मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

खुद चस्पा कराई सूचना, विरोध हुआ तो आरक्षक पर मढ़ दिया आरोप, मालखरौदा थानेदार की कार्यशैली पर मीडियाकर्मियों ने जताया विरोध

राजेंद्र राठौड़@जांजगीर-चांपा. जिले के मालखरौदा थाने में नवपदस्थ प्रभारी द्वारा थाने की दीवार पर चस्पा कराई गई एक सूचना को लेकर मंगलवार को उस वक्त बवाल मच गया, जब उस सूचना की भनक जिला मुख्यालय के मीडियाकर्मियों को लगी। मीडियाकर्मियों ने उस सूचना को लेकर जब विभाग के आला अफसरों से जवाब-तलब किया, तब थानेदार ने उस सूचना के संबंध में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए थाने में पदस्थ कम्प्यूटर आरक्षक को उल्टा जिम्मेदार ठहरा दिया। हद तो तब हो गई, जब थानेदार ने अपनी गलती न मानते हुए उस आरक्षक को ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। इस बात को लेकर मीडियाकर्मी मंगलवार को पूरे दिन थानेदार की कार्यशैली पर ऊंगलियां उठाते रहे।

जिले में नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक नीथू कमल एक ओर जहां सोशल पुलिसिंग पर जोर दे रही हैं। वहीं उनके मातहत अभी भी पुराने ढर्रे पर ही अपना कामकाज संचालित कर रहे हैं। कुछ इसी तरह का एक वाक्या मंगलवार को मालखरौदा थाने में सामने आया। दरअसल, मालखरौदा थाना के मुख्य द्वार पर थाना प्रभारी जीएस राजपूत के हवाले से एक सूचना चस्पा की गई थी, जिसका मजमून यह था कि गेट के सामने खड़ा न होवें तथा थाना परिसर एवं थाना के अंदर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करना सख्त मना है। मालखरौदा के थानेदार की यह अजीबो-गरीब सूचना स्थानीय मीडियाकर्मियों के जरिए जब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई और इस बात की खबर जिला मुख्यालय जांजगीर के मीडियाकर्मियों तक पहुंची तो वो आक्रोशित हो गए। इसके बाद वे सोशल मीडिया वाट्सएप पर बने पुलिस-मीडिया ग्रुप में इस मसले को लेकर तूल देने लगे। इस सूचना को लेकर मुख्यालय के मीडियाकर्मियों के सख्त होने पर विभाग के आला अधिकारियों ने तत्काल मालखरौदा थानेदार की खबर ली और सूचना को निकलवाने के निर्देश दिए। 

उच्चाधिकारियों के निर्देश पर थानेदार ने सूचना तो निकलवा दी, लेकिन अपनी गलती नहीं मानी। उल्टा उन्होंने इस पूरे मसले की जानकारी नहीं होने की दुहाई देते हुए सारा आरोप थाने में पदस्थ कम्प्यूटर आरक्षक पर मढ़ दिया। बात यही खत्म नहीं हुई। थानेदार ने संबंधित आरक्षक को इस कार्य के लिए दोषी ठहराते हुए उसे नोटिस थमाकर स्पष्टीकरण भी मांगा है। बहरहाल, मालखरौदा थानेदार की इस हरकत से पुलिस अधीक्षक की सोशल पुलिसिंग पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं थानेदार द्वारा अपनी गलती स्वीकार न करते हुए एक आरक्षक को नोटिस थमाकर स्पष्टीकरण मांगना तर्कसंगत नहीं लग रहा है।

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