शनिवार, 23 सितंबर 2017

तबादले की आड़ में भ्रष्ट अधिकारियों को प्रदान किया जा रहा संरक्षण, छग अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में चल रहा कमाई का खेल

जांजगीर-चांपा. छत्तीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में तबादले की आड़ में कमाई का खेल जमकर चल रहा है। जिस विभाग के अंतर्गत ये निगम आता है, उसके उच्चाधिकारियों और मंत्री तक इसकी शिकायत पहुंचने के बावजूद ये खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम, आदिम जाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग के अधीन है। यहां अधिकारियों एवं कर्मचारियों के तबादले के नाम पर जो खेल खेला गया है वो राज्य में पहला तो है ही, साथ ही मोदी सरकार की भ्रष्टाचारमुक्तभारत बनाने की सोच को पलीता लगाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। दरअसल, राज्य सरकार का अंग होने के बावजूद निगम-मंडलों में राज्य की स्थानांतरण नीति लागू नहीं होती। इसी का फायदा निगम के चैयरमेन और प्रबन्ध संचालक उठा रहे हैं। ‘दैनिक नवीन कदम’ को प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक, छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम के एमडी यानी प्रबंध संचालक जीआर चुरेन्द्र ने 28 अप्रैल और 2 मई 2017 को स्थानांतरण आदेश जारी किया, लेकिन बाद में 26 मई को बिना कोई कारण दर्शाये तबादला किए गए अधिकारियों-कर्मचारियों को कार्यमुक्त नहीं करने का आदेश जारी कर दिया गया। इसके बाद पदस्थापना का खेल शुरू हुआ। इस दौरान स्थानांतरित किए गए 38 अधिकारी-कर्मचारियों में से 17 को यथावत या निरस्त कर अन्यत्र स्थानांतरित किया गया। इनमें से भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे कई अधिकारियों को मनमुताबिक जगह पर पदस्थ किया गया। 

ऐसे अधिकांश अधिकारियों के खिलाफ  विभागीय जांच में दोष साबित हो गया है या फिर इनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण चल रहे हैं, जिनमें सबसे पहला नाम एसएस टोप्पो का है। टोप्पो छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम के रायपुर कार्यालय में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर थे। उन्हें दुर्ग तबादला करते हुए बेमेतरा का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। इनके द्वारा अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान रायसेन में रहते हुए जो गड़बड़ी की गई, उसकी जांच आज भी चल रही है। यही नहीं, महासमुंद में पदस्थापना के दौरान एक ही हितग्राही को दोबारा लाभ पहुंचाने के दोषी पाए जाने पर कलेक्टर ने कार्रवाई करने के लिए प्रबन्धक को पत्र लिखा था। दुर्ग में भी ऋण वितरण में गड़बड़ी उजागर हुई और कार्रवाई की अनुशंसा की गई, लेकिन ये हर बार बचा लिए गए। इसी तरह की कई गड़बडिय़ां करने के बावजूद टोप्पो दो-दो स्थानों का कार्यभार दिया गया। छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में वैसे तो कोई भी ऐसा जिला नहीं है, जहां भ्रष्टाचार उजागर नहीं हुआ हो। मगर इनमें से बहुचर्चित अधिकारी सीधे एमडी और चेयरमैन के संपर्क में आए और मनमुताबिक स्थान पर पदस्थापना ले ली। इन्हीं में रमेश गुप्ता भी शामिल हैं, जिन्हें मध्यप्रदेश में रहते हुए गबन के मामले में सेवा से पृथक किया गया, लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद इन्हें काम पर फिर से रख लिया गया। 

इसके बाद कोरबा और जांजगीर में की गई गड़बडियों की जांच चल रही है। वहीं रायपुर में किए गए भ्रष्टाचार के चलते गुप्ता के खिलाफ  चारसौबीसी का प्रकरण चल रहा है। इन्हे मुंगेली से रायगढ़ में पदस्थ करते हुए प्रभारी कार्यपालन अधिकारी बनाया गया। साथ ही उन्हें प्रबंधक प्रशिक्षण केंद्र पेट्रोल पंप का अलग से प्रभार दे दिया गया। इसी तरह सरगुजा में पदस्थ एआर तिग्गा हैं, जिन्होंने भी कई गड़बडिय़ों को अंजाम दिया है। बहरहाल, छग अंत्यावसायी विकास निगम में हुई गड़बड़ी की शिकायत हुई, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। विभाग की बागडोर जिस अधिकारी को सौंपी गई है, वही पूर्व में भ्रष्टाचार के आरोपों से लिपट रहा है और उनके ऊपर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की तलवार लटक रही है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को अध्यक्ष का साथ मिल गया है और दोनों पहले से ही बदनाम इस विभाग को और भी बदनाम करने में लगे हुए हैं।
 

सभी आदेश में एक ही वजह

छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम के प्रबंध संचालक जीआर चुरेन्द्र द्वारा तबादला आदेश जारी करने के बाद पहले तो उसे रोका गया, फिर बारी-बारी अधिकांश का अलग-अलग आदेश जारी किया गया। इनमें से अधिकतर आदेश में एक ही वजह का उल्लेख है और वह ये है कि निगम के सभी जिलों में संचालित कार्यालयों में कमियां एवं विसंगतियां पाई गई, इसलिए व्यापक शासनहित और जनहित में तबादला किया जा रहा है। अगर जनहित में आदेश जारी किया गया है तो भ्रष्ट अधिकारियों को मलाईदार स्थानों पर क्यों पदस्थ किया गया और एक नहीं दो-दो स्थानों का पदभार दे दिया गया, यह अहम् सवाल है।
 

रोक के बाद भी गए तबादले पर

छग अंत्यावसायी निगम में तबादले पर रोक के बावजूद दो कर्मचारियों ने स्थानांतरित वाले कार्यालयों में ज्वाइनिंग ले ली, जबकि दूसरे अधिकारी-कर्मचारी इसका विरोध करते रहे। इन्हीं में बलौदाबाजार में पदस्थ रहे परिक्षेत्राधिकारी योगेश साहू का नाम शामिल हैं, जिन्होंने आदेश का उल्लंघन करते हुए कोरबा कार्यालय में पदभार ग्रहण कर लिया, यहां के प्रभारी अधिकारी ने उन्हें जॉइनिंग भी दे दी। बाद में जब शिकायत हुई, तब केवल कारण बताओ नोटिस जारी कर जिम्मेदारी पूरी कर ली गई।
 

वाहन चालक का बंगला चर्चा में

छग अंत्यावसायी निगम के अध्यक्ष निर्मल सिन्हा का वाहन चलाने वाले प्रफुल्ल तिवारी को कलेक्टर दर पर रखा गया है, लेकिन प्रफुल्ल के बिलासपुर स्थित आलीशान बंगले को देखकर नहीं लगता कि वो इतनी कमाई करता होगा। वाहन चालक प्रफुल्ल तिवारी अपने कार्यकाल में प्रबंधन को कई बार नोटिस भेज चुका है, वो भी नियम विरुद्ध तरीके से नियमित करने के लिए। बताया जाता है कि विभाग में मनचाहे स्थान पर तबादले के लिए प्रफुल्ल तिवारी के पास से होकर गुजरना पड़ता है। उसके अलावा उपकृत किए गए अधिकारी भी इस कार्य में लगे हुए हैं। बताया यह भी जा रहा है कि जिस तरह तबादला सूची रोककर अलग-अलग जारी किया गया वो पहली ही नजर में संदेहास्पद लग रहा है। वहीं विभाग के भ्रष्टतम अधिकारियों को वही जिम्मेदारी दी गई है, जिसमें उन्हीं ने गड़बड़ी की। इस निगम में भ्रष्टाचार के डेढ़ दर्जन मामले चल रहे हैं, जिनमे अधिकांश वही अधिकारी लिप्त हैं, जिन्हें मनचाहे स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है।
 

चल रही गड़बडिय़ों की जांच

छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में पूर्व में जो भी गड़बडिय़ां हुई थीं, उसकी जांच चल रही है। मेरी जानकारी के अनुसार, वर्तमान में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। इससे अधिक जानकारी मुझे नहीं है।

-सुरेन्द्र सिंह बेसरा, उपाध्यक्ष, छग अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम



मेरे पास है पूरा काला चिट्ठा

छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम में स्थानांतरण, पदोन्नति से लेकर भर्ती में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। निगम में दो वाहन चालकों की भर्ती कर उन्हें नियमित कर दिया गया है, जो पूर्णत: अवैध है। कुछ वर्षों के भीतर निगम में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री से की गई है। यहां हुए भ्रष्टाचार का पूरा काला चिट्ठा मेरे पास है, जो यह साबित करने काफी है कि कुछ पदाधिकारियों और अफसरों ने मिलकर किस तरह से निगम को बर्बाद किया है।

-पवन मेश्राम, सदस्य, छग राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम

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