सोमवार, 10 अप्रैल 2017

कलेक्टोरेट में उड़ रही आरटीआई की धज्जियां, सूचना आयुक्त के आदेश के बाद भी नहीं दी जानकारी

आरटीआई के तहत जानकारी नहीं मिलने से आवेदक परेशान

 

जांजगीर-चांपा. जिला प्रशासन द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम का खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। आरटीआई के दो मामले में राज्य सूचना आयुक्त के आदेश के बाद भी आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। सिर्फ इतना ही नहीं, जानकारी देने की निर्धारित तिथि गुजरने के बाद भी आवेदक को क्षतिपूर्ति राशि देने में भी कोताही बरती जा रही है।

जानकारी के अनुसार, चांपा निवासी जयगोपाल सोनी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कलेक्टर कार्यालय में दो मामलों में आवेदन प्रस्तुत कर जानकारी चाही थी। निर्धारित तिथि गुजरने के बाद भी कलेक्टोरेट के जनसूचना अधिकारी ने आवेदक को जानकारी नहीं दी। इस कारण उन्होंने दोनों मामलों में राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील आवेदन प्रस्तुत किया। दोनों आवेदनों पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त एके सिंह ने 2 सितम्बर 2016 को आदेश पारित किया, जिसके मुताबिक, कलेक्टोरेट के जनसूचना अधिकारी को दोनों मामलों में आवेदक जयगोपाल सोनी को जानकारी प्रदान करने में हुए विलंब का कारण स्पष्ट करने और प्रतिदिन 250 रुपए के हिसाब से अधिकतम 25 हजार एवं विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। नोटिस में उल्लेखित है कि कलेक्टर कार्यालय जांजगीर-चाम्पा में दिसंबर 2012 से आज तक पदस्थ समस्त जनसूचना अधिकारी (डिप्टी कलेक्टर) एवं अपीलीय अधिकारी (अपर कलेक्टर) ने आवेदक को जानकारी प्रदान न कर अधिनियम का उल्लंघन किया है। 

मजे की बात यह है कि राज्य सूचना आयुक्त के आदेश के बाद भी आवेदक सोनी को चाही गई अब तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। आवेदक सोनी ने बताया कि उन्होंने पहले आवेदन में सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 4 बी के तहत विभागीय जानकारी का स्व सक्रिय प्रकटीकरण एवं दूसरे आवेदन में मड़वा-तेंदूभाठा के भू-अर्जन से संबंधित जानकारी चाही थी। लोकप्राधिकारी कलेक्टर कार्यालय जांजगीर-चाम्पा द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत चाही गई विभागीय जानकारी, जनसूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी की जानकारी, प्राप्त आवेदन, अपील एवं उन पर कलेक्टर कार्यालय के विनिश्चय की प्रति धारा 4 बी के तहत स्व सक्रिय वेबसाइट पर आज तक प्रदर्शित नहीं किया है, जो अनिवार्य है। आवेदक सोनी ने इसकी शिकायत कई बार राज्य सूचना आयोग के समक्ष की है। 

इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। आवेदक सोनी ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों का पालन अधिनियम के लागू होने के 12 वर्षो बाद भी लोक प्राधिकरणों द्वारा नहीं किया जा रहा है। वहीं राज्य सूचना आयोग समय रहते सुनवाई कर आदेश पारित कर उसका पालन सुनिश्चित नहीं करा पा रहा है।

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