रविवार, 21 मई 2017

शहीद स्मारक तक सिमटी कांग्रेस, नहीं निभा पा रही मजबूत विपक्ष की भूमिका, लगातार घट रहा जनाधार

राजेंद्र राठौर@जांजगीर-चांपा. विधानसभा, लोकसभा सहित निकाय चुनावों के साथ ही हाल ही में नगर पंचायत शिवरीनारायण में हुए उपाध्यक्ष पद के चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बावजूद जिले में कांग्रेस पार्टी का जनाधार मजबूत होता नहीं दिख रहा है। मौजूदा हालात ऐसे हैं कि मजबूत विपक्ष की भूमिका अदा करना तो दूर की बात, पार्टीजन जिले में हो रहे भ्रष्टाचार और घोटालों को बड़ा मुद्दा बनाकर भुनाने तक में असफल साबित हो रहे हैं। पिछले कुछ समय से पार्टी महज शहीद स्मारक परिसर में श्रद्धांजलि और पुण्यतिथि कार्यक्रम मनाने तक सिमटकर रह गई है। अगर यही हालात बने रहे तो आगामी चुनावों में सफलता मिलना कांग्रेस के लिए मुश्किल ही नहीं, नामुकिन हो सकता है।

दरअसल, पिछले कुछ माह से कांग्रेस जिले में मृतप्राय सी हो गई है। जिले में पार्टी के दो विधायक होने के बावजूद कांग्रेस विपक्ष की भूमिका बखूबी अदा नहीं कर पा रही है। सूत्रों की मानें तो जांजगीर-चांपा विधायक मोतीलाल देवांगन जहां अपने हिसाब से क्षेत्र में सक्रियता दिखा रहे हैं। वहीं अकलतरा विधायक चुन्नीलाल साहू भी पार्टी के बंधनों से दूर रहकर क्षेत्र में अपना जनाधार बढ़ाने में जुटे हुए हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी के विधायक और पदाधिकारियों के बीच तालमेल का अभाव शुरू से ही बना हुआ है। इस वजह से ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस की जिलाध्यक्ष मंजू सिंह और उनके समर्थक पिछले कुछ माह से काफी सुस्त नजर आ रहे हैं। संभवत: यही वजह है कि जिले में लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार और घोटाले बड़े मुद्दे नहीं बन पा रहे हैं। अब तो जनसामान्य के बीच यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि कांग्रेस पार्टी महज शहीद स्मारक तक सिमटकर रह गई है, जहां विशेष अवसरों पर चंद कांग्रेसी एकत्रित होकर अपने नेताओं की जयंती और पुण्यतिथि मनाकर पार्टी को जीवित बताने का प्रयास करते हैं। जबकि सत्तासीन पार्टी भाजपा के पदाधिकारी अभी से ही आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जी-जान से जुट गए हैं। 

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा जहां जिला और बूथ स्तर पर प्रशिक्षण वर्ग कार्यक्रम आयोजित कर पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है, वहीं पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता केन्द्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को घर-घर तक पहुंचाने अभी से जुट गए हैं, ताकि आगामी चुनावों में जिले के सभी विधानसभा सीटों के साथ ही जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पर भाजपा का परचम लहराए। राजनीति के जानकारों की मानें तो कांग्रेस की जिलाध्यक्ष तथा कुछ पदाधिकारियों की कार्यशैली से पार्टीजन नाखुश चल रहे हैं, जिसका नुकसान कांग्रेस को हो रहा है। यही वजह है कि पार्टी के दोनों विधायक स्वयं दमदख लगाकर अपनी सीटों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। बहरहाल, जिले में वर्तमान में विपक्ष नाम की कोई चीज नहीं रह गई है, जिसका खामियाजा आमजनों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं सत्तासीन पार्टी से जुड़े लोग और सरकारी नुमाइंदे अपनी मनमर्जी कर भ्रष्टाचार और घोटालों को अंजाम देने कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं।

ढूंढने पड़ते हैं कार्यकर्ता

जिले में कांग्रेस का जनाधार किस हद तक गिर चुका है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विशेष अवसरों पर पार्टी पदाधिकारियों को कार्यकर्ता ढूंढने पड़ते हैं। जब कभी कोई धरना-आंदोलन की बात आती है तो पार्टी पदाधिकारियों के चेहरे की रंगत उड़ जाती है। उन्हें बार-बार सोंचना पड़ता है कि अपने जनाधार को बचाए रखने के लिए वे आखिर कहां से कार्यकर्ता लेकर आएं। कुछ साल पहले तक गांव-गांव के लिए ऐसे अवसरों पर स्वमेव आ जाते थे, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए वे लोग भी पार्टी और पदाधिकारियों से दूरी बनाने लगे हैं।

बदत्तर हो गई है स्थिति

कुछ साल पहले तक जिले में कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत थी। पार्टी से ऐसे युवातुर्क जुड़े हुए थे, जो किसी भी समय कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी कर देते थे, लेकिन वर्तमान में जिले के चंद लोग ही पार्टी को अपनी बफौती समझकर चला रहे हैं, जिसके कारण पुराने कार्यकर्ता भी पार्टी से दूरी बना रहे हैं। संभवत: यही वजह है कि नगर पंचायत शिवरीनारायण में उपाध्यक्ष पद के लिए दो दिन पहले हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली है, जबकि पूर्व में यह पद कांग्रेस के खाते में था। इसके बावजूद पार्टी पदाधिकारियों ने इस चुनाव को गंभीरता से नहीं लिया और मुंह की खानी पड़ गई।

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