डोलकुमार निषाद @ डभरा. प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत निर्मित सडक़ और खेतों की सिंचाई के काम आने वाले बांध पर जबरिया कब्जा करने वाली आरकेएम पॉवर कंपनी की एक और मनमानी सामने आई है। आरकेएम पॉवर कंपनी के जिम्मेदारों ने अब डभरा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत बांधापाली में स्थित शासकीय स्कूल भवन पर कब्जा कर लिया है। बताया जा रहा है कि कंपनी प्रबंधन ने सरकारी स्कूल भवन पर कब्जा करने के बाद गांव में ही दूसरे स्थान पर गुणवत्ताहीन स्कूल भवन का निर्माण करवाया है, जिसमें वर्तमान में कक्षाएं संचालित की जा रही है। कंपनी प्रबंधन द्वारा निर्माण करवाया गया स्कूल भवन अत्यंत ही घटिया है, जिसके कारण विद्यार्थी और शिक्षक परेशान हैं।
जानकारी के अनुसार डभरा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम बांधापाली में स्थापित आरकेएम पावर प्लांट के अधिकारियों द्वारा अपनी सुविधा के अनुरूप शासकीय स्कूल भवन को अपने कब्जे में ले लिया गया है एवं उस भवन के बदले गांव में ही दूसरे स्थान पर स्कूल भवन का निर्माण करवाया गया है। प्लांट प्रबंधन द्वारा बड़ी चतुराई से शासकीय जमीन पर निर्मित स्कूल भवन को अपने कब्जे में ले तो लिया गया है, किंतु बदले में जो स्कूल भवन बनाकर दिया गया है, उसकी गुणवत्ता किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो उस स्कूल भवन का निर्माण हुए मुश्किल से दो वर्ष हुए हैं, किंतु उस भवन की छत का मरम्मत कराया जाना एवं मरम्मत कराने के बावजूद भी छत से पानी टपकना कंपनी प्रबंधन द्वारा निर्माण करवाए गए भवन की गुणवत्ता को बयां कर रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि जहां नया भवन बनवाया गया है, वह जमीन भी शासकीय है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि प्लांट प्रबंधन द्वारा केवल भवन निर्माण करवाया गया और उसे जमीन मुफ्त में मिल गई है। ग्रामीणों की शिकायत पर मौका मुआयना करने पहुंचे ‘दैनिक नवीन कदम’ संवाददाता को ग्रामीणों ने बताया कि जिस शासकीय जमीन पर स्कूल का निर्माण करवाया गया है, वहां से लगभग 30 से 40 फीट की दूरी से हाईटेंशन तार गुजरा हुआ है, जिसकी सनसनाहट स्कूल में बैठे विद्यार्थियों को भयभीत करती है।
सनसनाहट की वजह से नौनिहालों के कोमल मस्तिष्क पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। इसके अतिरिक्त कंपनी प्रबंधन द्वारा निर्माण कराया गया नया स्कूल भवन प्लांट परिसर से लगभग 50 से 100 फीट की दूरी पर है। इस वजह से पावर प्लांट की मशीनों की घरघराहट स्कूल तक आती है, जो करेले के ऊपर नीम चढ़ा वाली कहावत को चरितार्थ करता है। ग्रामीणों ने बताया कि नया स्कूल भवन जहां निर्मित है, उससे 40 से 50 फीट की दूरी पर मुक्तिधाम स्थित है, जोकि बच्चों के मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव डाल रहा है। इसके अतिरिक्त वहां से 50 मीटर की दूरी पर पावर प्लांट द्वारा निर्मित राखड डेम स्थापित है, जिसके कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पडऩे का खतरा बना हुआ है। वहीं भूमिगत स्रोतों के बोर का पानी दूषित होने की संभावना बनी हुई है।
एनओसी को लेकर उठे सवाल
आरकेएम पॉवर प्रबंधन की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। इसके बावजूद, जिला प्रशासन द्वारा कंपनी प्रबंधन को जमीन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया जाना सामान्य व्यक्ति के समझ से परे है। ग्रामीणों का कहना है कि क्या किसी निजी कंपनी को उपकृत करने के लिए अनुपयुक्त स्थान पर स्कूल भवन निर्माण करवाया जाना जायज है। ग्रामीणों का आरोप है कि जिला प्रशासन को नौनिहालों की चिंता नहीं है, इसीलिए शासकीय स्कूल भवन की जमीन को पॉवर कंपनी को आंख मूूंदकर दिया गया है।
शिकायत पर कार्यवाही नहीं
ग्रामीणों की मानें तो आरकेएम पॉवर प्रबंधन की मनमानी की शिकायत उनके द्वारा शासन-प्रशासन से कई मर्तबा की जा चुकी है। मामला चाहे पीएमजीएसवाय की सडक़ पर अवैध कब्जा का हो या फिर बांध पर कंपनी प्रबंधन द्वारा हक जमाने का। इन सभी मामलों की शिकायत जिम्मेदार अफसरों ने रद्दी की टोकरी में डाल दी है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि केन्द्र और राज्य सरकार बच्चों की शिक्षा के प्रति सजग है, लेकिन ग्राम बांधापाली में पॉवर कंपनी ने जो कारनामा कर दिखाया है, उससे साफ है कि सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। यही वजह है कि पॉवर प्रबंधन की मनमानी पर शासन-प्रशासन लगाम नहीं कस रहा है।
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