जांजगीर-चांपा. नौ सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से धरना-महाआंदोलन करना शिक्षाकर्मी संघ के पदाधिकारियों को अब महंगा पडऩे लगा है। राज्य शासन ने सोमवार की शाम आंदोलनकारी नेताओं को बर्खास्त करने संबंधी पहली सूची जारी की है, जिसमें कुल 41 शिक्षाकर्मियों के नाम हैं। जिले के तीन पदाधिकारियों के नाम भी बर्खास्त होने वालों में शामिल हैं।
राज्य सरकार की तरफ से वीडियो काफ्रेंसिंग के एक घंटे के भीतर ही बर्खास्तगी के आदेश धड़ाधड़ जारी होने शुरू हो गए हैं। पहली सूची में 41 राज्य स्तरीय शिक्षाकर्मियों के पदाधिकारियों को बर्खास्तगी का आदेश थमाया गया है। जिन जिलों के 41 शिक्षाकर्मियों को बर्खास्त किया गया है, उनमें जांजगीर-चांपा, रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, अंबिकापुर, रायगढ़, दुर्ग, जगदलपुर सहित 10 जिले शामिल हैं। जारी सूची के अनुसार, बर्खास्त होने वाले शिक्षाकर्मियों में जांजगीर-चांपा जिले से बसंत चतुर्वेदी, वीरेंद्र कश्यप, रामविश्वास सोनकर का नाम शामिल है। इसी तरह बिलासपुर जिले से संजय शर्मा, मनोज सनाढय, निर्मला भारती, दुर्ग से वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत, गिरीश साहू, युवराज साहू, कोंडागांव से केदार जैन, बलौदाबाजार से चंद्रदेव राय, अशोक शर्मा, महासमुंद से सुधीर प्रधान, रायपुर से धर्मेंद्र शर्मा, कोरबा से ओमप्रकाश बघेल, जशपुर से विनय सिंह, संतोष पांडेय और धनु यादव, बेमेतरा से सत्येंद्र सिंह, विजय बहरे, रायगढ़ से गिरजाशंकर शुक्ला, चोखलाल पटेल, चैतन्य पटेल, दीपक भगत सिंह, राजनांदगांव से सुशील शर्मा, कबीरधाम से रमेश चंद्रवंशी, मुंगेली से संजय उपाध्याय, दीपक बेनताल, मेघनाथ कोसरिया तथा मोहन लहरे, सरगुजा से मनोज वर्मा, कांकेर से अशोक गोटे, स्वदेश शुक्ला, हेमंत साहसी और नंदकुमार अड़भैया, सूरजपुर से सचिन त्रिपाठी, माया सिंह, नवीन ज्ञान, बस्तर से शैलेंद्र तिवारी तथा शरद श्रीवास्तव का नाम बर्खास्तगी सूची शामिल है।
नामुकीन है अब बहाल होना
शिक्षाकर्मियों के प्रदर्शन पर इस दफा जैसी सख्ती राज्य सरकार ने दिखाई है, उससे लगता नहीं कि इस बार बर्खास्त हुए शिक्षाकर्मी फिर से स्कूलों में लौट पाएंंगे। दरअसल, सरकार को इस बात का अहसास था कि हर बार आंदोलन करने वाले शिक्षाकर्मियों की बर्खास्तगी खत्म हो जाती है। सरकार के पास बर्खास्तगी का सीधा अधिकार नहीं होता। पंचायतीराज अधिनियम के तहत जिला और जनपद पंचायत की समान्य सभा को बर्खास्तगी का अधिकार होता है, लेकिन इस बार राज्य सरकार ने पंचायत एक्ट को पढक़र बर्खास्तगी से बहाल ना हो पाने का ये तोड़ निकाला है।
इस नियम से बहाली मुश्किल
बर्खास्तगी के जितने भी आदेश अब जारी हो रहे हैं, वो सभी जिला और जनपद पंचायत के सामान्य प्रशासन विभाग के अनुमोदन की प्रत्याशा में जारी हो रहे हैं। इसका सीधा संकेत यही है कि अगर जिला और जनपद पंचायत की सामान्य सभा से बर्खास्तगी का प्रस्ताव खारिज भी हो जाता है तो सरकार जनपद पंचायत के समान्य सभा के प्रस्ताव को अपील में कलेक्टर के पास लेकर जाएगी। वहीं जिला पंचायत की समान्य सभा से बर्खास्तगी का प्रस्ताव खारिज होने पर अपील को कमिश्नर या डायरेक्टर पंचायत के पास लेकर जाएगी। सरकार ने इस बार अफसरों को सीधा निर्देश दे रखा है कि बर्खास्तगी रद्द नहीं किया जाना है। लिहाजा, अबकी बार बर्खास्त शिक्षाकर्मियों का स्कूलों में दोबारा लौटना नामुकीन हो जाएगा।
अब ठंडा पडऩे लगा आंदोलन
राज्य सरकार के सख्त रवैये से अब शिक्षाकर्मियों का आंदोलन ठंडा पडऩे लगा है। यही वजह है कि जिला एवं ब्लॉक मुख्यालयों में आयोजित धरना के पण्डाल में गिने-चुने शिक्षाकर्मी ही नजर आ रहे हैं। वहीं संघ पदाधिकारियों के भय से स्कूलों से अवकाश लेने वाले नए शिक्षाकर्मी धरना स्थल पर जाकर बैठने के बजाय अपने घरों में दुबके हुए हैं। अधिकांश नए एवं पुराने शिक्षाकर्मियों का कहना है कि उनकी मांगें उतनी बड़ी नहीं है, जिसे सरकार पूरी न करे, लेकिन संगठन की आड़ में कुछ पदाधिकारियों ने बेवजह मामले को तूल दिया है, जिसके कारण उनकी समस्या एवं मांगों का समाधान नहीं निकल रहा है।
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