मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022

नेता प्रतिपक्ष चंदेल के बयान पर गौ सेवा आयोग अध्यक्ष का पलटवार, कहा-क्या वे वैज्ञानिक हैं या फिर भविष्यवक्ता, जिन्होंने 90 गायों की मृत्यु का खाका तैयार कर लिया...

जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ विकासखंड के ग्राम भैंसों में बने गौठान में गायों की मौत को लेकर गरमाई राजनीति, विपक्ष ने साधा निशाना तो सत्ता पक्ष ने किया तीखा प्रहार

जांजगीर-चांपा। जिले के पामगढ़ विकासखंड के अंतर्गत ग्राम भैंसों में निर्मित गौठान में पिछले कुछ दिनों से हो रही गायों की मौत को लेकर राजनीति गरमा गई है। एक दिन पहले जहां गौठान का निरीक्षण कर नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए इस पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच की मांग की तथा गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत डाॅ. रामसुंदरदास पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष गायों की सेवा न करके केवल राजनीति कर रहे हैं। जबकि, प्रदेश के गौठानों का बुरा हाल है। चारा-पानी की व्यवस्था भी नहीं है, जिसके कारण गायों की जान जा रही है। नेता प्रतिपक्ष चंदेल के इस बयान पर गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत डाॅ. रामसुंदरदास ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि क्या वे वैज्ञानिक हैं या फिर भविष्यवक्ता, जिन्होंने 90 गायों की मृत्यु का खाका तैयार कर लिया। 

दरअसल, जिले के पामगढ़ ब्लॉक के भैंसों गांव में बने गौठान में कुछ समय से गायों की मौत हो रही थी। इसकी शिकायत गांव के लोगों ने प्रशासन से की थी। ग्रामीणों ने कहा कि शिकायत का कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद गायों की मौत की सूचना नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को दी गई थी, जिसके बाद चंदेल सोमवार को गौठान का निरीक्षण करने पहुंचे। यहां नेता प्रतिपक्ष चंदेल ने पत्रकारों से चर्चा की और सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। यहां के लोगों ने तो 90 गायों की मौत की बात कही है। सरकार गायों के संरक्षण करना का सिर्फ दिखावा कर रही है। प्रदेश में गायों की हालत क्या है, उसका अंदाजा इस गौठान से लगाया जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष चंदेल के इस बयान पर गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत डाॅ. रामसुंदरदास ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। 

उन्होंने कहा कि जब 15 वर्षों तक वे शासन पर थे, तब तो कहीं निरीक्षण के लिए नहीं गए। निरीक्षण की आवश्यकता तो तब थी, जब पूरी सड़कें गौ माताओं के क्षत-विक्षत शवों से भरा पड़ा होता था। निरीक्षण तब करनी चाहिए थी, जब गौशालाओं में सैकड़ों की तादात में गौ माताएं भूख-प्यास से मर रही थी। उन्होंने कहा कि जिस दिन मुझे गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने दी, उसी दिन उन्होंने मुझसे कहा था कि महाराज जी छत्तीसगढ़ में वह काला दिवस अब कभी न आए, जो हमें दुर्ग जिले की गौशालाओं में देखने को मिला था, तब से लेकर अब तक हमने अपनी सेवा के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास किया है कि कहीं भी गौ माताओं को हमारे वजह से कोई तकलीफ न हो। 

यहां तक कि जब कोरोना संक्रमणकाल में सभी कार्यालय बंद थे, सभी जगह ताला लग गया था, तब भी हमने समय पर सभी गौशालाओं को नियमित समय पर अनुदान पहुंचाकर गौ माताओं की सेवा करने का पूरा प्रयत्न किया। ग्राम भैंसों के गौठान में जिन लोगों ने 90 गौ माताओं के कालकलवित होने की बातें कही है, उनसे आप सभी पूछें कि उन्होंने किस आधार पर यह वक्तव्य दिया है? वे भविष्यवक्ता नहीं है! वैज्ञानिक नहीं है! किस पद्धति से जांच कर उन्होंने संख्या निर्धारित की? हमें बताये। स्वयं कह रहे हैं कि 12 कंकाल मिला है, अब वे बताएं 78 कहां गए? इसका भी वे जवाब देंगे? स्वाभाविक मृत्यु को प्राप्त हुए 2-4 कंकालों के सामने फोटो खिंचवा लेने से असत्य सत्य नहीं हो जाएगा। 

जिन गौ माताओं को सामने रखकर उन्होंने फोटो जारी किया है, वे सभी गौ माता शरीर से स्वस्थ एवं सुंदर दिखाई दे रही हैं। जिस समय निरीक्षण के लिए वे गए थे, उस समय पशु चिकित्सक डॉ. सूर्यवंशी वहां सेवारत थे, उपचार कर रहे थे, इसका उल्लेख उन्होंने अपने वक्तव्य में क्यों छुपाया? छत्तीसगढ़ में किसी भी गौठान में कोई कसाई कार्य नहीं करता। इस शब्द का प्रयोग उन्होंने कैसे किया? यह भी उनसे पूछना चाहिए। या तो वे मूल छत्तीसगढ़िया नहीं हैं या वे इस शब्द का अर्थ ही नहीं समझते हैं। हमसे जितना हो सके, हमने गौ माताओं की सेवा की है और करते रहेंगे, सेवा के क्षेत्र में राजनीति करना हमारा धर्म नहीं है। जिनको राजनीति करनी है वे करें। आज से 15 वर्ष पहले छत्तीसगढ़ में गौ माताओं से संबंधित कोई समस्या ही नहीं थी, यह समस्या क्यों उत्पन्न हुई? इसका भी जवाब वे लोग ही देंगे। 

जांजगीर-चांपा जिले में बड़े-बड़े राजनेता सभी राजनीतिक पार्टियों में हुए हैं, आज तक किसी ने भी किसी के ऊपर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की, वे किस उद्देश्य से ऐसा कर रहे हैं, इसका जवाब भी उन्हीं के पास है। राजनीति अपनी जगह है, हमें अपनी व्यक्तिगत मर्यादाओं का भी पालन करना चाहिए। बहरहाल, इस मुद्दे को लेकर अब राजनीति गरमाने लगी है। ऐसे में आगे यह देखना होगा कि इस मसले पर आखिरकार पक्ष और विपक्ष क्या कड़ा रूख अपनाता है या फिर दोनों पक्ष केवल बयानबाजी तक ही सीमित रह जाते हैं।

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