राजेन्द्र राठौर@जांजगीर-चांपा. शिक्षाकर्मियों की नौ सूत्रीय मांगों के समर्थन में मंगलवार को कांग्रेसियों द्वारा किया गया महाबंद का आह्वान जिले में पूर्णत: असफल रहा है। कांग्रेसियों ने जिन शिक्षाकर्मियों के लिए महाबंद का आह्वान किया था, उन्हीं शिक्षाकर्मियों ने ही आंदोलन से अपनी दूरी बनाए रखी। कांग्रेसियों के महाबंद और प्रदर्शन के दौरान एक भी शिक्षाकर्मी नजर नहीं आए। वहीं हमेशा की तरह चंद लोगों ने हो-हल्लाकर नाटकीय अंदाज में अपनी गिरफ्तारी दी।
दरअसल, प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा शिक्षाकर्मियों के समर्थन में पांच दिसम्बर को प्रदेश बंद का आह्वान किया गया था। प्रदेश पदाधिकारियों ने महाबंद की सफलता को लेकर जिलाध्यक्ष एवं सभी ब्लॉक अध्यक्षों को विशेष जिम्मेदारी दी थी। चंूकि, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने महाबंद के तिथि की घोषणा कई दिन पहले ही कर दी थी, जिसे लेकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ ही पूरा अमला चौकस था। यही वजह है कि पांच दिसम्बर को प्रस्तावित महाबंद से पहले शासन-प्रशासन ने एक सुनियोजित रणनीति के तहत शिक्षाकर्मियों के आंदोलन को खत्म करवा दिया। इसकी भनक कांग्रेसियों को काफी देर बाद लगी। ऐसे में उनके समक्ष महाबंद के आह्वान से पीछे हटने की कोई गुंजाईश नहीं थी। जिले के कांग्रेसियों ने मंगलवार की सुबह महाबंद के आह्वान को सफल बनाने थोड़ी-बहुत कोशिश की, लेकिन उन्हें जब इस बात का अहसास हो गया कि जिनके समर्थन में उन्होंने महाबंद का आह्वान किया है, अब वे ही उनके पास नहीं फटक रहे हैं। ऐसी स्थिति में चंद कांग्रेसियों ने शहर के चौक-चौराहों में जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगाकर नाटकीय अंदाज में अपनी गिरफ्तारी दी। पुलिस ने भी उन्हें गिरफ्तार करने के कुछ समय बाद मुचलके पर छोड़ दिया। मंगलवार को सुबह से दोपहर तक चले नाटकीय घटनाक्रम के चलते सिर्फ कांग्रेसियों की छीछालेदर हुई, जबकि भाजपाई एवं व्यापारी वर्ग तमाशबीन बने रहे।
अब प्राइवेट स्कूलों की पढ़ाई हुई चौपट
शिक्षाकर्मियों के आंदोलन की वजह से जिले समेत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पिछले कई दिनों से पढ़ाई पूरी तरह ठप है। आंदोलन के चलते ही अद्र्धवार्षिक परीक्षा की तिथि रद्द तक करनी पड़ी है। साथ ही कोर्स भी काफी पिछड़ गए हैं। ऐसे में अब बोर्ड कक्षाओं के विद्यार्थियों के कोर्स को पूरा कराने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। इस स्थिति में कांग्रेसियों ने पांच दिसम्बर को जिलेभर के प्राइवेट स्कूलों को बंद कराकर आग में घी डालने का काम किया है। महाबंद के चलते पांच दिसम्बर को लगभग सभी प्राइवेट स्कूलों की छुट्टी करवा दी गई थी, जिसके चलते यहां भी एक दिन पढ़ाई पूरी तरह से ठप रही। इसका जिम्मेदार आखिर कौन है, इस बात को तय कर जिम्मेदार पर शासन-प्रशासन को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।
व्यापारियों ने सिरे से खारिज किया आह्वान
कांग्रेसियों के महाबंद के आह्वान के बावजूद जिला मुख्यालय जांजगीर सहित जिले के सभी नगरों एवं गांवों की दुकानें पूरे दिन खुली रही। महाबंद के संबंध में जब जिला मुख्यालय के कुछ व्यापारियों से चर्चा की गई तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि कांग्रेसी जिनके लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं, वे ही उनके साथ नहीं तो फिर हम क्यों साथ होंगे। व्यापारियों ने यह भी कहा कि शहर में साप्ताहिक बंद गुरूवार को रहता है। ऐसे में मंगलवार और गुरूवार यानी दो दिन दुकानें बंद करना घाटे का सौदा है। व्यापारी संगठनों ने चर्चा में कहा कि चेंबर ऑफ कामर्स सहित कई व्यापारिक संगठनों ने पहले से ही इस महाबंद को अपना समर्थन देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद भी कांग्रेसियों ने आंदोलन किया है तो अब वे समझें। व्यापारी वर्ग को बीच में लाना ठीक नहीं है।
जिलाध्यक्ष के साथ नजर आए चंद चेहरे
कांग्रेस यानी देश की दूसरी बड़ी पार्टी, जिस पर प्रदेशवासियों की उम्मीद है, लेकिन जिले में इस पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारी अपने निजी स्वार्थों की वजह से आमलोगों की नजरों से लगातार गिरते जा रहे हैं। इस बात में कोई लाग-लपेट नहीं है। यही वजह है कि पिछले कुछ समय से जिले में कांग्रेस का जनाधार घटता भी जा रहा है। महाबंद के समर्थन में मंगलवार को अकलतरा थाने के बाहर चंद कांग्रेसी नारेबाजी करते दिखे। उन्हीं के बीच जिलाध्यक्ष मंजूसिंह भी मौजूद थी, जो स्वयं रमन सरकार के विरोध में नारेबाजी कर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रही थीं। वहां की स्थिति काफी हास्यास्पद भी लग रही थी। मसलन, गिनती के 15-20 कांग्रेसी ही नजर आ रहे थे, जिनके दम पर अकलतरा क्षेत्र में महाबंद की सफलता का जिलाध्यक्ष ढिंढोरा पीट रहीं हैं।
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