जांजगीर-चांपा. जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव के निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा शनिवार 24 जून को जिला न्यायालय के सभाकक्ष में ‘स्कूलों में विधिक साक्षरता एवं शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए जिला न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को कानून के बारे में सरल तरीके से बताएं। इस अवस्था में इनकी बौद्धिक क्षमता इतनी हो जाती है कि सरल कानूनों के बारे में जान सकें। वर्तमान समय की ये आवश्यकता भी है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी, शिक्षकों द्वारा प्रदान की गई कानूनी शिक्षा के बारे में अपने घर-परिवार में बताएंगे। घर से यह जानकारी गंाव में फिर धीरे-धीरे एक अभियान के रूप में यह हमारे समाज, राज्य और पूरे देश में फैलेगी। कानूनी जागरूकता के इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह कार्यशाला शिक्षकों के लिए आयोजित की गई है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के दौरान सरल कानूनी शिक्षा पुस्तिका के विषयों पर चरणबद्ध तरीके से न्यायाधीशों एवं अधिवक्ताओं द्वारा शिक्षकों को विधिक जानकारियां प्रदान की गई। आशा है कि आप विधिक जागरूकता के हमारे उद्देश्य में अपना सतत सहयोग प्रदान करेंगे। कार्यशाला में विशेष प्रवक्ता के रूप में पधारे अधिवक्ता विजय दुबे ने वर्तमान परिवेश में शिक्षक एवं विद्यार्थी के मध्य होने वाले आदर्श संबंधों की व्याख्या की और माता-पिता तथा अभिभावकों की अपने बच्चों के साथ की जाने वाली अपेक्षा के नकारात्मक परिणाम पर भी ध्यान आकृष्ट किया और अनुरोध किया कि हम अपने बच्चे की रूचि और उसकी क्षमताओं के आधार पर उसके लक्ष्य निर्धारित करें और उससे अपेक्षाएं रखें।
उन्होंने शिक्षकों से भी यह अपेक्षा की कि वे निरंतर अपने विद्यार्थियों से संवाद स्थापित करते रहें और उनकी नकारात्मक सोच को निकालकर उनमें सकारात्मक भाव पैदा करने का प्रयास करें, ताकि विद्यार्थी दिशाहीन न हो सके। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अजय केशरवानी ने मोटरयान अधिनियम के संबंध में लाइसेंस एवं बीमा की अनिवार्यता तथा उनके न होने की स्थिति में उसके दुष्परिणामों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि सिर्फ एक सामान्य उदाहरण से समझें तो बिना वैध लायसेंस के वाहन चालन कर रहे हैं और यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो पीडि़त पक्ष की क्षतिपूर्ति का सम्पूर्ण दायित्व वाहन स्वामी एवं वाहन के चालक का होता है। कई बार तो यह क्षतिपूर्ति राशि लाखों रुपए की होती है। यह इसलिए बताया जा रहा है, ताकि शिक्षकों के माध्यम से बच्चों को इन मूलभूत कानूनों की जानकारी हो सके।
विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव शुुभदा गोयल ने बताया कि कानून का अधिकार जानना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। कानून की जानकारी के आभाव में शोषित होने की संभावना बढ़ती है। देश में आज भी लगभग 90 प्रतिशत लोगों को कानून के बारे में सम्पूर्ण जानकारी नहीं है, जबकि न्यायालय यह मानता है कि देश का प्रत्येक नागरिक कानून जानता है। जैसा कि समाचार पत्रों में भी प्रकाशित किया गया है कि कानून का अधिकार देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। इसके लिए संसद में जल्द ही बिल लाया जाएगा, जिसके माध्यम से स्कूल शिक्षा में कम-से-कम 12वीं तक कानून की शिक्षा अनिवार्य रूप से लागू करने पर विचार किया जा रहा है। प्राधिकरण के अध्यक्ष, पूर्व से ही इस दिशा में प्रयासरत् रहे हैं और इसी उद्देश्य को मूर्तरूप देने का प्रयास कार्यशाला के जरिए किया जा रहा है।
कार्यशाला में न्यायाधीश बीपी पाण्डेय, संतोष कुमार आदित्य, संघरत्ना भत्पहरी, आनंद राम डिडही, पूजा जायसवाल, उदयलक्ष्मी सिंह परमार, अश्विनी चतुर्वेदी ने सरल कानूनी शिक्षा पुस्तिका के क्रमवार विषयों पर सारगर्भित व संक्षिप्त उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में आमंत्रित जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिव ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में आमंत्रित शासकीय अभिभाषक संतोष गुप्ता ने बालकों की अनिवार्य शिक्षा एवं इस संबंध में शासन की भूमिका पर रोचक ढंग से उद्बोधन दिया। कार्यक्रम के अंत में खुली चर्चा में उपस्थित शिक्षकों की शंकाओं का समाधान भी किया गया। शासकीय महामाया हायर सेकेण्डरी स्कूल के प्राचार्य राजीव शुक्ल ने अपना अनुभव व्यक्त किया कि विगत 23 वर्षों के उनके कार्यकाल में यह पहला ऐसा मौका है, जब शिक्षकों को विधिक जागरूकता प्रदान करने के लिए ऐसा गरिमामयी कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए अनुरोध किया कि सामान्य तौर पर प्राधिकरण द्वारा स्कूलों में आयोजित किए जाने वाले विधिक साक्षरता शिविर औसतन साल में एक-दो बार ही हो पाते हैं। यदि प्रत्येक माह प्रत्येक स्कूल में एक विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किया जाए और ऐसे ही कार्यशालाएं आयोजित की जाए, तो बहुत अच्छा रहेगा। कार्यशाला के दौरान् बाल श्रम एवं शिक्षा की आवश्यकता पर आधारित कानूनी जागरूकता की लघु फिल्म ‘सार्थक’ का प्रसारण किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षक एवं प्राचार्यों को सरल कानूनी शिक्षा पुस्तक की प्रतियंा नि:शुुल्क उपलब्ध कराई गई। कार्यक्रम का संचालन तथा आभार प्रदर्शन प्राधिकरण की सचिव शुुभदा गोयल ने किया।
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