सोमवार, 2 अक्टूबर 2017

सॉफ्टवेयर अपलोड करने का हवाला देकर स्मार्ट कार्ड से इलाज पर लगाया ब्रेक, कार्ड से उपचार नहीं होने से मरीजों व परिजनों में हडक़ंप

जांजगीर-चांपा. जिले में संचालित अधिकांश निजी अस्पतालों में स्मार्ट कार्ड से मरीजों का उपचार नहीं किया जा रहा है। बीमा कंपनी ने सॉफ्टवेयर अपलोड करने का हवाला देकर 30 सितंबर से उपचार पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया है। जरूरतमंद मरीजों से नकदी लेकर ही उपचार किया जा रहा है। इससे मरीजों व परिजनों में हडक़ंप मच गया है। निजी अस्पतालों के इस क्रियाकलाप से स्वास्थ्य विभाग अनजान है।

स्मार्ट कार्ड से संबद्घता रखने वाले जिले के कई निजी अस्पतालों में 30 सितंबर से मरीजों का स्मार्ट कार्ड से उपचार नहीं किया जा रहा है। तीन दिनों तक उपचार नहीं होने की जानकारी मरीजों को दे रहे हैं। इससे उपचार कराने निजी अस्पताल पहुंच रहे मरीजों में हडक़ंप मच गया है। जरूरतमंद या गंभीर मरीजों का इलाज जरूरी है, इसलिए मरीज व परिजन स्मार्ट कार्ड होते हुए भी नकदी में उपचार कराने मजबूर हैं। इस स्थिति के चलते मरीजों के परिजन आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है। कुछ लोगों ने बताया कि 30 सितंबर की रात अपने परिजन का उपचार कराने वे चांपा के दो अलग-अलग निजी अस्पताल में गए थे। अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा कि अगर आप स्मार्ट कार्ड से उपचार कराना चाहते हैं तो उपचार नहीं होगा। नकदी में उपचार होगा। उनका कहना है कि जब उन्होंने स्मार्ट कार्ड से उपचार क्यों नहीं हो रहा है, पूछा तो अस्पताल कर्मचारियों ने बताया कि 30 सितंबर से तीन दिन तक स्मार्ट कार्ड से संबंधित सॉफ्टवेयर अपलोड किया जा रहा है। इसलिए स्मार्ट कार्ड से उपचार नहीं किया जा रहा है। क्योंकि अब स्मार्ट कार्ड में 30 हजार के बजाए 50 हजार रुपए का स्वास्थ्य बीमा होगा। सॉफ्टवेयर अपलोड होने के बाद ही स्मार्ट कार्ड से उपचार किया जाएगा। इसी तरह अन्य मरीजों के परिजनों का कहना था। मजबूरी में मरीजों को नकदी देकर उपचार कराना पड़ रहा है। ऐसे में स्मार्ट कार्ड का कोई औचित्य ही नहीं है। जब जरूरत के समय उपचार नहीं हो पा रहा है।


स्वास्थ्य विभाग बना हुआ है अनजान

जिले में स्मार्ट कार्ड से लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैय्या कराया जा रहा है या नहीं, इसके लिए जिला स्तर पर नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो पूरी तरह अंजान है। स्मार्ट कार्ड से संबद्घता रखने वाले निजी अस्पतालों का कभी निरीक्षण करते नहीं दिखते। दफ्तर से उन्हें फुर्सत नहीं है। इसके अलावा सभी निजी अस्पतालों में स्मार्ट कार्ड में अस्पताल प्रबंधन गड़बड़ी न करें, इसलिए शासन के कर्मचारी नियुक्त है, उनका भी अस्पतालों पर कोई लगाम नहीं है। पिछले 30 सितंबर से स्मार्ट कार्ड से मरीजों का उपचार निजी अस्पतालों में नहीं किया जा रहा है। विडंबना है कि चिकित्सा अधिकारी व अस्पतालों में पदस्थ रहने वाले कर्मचारी, जिला स्वास्थ्य विभाग व शासन को कोई जानकारी नहीं है। 


शिकायत की जांच कराकर कार्यवाही

बीते 30 सितंबर से निजी अस्पतालों में स्मार्ट कार्ड से उपचार नहीं करने की जानकारी नहीं है, क्योंकि मेरे पास किसी ने शिकायत नहीं की है। स्मार्ट कार्ड के लिए नया सॉफ्टवेयर अपलोड हो रहा है, इसलिए स्मार्ट कार्ड से मरीजों का उपचार नहीं करना कोई उपाय नहीं है। ऑफ  लाइन रजिस्टर्ड करके उपचार किया जा सकता है। जिन अस्पतालों में स्मार्ट कार्ड से उपचार नहीं किया जा रहा है, ऐसे अस्पतालों का निरीक्षण कराकर कार्यवाही की जाएगी।

-डॉ. व्ही. जयप्रकाश, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

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