सोमवार, 28 मई 2018

डीएफओ विकास यात्रा में व्यस्त, मर रही मछलियां, मगरमच्छ भूख-प्यास से त्रस्त, मुड़ा तालाब का जलस्तर घटने से मगरमच्छ बेहाल

जांजगीर-चांपा. ग्राम कोटमीसोनार स्थित प्रदेश के एकमात्र क्रोकोडायल पार्क में अव्यवस्था चरम पर है। यहां के मुड़ा तालाब का जलस्तर एकदम घट गया है, जिसके कारण मछलियां मर रही हैं। इस वजह से मगरमच्छों को भरपेट आहार नहीं मिल रहा है। क्रोकोडायल पार्क की व्यवस्था सुधारने के बजाय जिला वन मंडलाधिकारी विकास यात्रा में व्यस्त हैं। मौजूदा आलम यह है कि मगरमच्छ पर्याप्त भोजन और पानी के अभाव में त्रस्त हैं।

अकलतरा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम कोटमीसोनार में करोड़ों रुपए खर्च कर क्रोकोडायल पार्क की स्थापना की गई है। यह प्रदेश का एकलौता पार्क है, जहां करीब पौने तीन सौ छोटे-बड़े मगरमच्छ संरक्षित हैं। क्रोकोडायल पार्क की वजह से पूरे देश में इस गांव सहित जांजगीर-चांपा जिले की अपनी खास पहचान है, जिसमें बट्टा लगाने जिम्मेदार अधिकारी ही कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वैसे तो जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पार्क में संरक्षित मगरमच्छों के भोजन के नाम पर हर साल लाखों रुपए का वारा-न्यारा करने की शिकायत आती ही रही है, लेकिन अब यहां अव्यवस्था चरम पर है। आपको बता दें कि पार्क के मुड़ा तालाब में संरक्षित मगरमच्छों के लिए वन विभाग हर साल भोजन के रूप में मछली की व्यवस्था करवाता है। हालांकि कितने लागत की मछली इस तालाब में डाली जाती है, यह तो आज तक जगजाहिर नहीं हुआ है, लेकिन ग्रामीणों का हमेशा से आरोप रहा है कि जिम्मेदार अधिकारी न केवल मगरमच्छों के आहार की राशि डकार जा रहे हैं, बल्कि पार्क की बदहाली को ठीक करने भी किसी तरह का ध्यान नहीं दे रहे हैं। ताजा मामला मुड़ा तालाब के जलस्तर घटने से संबंधित है। 

वर्तमान में मुड़ा तालाब का जलस्तर एकदम घट गया है, जिसके चलते मगरमच्छों के आहार बतौर तालाब में डाली गई मछलियां तड़प कर मर रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि तालाब के किनारे रोजाना सैकड़ों मछलियां मरी हुई देखी जा रही है। ऐसी स्थित पिछले एक माह से है। खास बात यह है कि इस बात की जानकारी ग्रामीणों द्वारा पार्क प्रभारी सहित जिला वन मंडलाधिकारी सतोविशा समाजदार को कई मर्तबा दी जा चुकी है, लेकिन उन्हें पार्क पहुंचकर झांकने तक की फुर्सत नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिनों पहले उन्होंने इस संबंध में डीएफओ समाजदार से बात की, तब उन्होंने विकास यात्रा के कार्यक्रम में व्यस्त होने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद उन्होंने कलेक्टर को भी इस मामले से अवगत करवाया, लेकिन उन्होंने भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की। ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी अपनी मनमानी कर इस पार्क को बंद करवाने के फिराक में हैं। यही वजह है कि पार्क की व्यवस्था को दुरूस्त करने कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी यहां संरक्षित मगरमच्छों के आहार की राशि को डकार जा रहे हैं, जिसके चलते पार्क में संरक्षित मगरमच्छों की आए दिन भूख-प्यास से मौत हो रही है। उनका कहना है कि कुछ दिन पहले जब एक मगरमच्छ की मौत हुई, तब उसका पोस्टमार्टम करवाया गया। इस दौरान मगरमच्छ के आंत से कंकड़ और मिट्टी के अवशेष मिले, जिससे यह बात साफ है कि क्राकोडायल पार्क में संरक्षित मगरमच्छों को पर्याप्त आहार नहीं मिल रहा है और भूख से उनकी मौत हो रही है। बहरहाल, यदि समय रहते क्रोकोडायल पार्क की सुध न ली गई तो आने वाले दिन में इस पार्क का नामोंनिशान मिट जाएगा, इसमें कोई दो मत नहीं है।
 

तालाब को भरने की योजना ठप

कुछ साल पहले वन विभाग द्वारा मुड़ा तालाब का जलस्तर बढ़ाने के लिए एक कार्ययोजना बनाई गई थी, जिसके मुताबिक इस तालाब को पास स्थित कर्रानाला जलाशय से भरा जाना था। साथ ही तालाब के चारों ओर बोर खनन कराने की योजना भी थी। विभाग के अफसरों ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए शासन स्तर पर भेजा था, लेकिन किन्हीं कारणवश प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिली। उस समय से आज तक इस दिशा में पुन: पहल नहीं की गई है। यदि कर्रानाला जलाशय से मुड़ा तालाब तक पाइप लाइन विस्तार करवा दिया जाता है तो पानी की समस्या से पूरी तरह से निजात मिल सकती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस दिशा में कोई प्रयास करना ही नहीं चाह रहे हैं। इस वजह से तालाब को भरने की योजना ठप है।
 

पार्क में अव्यवस्था का आलम

प्रदेश के एकमात्र क्रोकोडायल पार्क में अव्यवस्था का आलम है। यहां लाखों रुपए खर्च कर तैयार किया गया थ्री डी थियेटर लंबे समय से बेकाम है। बताया जा रहा है कि थियेटर में कूलर एवं एसी की सुविधा नहीं होने से पर्यटक इस थियेटर का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। वहीं लंबे समय से थ्री डी सिस्टम में भी तकनीकी खराबी होने की बात सामने आई है। इसके अलावा पार्क का कैन्टीन और अन्य संसाधन भी बेहाल है। इस वजह से यह पार्क बाहर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रहा है। खास बात यह है कि सुविधा-संसाधन बढ़ाने के नाम पर कुछ साल पहले ही गौण खनिज मद से यहां लाखों रुपए खर्च किया गया है, लेकिन मद की राशि से ऐसे क्या संसाधन बढ़े हैं, यह ग्रामीणों को नजर ही नहीं आ रहा है। इस बात को लेकर भी ग्रामीणों में शासन-प्रशासन के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है।

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