सोमवार, 15 जनवरी 2018

औद्योगिक जिले में आसान नहीं अपराधों पर नियंत्रण, तमाम चुनौतियों के बीच एसपी नीथू कमल ने लिया चार्ज

राजेंद्र राठौड़@जांजगीर-चांपा. कृषि प्रधान के साथ औद्योगिक जिले के रूप में अपनी पहचान बना रहे जांजगीर-चांपा में अपराधों पर नियंत्रण आसान काम नहीं है। तमाम चुनौतियों के बीच जिले की नई पुलिस कप्तान नीथू कमल ने सोमवार को अपना कार्यभार ग्रहण किया है। लंबे अर्से के बाद इस जिले की कमान किसी महिला अधिकारी को सौंपी गई है। ऐसे में अपराध और आदतन अपराधियों पर लगाम कसना जहां उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वहीं बेहतर पुलिसिंग के जरिए जिले में पुलिस की छवि सुधारने उन्हें विशेष प्रयास भी करने होंगे।

नीथू कमल
जांजगीर-चांपा जिला अब औद्योगिक जिले के रूप में तेजी से विकास के सोपान तय कर रहा है। ऐसे में अपराध और दुर्घटनाओं में खासी वृद्धि भी हुई है। आए दिन सडक़ दुर्घटना में लोगों की जान जा रही है। वहीं चोरी, लूट, डकैती और अनाचार के मामले में लगातार सामने आ रहे हैं। कुछ वर्ष के भीतर सामने आए कई मामलों में सिपाही से लेकर कई पुलिस अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी ऊंगलियां उठी है। नतीजतन, पुलिस प्रशासन से लोगों का विश्वास भी कुछ हद तक घटा है। जिले में लगातार विधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होने के बाद भी अधिकांश पीडि़त थाने की दहलीज पार करने अभी भी जहमत नहीं उठा पा रहे हैं। आपको बता दें कि कुछ अर्सा पहले जिले की कमान जब महिला आईपीएस पारूल माथुर को चंद दिनों के लिए सौंपी गई थी, तब उनके सामने अनेक चुनौतियां थी। बताया जा रहा है कि वे उन चुनौतियों पर खरी नहीं उतरी, जिसके कारण उनका यहां से तबादला कर दिया गया। जिला गठन के बाद यह दूसरा अवसर है, जब महिला आईपीएस के हाथों में सूबे के मुखिया ने जिले की बागडोर सौंपी है। नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक नीथू कमल ने सोमवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर अपना पदभार ग्रहण किया। इस दौरान डीआईजी (निवर्तमान पुलिस अधीक्षक) अजय यादव सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। डीआईजी यादव ने नीथू कमल को पदभार सौंपकर शुभकामनाएं दी। सभी औपचारिकता के बाद नवपदस्थ एसपी नीथू कमल ने विधिवत् रूप से जिले की कमान संभाली। 

उल्लेखनीय है कि यह जिला उनके लिए बिल्कुल नया है, ऐसे में उन्हें जिले की आबो-हवा के संबंध में बारीकी से जानकारी भी जुटानी पड़ेगी। साथ ही जिले के जनप्रतिनिधियों, मीडियाकर्मियों के अलावा आमजनों से बेहतर तालमेल बनाकर चौबीसों घंटे मुस्तैदी के साथ काम करना होगा, क्योंकि चंद दिनों बाद विधानसभा चुनाव की तैयारियां प्रारंभ हो जाएगी। इससे जिले में राजनीतिक गतिविधियां भी तेज होना तय है। इस स्थिति में नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक नीथू कमल को जिले में अमनचैन कायम रखने के लिए अभी से ही पूरी रणनीति तैयार करनी पड़ेगी। बहरहाल, महिला आईपीएस नीथू कमल की पदस्थापना से जिले की महिला वर्ग अपनी सुरक्षा को लेकर जहां आश्वस्त हो सकती हैं। वहीं गंभीर किस्म के अपराधों को नियंत्रित करने नवनियुक्त एसपी नीथू कमल को कड़ी मशक्कत भी करनी पड़ेगी।
 

पकड़ से बाहर हैं तीन डकैत

राइटर सेफ कंपनी के चांपा के जगदल्ला स्थित कलेक्शन सेंटर से 63 लाख रुपए की डकैती करने वाले तीन आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। इस मामले में संलिप्त पांच लोगों की गिरफ्तारी पुलिस ने कुछ दिनों पहले की है, जिनसे करीब 22 लाख रुपए बरामद हुआ है, जबकि बिहार राज्य से ताल्लुक रखने वाले तीन आरोपी अभी भी पुलिस हाथ नहीं लगे हैं। हालांकि उनकी खोजबीन के लिए पुलिस टीम लगातार संभावित ठिकानों में दबिश दे रही है, फिर भी नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक को उन आरोपियों तक पहुंचने योजनाबद्ध तरीके से काम करने की आवश्यकता है।
 

सेटलमेंट को लेकर बदनाम

वैसे तो जिले के पुलिस महकमे पर आए दिन कुछ न कुछ आरोप लगते ही रहते हैं, लेकिन जिले के कुछ थाने सेटलमेंट को लेकर खासे बदनाम हैं। बताया जाता है कि जिले के सक्ती, डभरा, मालखरौदा, हसौद के अलावा दो-तीन अन्य थानों में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी किसी मामले में फरियादी की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय दूसरे पक्ष को थाने बुलाकर मामले को ही रफा-दफा करने में जुट जाते हैं। इसके एवज में दोनों पक्षों से मोटी रकम वसूलने के आरोप भी संबंधितों पर लगातार लग रहे हैं। साथ ही जिले के कुछ थाना क्षेत्रों में प्रभारियों पर जुआ, गांजा, शराब आदि की अवैध बिक्री को बढ़ावा देने का आरोप भी आए दिन लगते रहता है। ऐसे आरोपों से उबरना भी नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक के लिए चुनौती भरा हो सकता है।
 

फेरबदल की आवश्यकता

जिले के कई थानों में प्रधान आरक्षक तथा आरक्षक वर्षों से अंगद की तरह पैर जमाए हुए हैं। आठ-दस वर्षों के भीतर कई पुलिस अधीक्षक आए और गए, लेकिन उन कर्मचारियों का बाल भी बांका नहीं हुआ। इस वजह से संबंधित क्षेत्रों में उन प्रधान आरक्षक तथा आरक्षकों ने अपनी गहरी पैठ बना ली है। आरोप है कि वर्षों से जमे कर्मचारी थाने पहुंचने पर फरियादियों से रिपोर्ट दर्ज करने के एवज में खर्चा-पानी मांगते हैं। इसके अलावा नोटिस तामिल करने तथा अन्य छोटे-मोटे कामों के लिए भी इनके द्वारा रकम की उगाही की जाती है। ऐसी स्थिति में वर्षों से एक ही थाने में खूंटा गाडक़र बैठे नीचले स्तर के कर्मचारियों के कार्य स्थल में फेरबदल की नितांत आवश्यकता महसूस की जा रही है।

1 टिप्पणी:

  1. सक्ति थाने पर विशेष ध्यान देवे यहा पुलिस से बङा अपराधी और कोई नही

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