शुक्रवार, 1 जून 2018

मुख्यमंत्री जी! सक्ती विधायक ने आपके स्वेच्छानुदान मद में लगाई है जमकर सेंध, दस्तावेजों से हो चुकी है भ्रष्टाचार की पुष्टि, बावजूद कार्यवाही नहीं

राजेंद्र राठौड़@जांजगीर-चांपा. जरूरतमंदों को आर्थिक मदद पहुंचाने के उद्देश्य से चलाई जा रही मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान योजना में सक्ती विधायक डॉ. खिलावन साहू ने जमकर सेंध लगाई है। विधायक डॉ. साहू की अनुशंसा से वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिले के कुछ 14 लोगों को बीमारी के उपचार तथा पढ़ाई के लिए स्वेच्छानुदान दी गई है। खास बात यह है कि स्वेच्छानुदान प्राप्त करने वाले अधिकांश लोगों ने बीमारी और पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद की आवश्यकता होने जैसी बात से साफ इंकार किया है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने कर्ज की राशि के लिए विधायक डॉ. साहू को तकादा किया था, जिसके एवज में उन्हें दस या बीस हजार रुपए का चैक थमाया गया। विधायक डॉ. साहू से प्राप्त चैक किस मद का है, उन्हें कुछ मालूम नहीं। वे तो इसी बात से संतुष्ट हैं कि विधायक डॉ. साहू ने उनकी कर्ज की राशि ऐन-केन-प्रकारेण चुकता किया है। इधर, नगरपालिका सक्ती के एक एल्डरमैन को शिक्षा के लिए बीस हजार का चैक जारी होने के बाद सक्ती विधायक डॉ. साहू द्वारा स्वेच्छानुदान में लंबे समय से की जा रही गड़बड़ी का भंडाफोड हुआ है। इसके बावजूद, शासन-प्रशासन द्वारा इस मामले में किसी तरह की कार्यवाही नहीं की जा रही है, जो लोगों के समझ से परे है।

‘दैनिक नवीन कदम’ के पास उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार, सक्ती विधायक डॉ. खिलावन साहू ने कुछ माह पहले मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से कई लोगों को अनुदान दिलवाने की अनुशंसा की थी, जिसके आधार पर छग शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव ने 31 मार्च 2017 को पत्र क्रमांक एफ 7-22/2017/एक/1-सीएम जारी कर मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान की स्वीकृति दी। सामान्य प्रशासन विभाग से जारी स्वीकृति आदेश में कुल 46 लोगों का नाम है, जिन्हें मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के स्वेच्छानुदान मद से शिक्षा तथा इलाज के नाम पर कुल चार लाख बीस हजार की आर्थिक मदद की गई है। सूची में शामिल कई हितग्राही रायगढ़ और सारंगढ़ विधानसभा क्षेत्र के हैं, लेकिन 14 हितग्राही सक्ती विधानसभा के अलावा जांजगीर-चांपा जिले से हैं। ‘दैनिक नवीन कदम’ की टीम द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग से जारी आदेश में उल्लेखित हितग्राहियों की वास्तविकता की छानबीन की गई तो नगरपालिका सक्ती का एल्डरमैन संजय कुमार देवांगन सबसे पहले संदेह के दायरे में आया। एल्डरमैन देवांगन को विधायक डॉ. साहू ने शिक्षा के लिए स्वेच्छानुदान मद से 20 हजार दिलवाया है, जबकि वे न तो किसी स्कूल-कॉलेज में अध्ययनरत् हैं और न ही अध्ययन की उनकी कोई योजना है। इसके बावजूद, विधायक डॉ. साहू ने एक सोची-समझी चाल के तहत उनके नाम पर स्वेच्छानुदान स्वीकृत करवाया, जिसकी पुष्टि एल्डरमैन देवांगन पहले ही कर चुके हैं। एल्डरमैन की मानें तो विधायक डॉ. साहू के कहने पर उन्होंने स्वेच्छानुदान के तहत प्राप्त चैक को कैश करवाकर विधायक निवास में कार्यरत कम्प्यूटर ऑपरेटर को सौंप दिया है, जिसकी जानकारी एल्डरमैन देवांगन ने विधायक डॉ. साहू को तत्काल दी भी थी। वहीं सूची में उल्लेखित अन्य 13 हितग्राहियों के संबंध में जब बारीकी से पड़ताल की गई तो विधायक डॉ. साहू का फर्जीवाड़ा परत-दर-परत उजागर हुआ। 

सूची में उल्लेखित 14 में से जब आधा दर्जन से अधिक हितग्राहियों से बात की गई तो किसी ने भी उस सूची में दर्शाए गए उद्देश्य को स्वीकार नहीं किया। उनका कहना था कि विधायक डॉ. साहू ने उन्हें रकम बतौर चैक तो दिलवाया है, लेकिन चैक किस मद से है और उन्हें किस तरह अंधेरे में रखकर यह पूरा फर्जीवाड़ा किया गया है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। उल्लेखनीय है कि मीडिया से जुड़े कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि दीपावली, गणतंत्र दिवस सहित अनेक अवसरों पर उन्होंने तीन हजार, पांच हजार तथा दस हजार रुपए की लागत के विज्ञापन प्रकाशित एवं प्रसारित किए थे, जिसके एवज में उन्हें चैक के माध्यम से राशि का भुगतान किया गया है। खास बात यह भी है कि विधायक डॉ. साहू ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिन 14 लोगों को स्वेच्छानुदान दिलवाया है, वे सभी स्वेच्छानुदान के लिए कागजात में दर्शाए गए उद्देश्य से पूरी तरह बेखबर हैं। लिहाजा, उन्होंने बीमारी का उपचार करवाने तथा पढ़ाई के लिए राशि की आवश्यकता होने संबंधी बात से साफ इंकार किया है। कुछ लोगों का यहां तक कहना है कि शासन-प्रशासन के समक्ष जब कभी पूछताछ की नौबत आएगी, तब वे हकीकत बयां करेंगे।
 

विभिन्न अनुदानों में गड़बड़ी कर रहे विधायक

जानकारों की मानें तो डॉ. खिलावन साहू विधायक निर्वाचित होने के कुछ समय बाद से ही विभिन्न अनुदानों में गड़बड़ी कर रहे हैं। तीन-चार वर्ष के भीतर स्वेच्छानदान मद, जनसंपर्क निधि, विधायक निधि सहित अन्य शासकीय निधियों में उन्होंने जमकर सेंध लगाई है। उन्होंने ऐसे-ऐसे लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाया है, जिन्हें सरकारी मदद की जरूरत ही नहीं है। आरोप है कि कई लोगों के नाम पर फर्जी अनुदान भी स्वीकृत करवाए गए हैं। इन सबका खुलासा परत-दर-परत हो रहा है। यहां बताना लाजिमी होगा कि वर्ष 2016-17 की स्वेच्छानुदान सूची में जिन हितग्राहियों का नाम है, उनमें से अधिकांश से विधायक डॉ. साहू ने अनुदान के उद्देश्य को लेकर न तो आवेदन लिया है और न ही कोई कागजात मांगे हैं। आरोप यह भी है कि विधायक डॉ. साहू ने देनदारों के नाम से फर्जी आवेदन तथा कागजात तैयार करके मुख्यमंत्री से अनुदान की अनुशंसा की है, जिसके आधार पर अनुदान की स्वीकृति मिली है और फिर काफी दिनों बाद अनुदान का चैक देनदारों को कर्ज भुगतान के एवज में प्रदान किया गया है, जिसकी पुष्टि कई लोगों ने स्वयं की है।

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