डोलकुमार निषाद @ डभरा. ग्राम पंचायत बांधापाली के शासकीय स्कूल भवन में अवैध कब्जा करने वाली आरकेएम पॉवर कंपनी ने देवरघटा-बांधापाली से घिवरा तक निर्मित ढ़ाई किलोमीटर लंबी सडक़ पर भी अवैध कब्जा किया है। कुछ वर्ष पहले यह सडक़ प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत बनवाई गई थी, जिससे क्षेत्र के लोगों को आवागमन में सुविधा हो रही थी। सडक़ पर कब्जा होने से क्षेत्र के ग्रामीणों को आवागमन में भारी असुविधा हो रही है।
उल्लेखनीय है कि डभरा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम देवरघटा-बांधापाली से घिवरा तक का मार्ग अत्यंत जर्जर था, जिससे आसपास के ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी हो रही थी। ग्रामीणों की इस समस्या को देखते हुए कुछ वर्ष पहले शासन से प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के तहत् इस मार्ग पर पक्की सडक़ निर्माण की अनुमति मिली। योजना के तहत् रकम मिलने के बाद पीएमजीएसवाय सक्ती अनुभाग द्वारा टेण्डर जारी कर देवरघटा-बांधापाली से घिवरा तक कुल लंबाई 2.66 किलोमीटर की सडक़ का निर्माण शुरु कराया गया। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस सडक़ के बधान का मिट्टी कार्य 5019 घन मीटर था। वहीं मार्ग की कुल चौड़ाई 750 मीटर थी। सडक़ निर्माण होने से क्षेत्र के लोगों को आवागमन में सुविधा हो रही थी। साथ ही इस सडक़ से क्षेत्र के लगभग एक दर्जन से अधिक गांव के लोग आवागमन कर रहे थे, लेकिन ग्रामीणों के हितों को नजरअंदाज करते हुए आरकेएम पावर कंपनी ने इस सडक़ पर अवैध रूप से कब्जा जमा लिया।
बताया जा रहा है कि सडक़ को उखाडक़र वहां पावर प्लांट का निर्माण करवाया गया है। वहीं प्लांट प्रबंधन ने इस मार्ग के दोनों ओर घेरा डालकर प्रवेश वर्जित का बोर्ड भी लगवाया है, जिससे क्षेत्र के ग्रामीणों के आवागमन का प्रमुख व पक्का रास्ता बंद हो गया है। बांधापाली के ग्रामीणों ने बताया कि पावर कंपनी ने सडक़ पर रातों-रात कब्जा किया है, जिसकी जानकारी होने पर क्षेत्र के लोगों ने विरोध भी जताया, लेकिन उनकी एक न सुनी गई। ऐसे में मामले की शिकायत जिला प्रशासन सहित प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के उपअभियंता व कार्यपालन अभियंता से भी की गई, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ग्रामीणों के अनुसार, पावर कंपनी द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम योजना की सडक़ पर कब्जा किए जाने की शिकायत सांसद कमला पाटले व क्षेत्रीय विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव से भी की गई है, लेकिन अब तक कुछ नतीजा नहीं निकला है। बहरहाल, आरकेएम पॉवर प्रबंधन की मनमानी से क्षेत्रवासी त्रस्त हैं और लगातार शासन-प्रशासन से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी शिकायतों पर कार्यवाही करने के बजाय मूकदर्शक बने हुए हैं।
प्रबंधन की मनमानी चरम पर
आरकेएम पावर प्रबंधन अपने कई कार्यो को लेकर सुर्खियों में रहा है। चाहे वह भूमि अधिग्रहण का मामला हो या फिर मुआवजा व पुनर्वास नीति के पालन का। हर समय प्रबंधन ने ग्रामीणों के साथ छल-कपट किया है। ग्रामीण बताते हैं कि प्रधानमंत्री योजना की सडक़ पर कब्जा करने के बाद ग्रामीणों ने कई बार कंपनी प्रबंधन से बात करनी चाही, लेकिन उन्हें अधिकारियों से मिलने तो दूर, गेट से अंदर घुसने तक नहीं दिया गया। साथ ही यह भी कहा गया कि वे उनके बजाय शासन-प्रशासन के अफसरों के पास जाकर अपनी फरियाद करें, तो ज्यादा बेहतर होगा।
शुरु से कंपनी का हो रहा विरोध
आरकेएम पावर कंपनी का शुरुआत से ही विरोध हो रहा है। जनसुनवाई के दौरान सैकड़ों ग्रामीणों ने क्षेत्र में पावर प्लांट नहीं लगाने की बात कहते हुए जमकर विरोध किया था। वहीं कुछ साल पहले मुआवजा व पुर्नवास नीति को लेकर प्लांट परिसर में तोडफ़ोड़ भी की गई थी। इसके बाद से काफी दिनों तक पावर प्लांट का निर्माण बंद रहा। कंपनी प्रबंधन के अफसर लगातार काम शुरु कराने प्रयास करते रहे, तब जाकर किसी तरह दोबारा काम चालू हुआ था।
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