सोमवार, 2 अक्टूबर 2017

OMG! मिट्टी के दीयों पर जीएसटी का असर, दीपावली के लिए दीयों की बिक्री हुई शुरू

जांजगीर-चांपा. दीपों के पर्व दीपावली में मिट्टी के दीयों का खास महत्व है। दशहरा मनते ही बाजार में दीये आने लगे हैं। बाजार में स्थानीय दीयों के अलावा राजस्थानी डिजाइनर दीये बिक रहे हैं। लकड़ी पर आठ प्रतिशत जीएसटी लगने से मिट्टी के दीये पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष जरा महंगे मिल रहे हैं।

बाजार में पहुंचे राजस्थानी दीयों की कलाकृति चायनीय दीयों से काफी अच्छी है। त्योहारी सीजन में भीड़ से बचने के लिए ग्राहकों ने दीयों की खरीदारी भी शुरू कर दी है। चायनीज दीयों से राहत पाए दीया दुकानदार अच्छे कारोबार की उम्मीद लगा रहे हैं। ग्राहकों और व्यापारियों के जागरूक होने से चायनीज दीयों की बिक्री फीकी पड़ गई है। अकलतरा रोड में वर्षों से मिट्टी के बर्तन बेच रहे कुम्हारों का कहना है कि इस वर्ष ग्राहक सीधे मिट्टी के दीये मांग रहे हैं। उन्होंने बताया कि लकड़ी पर आठ प्रतिशत जीएसटी लगने से मिट्टी के दीये पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष जरा महंगे मिल रहे हैं। लकड़ी का इस्तेमाल दीयों को पकाने में होता है। कुम्हारों ने बताया कि जीएसटी से पहले लकड़ी पर 5 फीसदी टैक्स था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद बुरादे की कीमत भी आठ से बढक़र 10 रुपए किलो हो गई है। इस वजह से मिट्टी के बर्तन प्रति नग दो से पांच रुपए तक महंगे हो गए हैं। दीया, कोसा, टोटी हंडी, तुलसी पूजा, कलर दीये, कलश, गुल्लक, नांद, दीपक हंडी आदि की कीमतों में लगभग दो रुपए की तेजी आई है।

लुभा रहे चहुंमुखी और कलर दीये

चायनीज पैटर्न में राजस्थानी चहुंमुखी कलर दीये, दीपक हंडी और कलश ग्राहकों को लुभा रहे हैं। दीपावली से पहले आठ अक्टूबर को करवाचौथ है। इसलिए इन दीयों की खरीदारी बढ़ गई है। इसके साथ ही स्वास्तिक, ओम, कमल, लक्ष्मी मां के चित्र अंकित लोकल दीयों की भी मांग बढ़ी है।

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