शनिवार, 23 सितंबर 2017

लाखों के करेंसी से हो रही नैला में दुर्गा पंडाल की सजावट, एक से लेकर दो हजार तक के नोटों का किया जा रहा उपयोग

राजेंद्र राठौर @ जांजगीर-चांपा. श्री श्री दुर्गा पूजा उत्सव सेवा समिति नैला का दुर्गा पंडाल लाखों के करेंसी नोटों से सज रहा है। पंडाल की सजावट में एक रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक के नोटों का उपयोग किया जा रहा है। नागपुर से पहुंचे कारीगर पिछले कई दिनों से दिन-रात कड़ी मेहनत कर पंडाल को आकर्षक स्वरूप प्रदान कर रहे हैं। इस भव्य पंडाल में सोने-चांदी, हीरे-मोती सहित विभिन्न रत्नों जडि़त माता की आकर्षक प्रतिमा 25 सितम्बर को विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना कर स्थापित की जाएगी, जबकि इससे एक दिन पहले यानी 24 सितम्बर को ही दर्शकों के लिए पंडाल का द्वार खोल दिया जाएगा। 

सांस्कृतिक नगरी नैला की देशभर में दुर्गोत्सव को लेकर खास पहचान बन चुकी है। यहां का दुर्गोत्सव छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की शान है। यही वजह है कि यहां स्थापित माता की प्रतिमा का दर्शन करने के लिए हर वर्ष देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। करीब एक दशक से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए श्री श्री दुर्गा पूजा उत्सव सेवा समिति द्वारा इस वर्ष भी माता की आकर्षक एवं भव्य प्रतिमा स्थापित की जा रही है। इस बार यहां हीरा, मोती, सोना-चांदी और 2000, 500, 200 एवं 50 रुपए के नए नोटों से सुसज्जित माता की प्रतिमा 25 सितम्बर को स्थापित होगी, जिसके लिए पिछले कई दिनों से पंडाल को आकर्षक स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। नागपुर से पहुंचे कारीगर एक रुपए से लेकर दो हजार के करेंसी नोटों से पंडाल सजा रहे हैं। कारीगरों द्वारा करेंसी नोटों से प्रवेश द्वार को सजाया गया है। वहीं पंडाल के अंदर नोटों से ही विभिन्न प्रकार के फूल और अन्य तरह की सजावट की गई है। ये कारीगर पंडाल की सजावट को अंतिम रूप प्रदान कर रहे हैं। 

‘दैनिक नवीन कदम’ से चर्चा में श्री श्री दुर्गा पूजा उत्सव सेवा समिति नैला के पदाधिकारी देवेश बसईवाल एवं राजू पालीवाल ने बताया कि पंडाल की सजावट के लिए एक रुपए से लेकर दो हजार तक के करेंसी नोट मंगवाए गए हैं। उन्होंने बताया कि आयोजन समिति ने दस लाख रुपए की करेंसी बैंक से मंगवाई है। इसमें से कितने नोट पंडाल की सजावट में खपत होंगे, फिलहाल यह बता पाना संभव नहीं है। क्योंकि कारीगरों ने अभी सजावट कार्य पूर्ण नहीं किया है। पंडाल की सजावट 24 सितम्बर को दोपहर तक पूरी हो जाएगी, जिसके बाद इसी शाम से ही दर्शकों के लिए पंडाल का द्वार खोल दिया जाएगा। इसके दूसरे दिन 25 सितम्बर को शुभ मुहूर्त में विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना के बाद विभिन्न रत्नों जडि़त माता की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जिसके दर्शन का लाभ श्रद्धालुजन विजयदशमीं पर्व के एक दिन बाद तक उठा सकेंगे। आयोजकों ने बताया कि दुर्गोत्सव में पंडाल की लाइटिंग भी आकर्षक होगी। मुंबई की प्रसिद्ध स्टेट लाइटिंग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही कोलकाता के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा पंडाल की फूलों से भव्य सजावट की जा रही है। वहीं बिलासपुर के टेंट व्यापारी द्वारा भव्य डोम पंडाल सजाया जा रहा है। सुरक्षा के लिहाज से पूरे पंडाल को सीसी कैमरे से लैस किया जा रहा है। दुर्गोत्सव के दौरान पुलिस के जवान यहां चौबीसों घंटे तैनात रहेंगे।
 

100 फिट का राजस्थानी घाघरा तैयार

सोने-चांदी, हीरे-मोती समेत विभिन्न रत्नों से जडि़त मां दुर्गा की प्रतिमा का 100 फिट के राजस्थानी घाघरा से अलौकिक श्रृंगार किया जाएगा। आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि माता के श्रृंगार के लिए राजस्थानी घाघरा बनकर तैयार हो गया है। इसके अलावा अन्य साजो-सामान भी पहुंच गए हैं, जिसका उपयोग कलकत्ता से पहुंचे कारीगर मां दुर्गा की प्रतिमा की सजावट में कर रहे हैं।
 

झांकियां होंगी प्रमुख आकर्षण का केन्द्र

दुर्गा पंडाल के बाहर इस बार छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध बसोड़ कलाकारों से बांस का 100 फिट चौड़ा एवं 50 फिट ऊंचा भव्य शिवलिंग प्रवेश द्वार तैयार करवाया गया है। इसके अलावा पंडाल के भीतर भगवान श्रीराधाकृष्ण, श्रीगणेश, श्रीनहरियाबाबा, श्रीद्वारिकाधीश, श्रीनाथ, श्रीबांकेबिहारी, श्रीतिरुपति बालाजी, श्रीसीताराम एवं श्रीश्याम प्रभु की भव्य एवं आकर्षक झांकियां प्रमुख आकर्षक का केन्द्र होंगी।

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