जांजगीर-चांपा. प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जिले में कंपोजिट बिल्डिंग निर्माण की घोषणा तो की है, लेकिन उनकी यह घोषणा अब तक पूरी नहीं हुई है। जिला बनने के 20 साल बाद भी यहां के सरकारी कार्यालय व्यवस्थित नहीं हो सके हैं। इसके चलते दर्जनभर कार्यालय इधर-उधर संचालित हो रहे हैं। कई कार्यालय निजी मकान में तो कई कार्यालय दूसरे विभाग के मकान में संचालित हो रहे हैं। अलग-अलग दिशा में कार्यालय होने से लोगों को कार्यालय खोजना पड़ता है। वहीं विभिन्न कार्यो के लिए आए लोगों को कार्यालय तक पहुंचने में परेशानी होती है।
जिला मुख्यालय में दफ्तरों का जहां-तहां संचालन लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। वहीं किराए के नाम पर शासन को भी हर महीने बड़ी राशि देनी पड़ रही है। वर्तमान में जिले के दर्जनभर से अधिक विभाग किराए के मकान में चल रहे हैं तो इससे कहीं ज्यादा दफ्तर जनपद के पुराने भवनों में संचालित हैं। वर्तमान में परिवहन विभाग, नापतौल विभाग, वाणिज्यकर, सहायक अभियंता यांत्रिकी, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम, विपणन संघ, क्रेडा, आबकारी वृृत्त, उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं, जिला आयुर्वेद कार्यालय सहित अन्य विभाग के कार्यालय किराए के मकान में संचालित हो रहे हैं, जिनका किराया प्रतिमाह 5 से 15 हजार रुपए तक है। इसके अलावा यहां सुविधाओं की भी कमी है। परिवहन कार्यालय के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग पर रोज भीड़ लगती है, इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इसी प्रकार सहकारी बैंक, पंजीयन विभाग, श्रम पदाधिकारी जैसे कई दफ्तर जनपद अथवा जुगाड़ के अन्य भवनों में लग रहे हैं, जिसके कारण यहां आने-जाने वालों को बेवजह परेशानी होती है। उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय में लगभग सभी कार्यालय कलेक्टोरेट से संबंधित होते हैं, जिसके कारण कलेक्टोरेट आने वाले लोगों को संबंधित कार्यालयों में अथवा वहां से फिर कलेक्टोरेट आना ही पड़ता है। ऐसे में इन कार्यालयों के बीच की दूरी लोगों के लिए समस्या बन जाती है। स्वयं के साधन में आने वाले लोगों को संबंधित जगह पर आसानी से पहुंच जाते हैं, लेकिन गांव देहात से आने वालों की परेशानी बढ़ जाती है। स्थिति यह होती है कि यहां से अन्य कार्यालय जाने के लिए किराए में भी वाहन उपलब्ध नहीं होते। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने घोषणा भी की है, लेकिन इस दिशा में अब तक काम शुरू नहीं हुआ है।
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