जांजगीर-चांपा. राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 49 पर ग्राम बिरगहनी में अवस्थित बेशकीमती शासकीय भूमि पर एक रसूखदार व्यक्ति द्वारा अतिक्रमण कर दुकान निर्माण कराए जाने के मामले में नित नए-नए खुलासे हो रहे हैं। ‘दैनिक नवीन कदम’ को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक, मामले की शिकायत पर जांजगीर तहसीलदार ने पूरे मामले की जांच तो की है, लेकिन कार्यवाही करने के बजाय उन्होंने रसूखदार अतिक्रमणकारी से सेटिंग कर ली है। बताया जा रहा है कि इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने के एवज में तहसीलदार ने मोटी रकम ली है, जिसके कारण रसूखदार अतिक्रमणकारी को अभयदान दे दिया गया है।
चांपा के समीपस्थ ग्राम बिरगहनी में अवस्थित खसरा नंबर 1131/1 की 10.784 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर एक रसूखदार व्यक्ति मोहन मित्तल द्वारा अतिक्रमण कर सैकड़ों दुकान निर्माण कराए जाने का मामला ‘दैनिक नवीन कदम’ द्वारा लगातार प्रमुखता से उठाया जा रहा है, जिसके कारण इस मामले से संबंधित नित नए-नए खुलासे हो रहे हैं। रसूखदार व्यक्ति मोहन मित्तल ने उक्त भूमि पर अतिक्रमण कर दुकान निर्माण तो करवाया ही है। साथ ही उन दुकानों को उसने कई लोगों को किराए पर दे दिया है। शासकीय भूमि पर निर्मित दुकानों से किराया बतौर उसे हर माह मोटी रकम मिल रही है। यह पूरा खेल प्रशासनिक अधिकारियों की आंखों के सामने चल रहा है, जिससे संबंधित अधिकारी भी संदेह के दायरे में आ गए हैं। यहां बताना लाजिमी होगा कि कुछ लोगों द्वारा इस मामले की शिकायत पूर्व में जांजगीर तहसीलदार समेत कलेक्टर से की गई थी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने मामले की जांच के लिए जांजगीर तहसीलदार शशि चौधरी को निर्देशित किया था। कलेक्टर के निर्देश पर तहसीलदार चौधरी ने अपने अमले के साथ मौके पर पहुंचकर जांच भी की। जांच के दौरान राजस्व अभिलेख देखे गए, जिससे स्पष्ट हो गया कि जिस भूमि पर मोहन मित्तल ने दुकानों का निर्माण करवाया है, वह शासकीय भूमि है। मामले की जांच के बाद तहसीलदार चौधरी ने प्रतिवेदन भी तैयार किया, लेकिन उस प्रतिवेदन को कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत करने के बजाय उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। बताया जा रहा है कि इस मामले को दबाने के एवज में तहसीलदार चौधरी ने रसूखदार अतिक्रमणकारी से मोटी रकम ली है। यही वजह है कि संबंधित के खिलाफ अब तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई है।
जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही नहीं
कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने कुछ दिनों पहले कलेक्टोरेट सभाकक्ष में राजस्व अधिकारियों की बैठक लेकर जिले में अवस्थित शासकीय भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के सख्त निर्देश दिए थे। कलेक्टर ने साफ तौर पर कहा था कि कही भी शासकीय भूमि पर अतिक्रमण होने की शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। यदि ऐसी शिकायत मिलती है तो संबंधित तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक तथा पटवारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने के बाद उस पर वृक्षारोपण कराने की बात कही थी। कलेक्टर के निर्देश पर राजस्व विभाग के अफसरों ने गांव-देहातों में अवस्थित शासकीय भूमि पर हुए अतिक्रमण को ढहाना तो शुरू कर दिया है, लेकिन ग्राम बिरगहनी में अवस्थित करोड़ों की शासकीय भूमि पर रसूखदार व्यक्ति मोहन मित्तल द्वारा किए गए अतिक्रमण पर आखिर उनकी नजर कैसे नहीं पड़ रही है, यह समझ से परे है। वहीं इस बड़ी लापरवाही को लेकर कलेक्टर द्वारा जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है, यह भी सोचने वाली बात है।
कलेक्टर तक फिर पहुंची शिकायत
ग्राम बिरगहनी में अवस्थित खसरा नंबर 1131/1 की 10.784 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर रसूखदार व्यक्ति मोहन मित्तल द्वारा अतिक्रमण कर दुकान निर्माण कराने तथा उसे किराए पर देने की शिकायत कलेक्टर के पास फिर पहुंची है। शिकायतकर्ताओं ने अपनी शिकायत में कहा है कि पूर्व में इस मामले की शिकायत की गई थी, जिसकी जांच जांजगीर तहसीलदार से करवाई गई। जांच से सबकुछ स्पष्ट हो गया था। इसके बाद भी उक्त अतिक्रमणकारी के खिलाफ अब तक किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई है। शिकायतकर्ताओं ने इस मामले में अब तक कार्यवाही नहीं होने को लेकर जांजगीर तहसीलदार शशि चौधरी को पूर्णरूपेण जिम्मेदार ठहराया है। शिकायतकर्ताओं ने कलेक्टर से तहसीलदार चौधरी के खिलाफ भी कार्यवाही की मांग की है।
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