों को बिठाकर काउंसलिंग की जाती है। हर बार कम से कम चार से पांच प्रकरणों में सुलह जरूर होती है। उन्होंने बताया कि सात वर्ष की अवधि में उन्होंने कम से कम एक हजार से अधिक परिवारों को टूटने से बचाया है। इसी वजह से वे आज अच्छी काउंसलर के रूप में जानी जाती हैं। इसके अलावा महिलाओं को सशक्त बनाने, उन्हें कानून की जानकारी देने, बच्चों को उत्पीडऩ से बचाने जागरुकता अभियान जैसे कार्य भी उनके द्वारा लगातार किए जा रहे हैं।
 

मध्यस्थता विषय पर लिया प्रशिक्षण

अधिवक्ता शशिकांता ने बताया कि उन्होंने मध्यस्थता विषय पर चालीस घंटे का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम रायपुर और भिलाई में रखा गया था, जिसमें प्रदेश के अलावा दिल्ली के कई वरिष्ठ न्यायाधीशों ने शिरकत की थी। प्रशिक्षण के दौरान न्यायाधीशों ने मध्यस्थता विषय की बारीकियों को बताया। प्रशिक्षण में प्राप्त किया गया ज्ञान आज परिवार परामर्श केन्द्र में पहुंचे बिखरे परिवारों को जोडऩे के काम आ रहा है।
 

सशक्त होगी नारी, तभी होगी समग्रता

अधिवक्ता शशिकांता राठौर का मानना है कि नारी सशक्त तभी होगी, जब उसमें सम्पूर्णता और समग्रता होगी। इस दिशा में भी वे पहल कर रही हैं। इसके लिए महिलाओं को कानूनी जानकारी देने, लैंगिक भेदभाव को दूर करने, जागरुकता लाने आयोजित शिविरों में उपस्थित होकर मागदर्शन प्रदान करती हैं। इसके अलावा बाल प्रताडऩा को रोकने के लिए बच्चों को नैतिक शिक्षा की जानकारी दे रहीं हैं।
 

वर्तमान में अलगाव हो गई आम बात

अधिवक्ता शशिकांता के मुताबिक बीते सात वर्षों के दौरान हजारों मामलों में उन्होंने काउंसलिंग की है। उन्होंने दावा किया कि एक हजार से भी अधिक मामलों में पहल काम आई और परिवार टूटने से बच गए। इसमें दोनों पक्षों ने भी जागरुकता दिखाई। उनका कहना है कि वर्तमान में परिवारों और खासकर पति-पत्नी में अलगाव की स्थिति आम हो गई है, जिसे बेहतर काउंसलिंग के जरिए बचाया जा सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें