जांजगीर-चांपा. नोटबंदी के बाद केन्द्र सरकार ने अब 30 लाख रुपए या इससे अधिक की जमीन खरीदने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ऐसे लोगों को पहले वार्षिक आय का जरिया बताना होगा। साथ ही यह रिपोर्ट पंजीयक कार्यालय के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजी जाएगी।
नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने जमीन खरीदी बिक्री के बहाने कालाधन को सफेद करने वालों पर अब कड़ाई बरतनी शुरू कर दी है। 30 लाख या इससे अधिक कीमत की जमीन खरीदी करने वालों को रजिस्ट्री के बाद अपनी आय का जरिया बताना होगा। इसमें इस बात का खुलासा करना होगा कि इतनी बड़ी रकम प्राप्ति का स्रोत क्या है। केंद्र सरकार ने इसका नाम एआईआर दिया है। भू-खंड के अलावा मकान व अन्य प्रतिष्ठान खरीदने वालों के लिए एआईआर जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्र सरकार के निर्देशों का हवाला देते हुए राज्य शासन ने प्रदेशभर के कलेक्टरों को पत्र लिखकर जिला पंजीयक के माध्यम से ऐसे लोगों का एआईआर जमा कराने का फरमान जारी किया है। राज्य शासन ने केंद्र के निर्देश पर तत्काल प्रभाव से अमल करने की हिदायत दी है। केंद्र के फरमान से एक बार फिर भूमाफियाओं के अलावा जमीन के बहाने कालाधन को सफेद करने वालों की परेशानी बढ़ गई है। जाहिर है कि जमीन की रजिस्ट्री कराने से पहले इतनी बड़ी रकम कहां से आई, इस बात की जानकारी देनी होगी। विभाग से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार तो एआईआर के बाद आयकर विभाग का शिंकजा कसेगा। आय का जरिया सामने आते ही टैक्स को लेकर विभाग कड़ाई बरतना शुरू करेगा।
भूस्वामी को भी देना होगा हिसाब
भूखंड, मकान व कमर्शियल कॉम्पलेक्स बेचने वालों को भी इस बात की जानकारी देनी होगी कि इतनी बड़ी रकम की जरूरत क्यों पड़ गई है। किस काम में भूखंड बिक्री के बाद मिली राशि को खर्च करेंगे। वर्तमान में बेची गई जमीन के अलावा कब-कब और कितने एकड़ जमीन या भवन की बिक्री की गई है।
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