जांजगीर-चांपा. कलेक्टर जनदर्शन में कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन के समक्ष ग्राम कुरदा के एक किसान द्वारा जहर सेवन कर आत्महत्या किए जाने का मामला पेचिदा होता जा रहा है। घटना के बाद जिला प्रशासन की ओर से मीडिया को दिए गए लिखित बयान में कहा गया है कि मृतक जगदीश दूसरों से रकम उधार लेकर स्वयं सूदखोरी करता था। कर्ज की रकम वसूल नहीं कर पाने के कारण उसने ऐसा कदम उठाया है। प्रशासन ने यह भी कहा है कि पूर्व में वह कर्ज वसूली नहीं हो पाने संबंधी शिकायत लेकर चांपा थाना पहुंचा था, जहां से उसे न्यायालय जाने की सलाह दी गई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब मृतक जगदीश स्वयं सूदखोर था तो चांपा पुलिस ने उसके खिलाफ अपराध क्यों नहीं दर्ज किया? पुलिस ने उसे न्यायालय जाने की सलाह क्यों दी? जिला प्रशासन की ओर से दिए गए बयान में प्रशासनिक अफसर अब खुद उलझते नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि चांपा तहसील अंतर्गत ग्राम कुरदा निवासी जगदीश बघेल लघु कृषक था। उसके पास महज डेढ़ एकड़ खेत था और वह भी किसी के पास गिरवी था। इस वजह से वह काफी परेशान था। बताया जा रहा है कि आर्थिक सहायता सहित अन्य मामलों को लेकर वह लगातार कलेक्टर जनदर्शन में गुहार लगाने आ रहा था, लेकिन जिला प्रशासन के अफसर उसकी फरियाद सुन उचित पहल नहीं कर रहे थे। हमेशा की तरह जगदीश सोमवार को भी कलेक्टर जनदर्शन में अपनी शिकायत लेकर पहुंचा। वह अन्य फरियादियों के साथ कतार लगाकर खड़ा था। इसी दौरान अचानक उसने जहर पी लिया, जिससे उसकी हालत बिगडऩे लगी और वह मौके पर ही गश खाकर गिर पड़ा। इससे कलेक्टोरेट में कोहराम मच गया। मौके पर मौजूद जांजगीर एसडीएम अजय उरांव सहित अन्य अफसरों ने बेसुध जगदीश को जिला अस्पताल पहुंचाने की कवायद शुरू की। जिला अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने परीक्षण कर जगदीश को मृत घोषित कर दिया। इस घटना की खबर मिलते ही जिला अस्पताल में मृतक जगदीश के परिजनों समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों की भीड़ एकत्रित हो गई। जिला प्रशासन ने भीड़ को ध्यान में रखते हुए एहतियात के तौर पर जिला अस्पताल में पुलिस बल बुलवाया।
हालांकि जिला अस्पताल में कोई हो-हंगामा नहीं हुआ, लेकिन इस घटना के बाद कलेक्टर डॉ. भारतीदासन ने मीडिया से दूरी बनाए रखी। वे घटना के बाद से अब तक मीडिया के सामने ही नहीं आए हैं। दूसरी ओर, इस घटना के कुछ घंटे बाद अपर कलेक्टर डीके सिंह के हस्ताक्षर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है, जिसके जरिए जिला प्रशासन का पक्ष रखा गया है। अपर कलेक्टर डीके सिंह के हस्ताक्षर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिले के चांपा तहसील के ग्राम कुरदा का निवासी जगदीश बघेल सोमवार को जहरीला पदार्थ सेवन कर कलेक्टर कार्यालय में पहुंचा था। जनदर्शन के दौरान लोगों ने बताया कि एक व्यक्ति के मुंह से झाग निकल रहा है। इस बात की जानकारी मिलते ही जनदर्शन में उपस्थित एसडीएम जांजगीर ने बिना देरी किए तत्काल जगदीश को शासकीय वाहन से जिला अस्पताल पहुंचाया। जिला अस्पताल में उपचार के दौरान जगदीश की मृृत्यु हो गई। प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि जगदीश अपनी जमीन गिरवी रखकर दूसरों को ब्याज पर कर्ज देता था, लेकिन कई लोगों से वह कर्ज वसूल नहीं कर पाया। इसी संबंध में वह आवेदन देने आया था। इस संबंध में शिकायत के लिए जगदीश बघेल ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय जांजगीर-चांपा में 27 फरवरी 2017 को भी आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसकी थाना प्रभारी चांपा से जांच कराई गई थी।
जांच में यह पाया गया कि जगदीश हमेशा लोगों से अपनी भूमि के एवज में रकम उधार लेता था। यह प्रकरण पुलिस हस्तक्षेप के अयोग्य पाए जाने पर थाना प्रभारी चांपा द्वारा 20 अप्रैल 2017 को जगदीश को न्यायालय में जाने की सलाह दी गई थी। इस प्रकरण की तथ्यात्मक जांच के लिए एसडीएम चांपा को निर्देेेशित किया गया है। जिला प्रशासन की ओर से जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में उल्लेखित कई बातों ने प्रशासन और पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मृतक जगदीश यदि सूदखोर था और वह लोगों से कर्ज वसूल नहीं कर पाने की शिकायत लेकर चांपा थाने गया था तो पुलिस ने उसके खिलाफ सूदखोरी का अपराध दर्ज करने के बजाय उसे न्यायालय जाने की सलाह क्यों दी? इसके अलावा इस मामले में ऐसे और भी कई सवाल हैं, जिससे प्रशासन और पुलिस बुरी तरह घिर गई है। बहरहाल, अब देखना यह होगा कि क्या मृतक जगदीश वास्तव में सूदखोर था या फिर घटना को नया मोड़ देने प्रशासन गलत बयानबाजी कर रहा है? मृतक जगदीश के परिजनों को न्याय मिलेगा या फिर अन्य मामलों की तरह उसकी मौत की फाइल भी कलेक्टोरेट के आलमारी में धूल फांकेगी, यह आने वाला समय बताएगा।
मीडिया ने उछाला मुद्दा, नींद से जागे नेता
कलेक्टोरेट में ग्राम कुरदा निवासी जगदीश बघेल द्वारा आत्महत्या किए जाने का मुद्दा मीडिया ने जब जोरशोर से उछाला तो विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारी नींद से जागे। जबकि इससे पहले किसी ने भी जगदीश के मामले को लेकर मुंह नहीं खोला था। मामला तूल पकड़ता देख राजनीति से जुड़े लोगों ने अब अपनी राजनीतिक रोटी सेंकनी शुरू कर दी है। इस मामले की जांच को लेकर कांग्रेस की ओर से जहां सात सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है। वहीं कांग्रेस की देखा-देखी बसपा के प्रदेश प्रभारी व जैजैपुर विधायक केशव प्रसाद चंद्रा ने चार सदस्यीय जांच टीम बनाकर मृतक जगदीश के परिजनों को न्याय दिलवाने की बात कही है। घटना के दूसरे दिन से विभिन्न राजनीतिक दलों की आमदरफ्त ग्राम कुरदा में बढ़ गई है। मृतक जगदीश के परिजनों से मिलने राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों की होड़ मची हुई है। वहीं इस घटना के बाद से पुलिस व प्रशासन भी चौकस है। एहतियात के तौर पर गांव में पुलिस बल तैनात किया गया है, ताकि किसी तरह की अप्रिय स्थिति निर्मित न हो।
जगदीश का स्मार्ट कार्ड बना न राशन कार्ड
केन्द्र और राज्य सरकार हर परिवार का स्मार्ट कार्ड बनवाकर मुफ्त इलाज की सुविधा देने का दावा करती है। वहीं प्रत्येक गरीब परिवार के नाम पर राशन कार्ड जारी होने का दावा किया जाता है, लेकिन जगदीश और उसके परिवार के पास न तो स्मार्ट कार्ड है और न ही उनके नाम पर राशन कार्ड है। जगदीश की मौत के बाद एक-एककर कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। मृतक जगदीश के चचेरे भाई संतराम बघेल का कहना है कि साहूकारों की प्रताडऩा से जगदीश वाकई त्रस्त था। वहीं साहूकारों द्वारा लगातार तंग किए जाने से जगदीश का पुत्र भी मानसिक रुप से बीमार हो गया था। कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण जगदीश अपने पुत्र का इलाज करा पाने असमर्थ था। मृतक जगदीश का स्मार्ट कार्ड और गरीबी रेखा का राशन कार्ड भी नहीं बना था। कुल मिलाकर जीवन में चारों ओर अंधकार के कारण निराश जगदीश ने कही से भी राहत या सहायता नहीं मिलने पर मौत को गले लगाकर अपनी परेशानियों का अंत कर लिया।
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